भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद यानी आईसीएचआर की तरफ से ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ समारोह को लेकर जारी किए गए पोस्टर में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की तस्वीर न होने के मामले में अब भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद ने अपना रुख साफ किया है. आईसीएचआर की तरफ से कहा गया है कि ये कोई गलती नहीं बल्कि आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले लोगों के योगदान को याद दिलाने के लिए जो प्रक्रिया अपनाई गई है उसका हिस्सा है.
नेहरू जी की तस्वीर नहीं होना आजादी में उनके योगदान को किसी भी तरीके से कम नहीं करता. ऐसे तो पोस्टर में कई और महापुरुषों की भी तस्वीर नहीं है लेकिन इससे उनका मान या योगदान कम नहीं हो जाता. भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के सदस्य सचिव प्रो. कुमार रत्नम के मुताबिक आईसीएचआर की तरफ से जारी किए गए पोस्टर में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की तस्वीर ना होना कोई चूक का नहीं बल्कि ये एक प्रक्रिया का हिस्सा है. प्रोफेसर कुमार रतन ने कहा कि आज इस पोस्टर में नेहरू जी तस्वीर नहीं है तो कल हो सकता है कि दूसरे पोस्टर में पटेल जी या भगत सिंह की न हो.
व्यक्तित्व और उनके नाम से है उनका मान
प्रोफेसर कुमार रत्नम ने कहा कि इन पोस्टर्स में देश की आज़ादी के महानायकों को जगह अभी भी मिली है और आगे भी मिलती रहेगी. साथ ही बात जो लोग राजनीति कर रहे हैं उनको यह समझना चाहिए कि देश को आजादी दिलाने वाले महापुरुषों का मान किसी एक पोस्टर में लगने वाली तस्वीर से नहीं बल्कि उनके व्यक्तित्व और उनके नाम से है जिसको कोई कम नहीं कर सकता.
इसके साथ ही वीर सावरकर को पोस्टर में जगह देने के मुद्दे पर आईसीएचआर की तरफ से कहा गया कि वीर सावरकर को इस पोस्टर में जगह देना ज़रूरी था क्योंकि उनके योगदान को कमतर नहीं आंका जा सकता. वीर सावरकर का देश की आजादी की लड़ाई में एक अहम योगदान था जिसका भले ही कई जगह उल्लेख ना किया गया हो लेकिन यह सच है कि वीर सावरकर ने देश को आजादी दिलवाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी थी.
नेहरू जी का कद छोटा करने की कोशिश नहीं है
आईसीएचआर द्वारा जारी किए गए इस पोस्टर पर सवाल उठाने वाले और राजनीतिक बयान देने वाले लोगों को जवाब देते हुए प्रोफेसर कुमार रत्नम ने कहा कि ऐसे तो इस पोस्टर में भगत सिंह को जगह मिली है पर चंद्रशेखर आज़ाद नहीं है इसका मतलब ये नहीं कि उनके कद को कमतर किया गया है. किसी भी सूरत में ये नेहरू जी का कद छोटा करने की कोशिश नहीं है और वैसे भी किसी एक पोस्टर में किसी की तस्वीर न होने से किसी का कद छोटा नहीं हो जाता.
रही बात इस आरोप की कि भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद ने केंद्र सरकार के इशारे पर नेहरू जी की तस्वीर हटाई है तो आईसीएचआर के सदस्य सचिव का कहना है कि आईसीएचआर एक ऑटोनॉमस बॉडी है. साथ ही ये सरकार के कहने पर कुछ नहीं करती बल्कि रिसर्च और इतिहास के आधार पर और उसको ध्यान में रखते हुए फैसले लिए जाते हैं. लिहाजा इस पोस्टर पर भी राजनीति नहीं होनी चाहिए क्योंकि आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान इस तरीके के कई पोस्टर जारी होंगे जिसमें देश के स्वाधीनता आंदोलन में हिस्सा लेने वाले तमाम महापुरुषों के बारे में जानकारी दी जाएगी.
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