नई दिल्ली: आधुनिक भारत का निर्माण करने वाले राजा राम मोहन राय का जन्म सन 1772 में आज ही के दिन पश्चिम बंगाल में हुगली जिले के राधानगर गांव में हुआ था. मोहन राय दिमाग के इतने तेज थे कि महज 15 साल की उम्र में उन्होंने बांग्ला, अरबी, संस्कृत और पारसी भाषा सीख ली थी. राय की प्रांरभिक शिक्षा उनके गांव में ही हुई बाद में उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए बिहार की राजधानी पटना भेज दिया गया.


मोहन राय के पिता रमाकांत राय वैष्णव एक रूढीवादी हिंदू ब्राह्मण थे जबकि मोहन राय कई हिंदू परंपराओं और रीति रिवाजों के खिलाफ थे. वे अंधविश्वास के भी खिलाफ थे. उनमें और उनके पिता में अक्सर मतभेद होते थे. इसी वजह से वे घर छोड़कर चले गए. जब घर आए तो परिवार वालों ने उनकी शादी ये सोचकर कर दी कि शायद इनमें कोई बदलाव आए लेकिन मोहन राय में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला. बाद में मोहन राय उत्तर प्रदेश के वाराणसी चले गए जहां उन्होंने वेदों और उपनिषदों को पढ़ा. जब 1803 में उनके पिता का देहांत हुआ तो वे वापस बंगाल लौट गए.


समाज की कुरीतियों की किया विरोध


राजा राममोहन राय ने ईस्ट इंडिया कंपनी के राजस्व विभाग में भी नौकरी की. साथ ही उन्होंने जैन धर्म और मुस्लिम धर्म का भी अध्ययन किया. उन्होंने समाज में फैली कुरीतियों का जमकर विरोध किया. राय सती प्रथा, बाल विवाह जैसी कुरीतियों के सख्त खिलाफ थे. उन्होंने गवर्नर जनरल लार्ड विलियम बेंटिक के जरिए सती प्रथा के खिलाफ तो कानून भी बनवा दिया था. उनका मानना था जब वेदों में सती प्रथा का जिक्र नहीं है तो ये समाज भी नहीं होने चाहिए.


महिलाओं के हक के लिए लड़े


इसके अलावा राय हमेशा महिलाओं के हक के लिए भी लड़ते थे. राय ने महिलाओं के संपत्ति में हक जैसे कई अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी. उस दौर में समाज कुरीतियों से जकड़ा हुआ था औ राय आधुनिक खयाल के मालिक थे. वे समाज को कुरीतियों से आजाद कराना चाहते थे.


अंग्रेजी भाषा का दिया बढ़ावा


राजा राममोहन राय ने महिलाओं को शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा को काफी बढ़ावा दिया. उन्होंने अंग्रेजी के अलावा साइंस और मेडिकल साइंस की पढ़ाई पर ज्यादा जोर दिया. उनका मानना था कि अंग्रेजी की पढ़ाई रूढ़ीवादी पढ़ाई के तरीके से ज्यादा बेहतर है. इसी वजह से उन्होंने एक इंग्लिश मीडियम स्कूल भी खोला था.


1833 में हुआ निधन


मोहन राय का निधन ब्रिस्टल के पास स्टाप्लेटन में 27 सितंबर, 1833 को हुआ. मोहन राय ने ना सिर्फ समाज की कुरीतियों को दूर किया बल्कि आधुनिक शिक्षा के साथ आधुनिक भारत के निर्माण मे भी अहम किरदार अदा किया.