नई दिल्ली: धारा 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में विदेशी राजदूतों और प्रतिनिधि मंडल का यह तीसरा दौरा होगा. जम्मू-कश्मीर में सरकार की तरफ से कुछ प्रतिबंध लागू किए गए थे इसके बाद पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ भ्रम फैलाना शुरू कर दिया था. इसी अफवाह की काट के तौर पर केंद्र सरकार ने विदेशी राजनयिकों और प्रतिनिधियों को जम्मू-कश्मीर का दौरा करवाया था.


इससे पहले जनवरी के पहले हफ्ते में जम्मू कश्मीर के मौजूदा हालात का जायजा लेने के लिए 16 विदेशी राजनयिकों का दल 2 दिनों के लिए श्रीलंका दौरे पर पहुंचा था. विदेशी राजनयिकों और प्रतिनिधियों ने सेना के शीर्ष कमांडरों से एलओसी और कश्मीर घाटी में सुरक्षा स्थिति की जानकारी ली थी और उसके बाद सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों और कुछ पत्रकारों से भी मुलाकात की थी. सभी प्रतिनिधि मंडल जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक नेताओं से भी मिले थे.


इनमें गुलाम हसन मीर, नूर मोहम्मद ,शेख अब्दुल मजहर, अब्दुल रहीम राथर, रफी अहमद मीर और हिलाल अहमद शाह जैसे नेता शामिल थे. वहीं प्रतिनिधि मंडल में अमेरिकी राजदूत कैन एडजेस्ट के साथ बांग्लादेश, वियतनाम, नार्वे, मालदीव, दक्षिण कोरिया मोरक्को और नाइजीरिया के राजनीतिक शामिल थे. इस दौरान उन्होंने स्थानीय लोगों से भी मुलाकात की थी साथ ही सुरक्षाबलों ने उन्हें पूरी सुरक्षा स्थिति के बारे में भी जानकारी दी थी.


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