देश का पहला BVLOS मेडिकल ड्रोन लाएगा हेल्थ सेक्टर में बड़ा बदलाव!
कंपनी के फाउंडर और सीईओ नागेंद्रन कंदासामी की माने तो दो वेरिएंट के ड्रोंस बनाए गए हैं. एक जो कि अपने साथ 1 किलो का पेलोड लेकर करीब 20 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है तो दूसरा अपने साथ 2 किलो का पेलोड लेकर 15 किलो मीटर की दूरी तय कर सकता है.
बेंगलुरुः भारत का पहला बियोंड विजुअल लाइन ऑफ साइट मेडिकल ड्रोन का ट्रायल बेंगलुरु से करीब 90 किलोमीटर दूर गौरीबिडनुर में किया जा रहा है. इस ड्रोन को तैयार किया है बेंगलुरु की कंपनी थ्रोटल एयरोस्पेस सिस्टम्स (टीएएस) ने, जो अगले 35 से 40 दिनों तक लगातार इन ड्रोंस का ट्रायल करेगी .
इस कंसोर्टियम में टीएएस के अलावा, इनवोली-स्विस भी शामिल है. इनवोली-स्विस पेशेवर ड्रोन एप्लिकेशन के लिए एयर ट्रैफिक अवेयरनेस सिस्टम में माहिर है. इसमें हनीवेल एयरोस्पेस एक सेफ्टी एक्सपर्ट के रूप में काम कर रही है. कंसोर्टियम दो तरह के ड्रोन का प्रयोग करेगा. इनमें एक मेडकॉप्टर और टीएएस शामिल है. ऑन-डिमांड डिलीवरी सॉफ्टवेयर को रैंडिंट नाम दिया गया है.
इस ड्रोन के फाइनल एप्रूवल से पहले डीजीसीए के गाइडलाइन 100 घंटे के ट्रायल को पारा करना होगा. इसलिए कंपनी ने 125 घंटों का टारगेट रखा है. ट्रायल के बाद लॉग को समीक्षा के लिए डीजीसीए को सौंपा जाएगा. इस 20 मार्च 2020 में ही डीजीसीए से ट्रायल की अनुमति मिल गई थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण कुछ अन्य प्रक्रियाएं बाकी रह गई थीं. इसे अब पूरा कर लिया गया है.
इसे किसी भी तरह की मेडिकल इमरजेंसी में इस्तेमाल किया जा सकता है. कंपनी का यह भी कहना है कि एक ट्रायल यह भी किया गया कि जिस जगह पहुंचने में एंबुलेंस 30 मिनट लगाती है वहीं दूरी यह ड्रोन मेडिकल सप्लाई के साथ 7 मिनट में तय कर सकती है.
इससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि ड्रोन टेक्नोलॉजी आने वाले दिनों में हेल्थ सेक्टर के लिए कितनी कारगर साबित हो सकती है. इसका इस्तेमाल मिलिट्री रिक्वायरमेंट के लिए किया जा सकता हैं. साथ ही ऑर्गन ट्रांसपोर्ट में भी बहुत ही कम समय में इसे एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक पहुंचाया जा सकता है.
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