श्रीहरिकोटा: कोरोना महामारी के बीच इसरो अपना कमबैक करने जा रहा है. इस साल का पहला सैटेलाइट नवंबर 7 को प्रक्षेपित किया जाएगा. दुश्मन देशों पर नजर रखने के लिए इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन 'EOS-01' (अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट) लॉन्च करने जा रहा है. इस सैटेलाइट को PSLV-C49 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा. बता दें कि इसरो 'EOS-01' को 7 नवंबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से दोपहर 3:02 मिनट पर लॉन्च करेंगे. इसके लिए 26 घंटे की उल्टी गिनती शुक्रवार दोपहर 01 बजकर 02 मिनट पर शुरू हो चुकी है.


रॉकेट का प्राथमिक पेलोड भारत का राडार इमेजिंग उपग्रह EOS-01 है, यह RISAT-2BR2 उपग्रह है जिसका नाम बदलकर EOS 01 रखा गया हैं. EOS-01 अडवांस्ड अर्थ ऑब्जरवेशन उपग्रह है जिसका सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) दिन और रात की परवाह किए बिना बादलों को भेद कर भी हाई रेसोलुशन की तस्वीर लेने में सक्षम है. भारत की नई आंख अंतरिक्ष से सेना की निगरानी क्षमता को बढ़ावा देगी और सुरक्षा बलों को चीन के साथ LAC स्टैंड-ऑफ के बीच सीमाओं पर नजर रखने में मदद करेगी. अपनी निगरानी भूमिका के अलावा, ईओएस -01 का उपयोग कृषि, वानिकी, मिट्टी की नमी, भूविज्ञान, तटीय निगरानी और बाढ़ निगरानी जैसे नागरिक अनुप्रयोगों के लिए भी किया जाएगा.


जबकि ग्राहक उपग्रहों को न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL), अंतरिक्ष विभाग के साथ वाणिज्यिक समझौते के तहत लॉन्च किया जा रहा है. इसरो ने यह भी कहा है कि श्रीहरिकोटा के SDSC SHAR में COVID-19 महामारी मानदंडों के मद्देनजर इस बार मीडिया कर्मियों के एकत्रीकरण पर पाबन्दी है. साथ ही लॉन्च व्यू गैलरी इस लॉन्च के दौरान रखी जाएगी. हालांकि लॉन्च का सीधा प्रसारण इसरो की वेबसाइट, यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर चैनलों पर उपलब्ध होगा.


कोविड -19 महामारी के बीच यह इसरो का पहला उपग्रह प्रक्षेपण होगा, कोरोना के बीच मार्च से सभी अंतरिक्ष गतिविधियों पर ख़ासा असर पड़ा है. एजेंसी अगले महीने तक अपने नए रॉकेट स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएसएलवी) या मिनी-पीएसएलवी के बहुप्रतीक्षित परीक्षण के लिए भी तैयार है.

इससे पहले इसरो ने RISAT-2BR1 को PSLV C48 के जरिये प्रक्षेपित किया था. उसके बाद, जनवरी 2020 में, GSAT-30 संचार उपग्रह को एरियन-5 वीए-251 पर लॉन्च किया गया था. इसरो को 5 मार्च 2020 को GISAT-1 ऑनबोर्ड जीएसएलवी-एफ 10 के लॉन्च करना था, जिसे तकनीकी मुद्दों के कारण स्थगित कर दिया गया था.


PSLV C49 लॉन्च के तुरंत बाद ISRO PSLV C50 के माध्यम से अपने बहुप्रतीक्षित GSAT-12R उपग्रह को लॉन्च करेगा और फिर GISAT-1 सैटेलाइट को GSLV रॉकेट के ज़रिये प्रक्षेपित किया जायेगा.


इस बार, इसरो पीएसएलवी रॉकेट के डीएल वैरिएंट का उपयोग करेगा जिसमें दो स्ट्रैप-ऑन बूस्टर मोटर्स लगें होंगे. इससे पहले इस रॉकेट वैरिएंट को पहली बार 24 जनवरी, 2019 को माइक्रोसैट आर सैटेलाइट में इस्तेमाल किया गया था.


चीन की ओर से पिछले कई महीनों से जिस तरह से पूर्वी लद्दाख पर तनाव की स्थिति बनी हुई है, उसे देखने के बाद ये सैटेलाइट सीमा पर पैनी नजर रखेग. इसके साथ ही पाकिस्तान की ओर से जिस तरह से आतंकी घुसपैठ की घटना को अंजाम दिया जाता रहा है, उसे देखते हुए भी ये सैटेलाइट भारतीय सेना की काफी मदद करेगी.