The Conclave 2023: कांग्रेस सरकार ने कराई है ओबीसी समुदाय की जनगणना, आंकड़ा जारी करे केंद्र: राहुल गांधी
Rahul Gandhi: राहुल गांधी ने कहा है कि रमेश बिधूड़ी के विवादित बयान या भारत का नाम बदलने की बातें कुछ और नहीं, बल्कि देश की मुख्य समस्याओं से ध्यान भटकाने की कोशिशें हैं.
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Rahul Gandhi In Conclave 2023: महिला आरक्षण विधेयक संसद के दोनों सदनों में पास हो जाने के बाद चल रहे ओबीसी आरक्षण विवाद पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दावा किया है कांग्रेस की सरकार ने पहले ही ओबीसी समुदायों की जनगणना कराई है, केंद्र सरकार को इसका आंकड़ा जारी करना चाहिए.
दिल्ली में आयोजित ‘द कंक्लेव 2023’ कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे राहुल गांधी ने दावा किया है कि ओबीसी समुदाय का आंकड़ा वास्तव में भारत की स्थिति को बेहतर ढंग से समझने में मददगार होगा.
उन्होंने कहा, “मैं इस बात से हैरान हूं कि भारत सरकार को नियंत्रित करने वाले 90 लोगों में से केवल 3 OBC हैं. ये 3 लोग 5% इंडियन बजट को कंट्रोल करते हैं. बाकी 95% अनकंट्रोल है. इसलिए OBC समुदाय का आंकड़ा यह बताएगा कि वास्तव में ये 5% पर्सेंट लोग हैं या इनकी संख्या ज्यादा है. हमारे पास OBC सेंसस का डाटा पहले से है. सरकार इसे जारी करे. कांग्रेस की सरकार ने जनगणना करवाई थी.''
2024 के चुनाव में 'इंडिया' गठबंधन की सरकार बनने पर अपनी रणनीति के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार लोगों से पावर छीन रही है और हमारी सरकार उन्हें ताकतवर बनाएगी. सभी को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार का समान और बिना भेदभाव वाला अवसर मिलेगा.
'वन नेशन, वन इलेक्शन का मुद्दा मुख्य समस्याओं से ध्यान भटकने की कोशिश'
भारत सरकार ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर समिति बनाई है. इस बावत पूछे गए एक सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने कहा, “यह देश के मुख्य मुद्दों पर से ध्यान भटकने की बीजेपी की कई रणनीतियों में से एक है. हमारे देश में संसदीय चुनाव एक साथ ही शुरू हुए थे, लेकिन राज्यों के चुनाव अलग तारीख पर होते हैं क्योंकि कोई मुख्यमंत्री है, अगर 2 साल बाद उसे लगता है कि वह चुनाव करवाने में कंफर्टेबल है तो करवा सकता है. जाहिर सी बात है कि कोई भी मुख्यमंत्री जब चाहे चुनाव करवा सकता है. इसलिए अलग-अलग चुनाव होते हैं.”
इसके बाद राहुल गांधी से पूछा गया कि क्या भारत जैसे देश में जहां मल्टी पार्टियां है, वहां कई राज्यों में एक साथ चुनाव करवाना प्रैक्टिकली संभव होगा? इसके जवाब में उन्होंने कहा, “देखिए देश में मुख्य मुद्दे कुछ और हैं. देश में अमीरों और गरीबों के बीच बड़ी वित्तीय असमानता है. भारी बेरोजगारी है. पिछड़ी जातियों, ओबीसी और ट्राइबल (आदिवासी समुदायों) के साथ भेदभाव के मुख्य मुद्दे हैं. इन पर से ध्यान भटकाया जा सके इसलिए नए-नए मुद्दे उछालते हैं. जैसे रमेश बिधूड़ी अपशब्दों का इस्तेमाल कर देते हैं, एक साथ चुनाव कराने की बात होती है, देश का नाम बदलने की बात होती है. यह सब ध्यान भटकाने वाले मुद्दे हैं. हम इसे भलीभांति समझते हैं और उन्हें (बीजेपी) ऐसा करने नहीं देंगे.''
क्या है 'वन नेशन, वन इलेक्शन'?
बता दें कि भारत सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' यानी देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए समिति गठित की है. इसकी पहली बैठक भी शनिवार (23 सितंबर) को हो चुकी है.
दावा है कि लोकसभा चुनाव और राज्यों के विधानसभा चुनाव अलग-अलग होने से अर्धसैनिक बलों की तैनाती, चुनाव कर्मियों का वेतन, इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने समेत अन्य जरूरतें पूरी करने में बड़ी धनराशि लगातार खर्च होती है. अगर वन नेशन वन इलेक्शन लागू होगा तो एक साथ एक ही खर्चे में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव संपन्न हो सकेंगे.
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