ये कहानी किसी को भी भावुक कर सकती है. इस कहानी के किरदार एक पति पत्नी है. जो दूसरे देश की जेल में उस गुनाह की सज़ा काट रहे हैं जो उन्होंने कभी किया ही नहीं. इसके साथ एक मासूम बच्ची भी है जिसने जेल में ही जन्म लिया है.


दरअसल कहानी की शुरुआत कुछ साल पहले हुई थी. मुंबई के रहने वाले शरीक कुरेशी की शादी मुंबई की ही ओनिबा कुरेशी के साथ मई 2018 में धूमधाम से हुई. इस शादी से दोनों ही परिवार खुश थे. शादी के बाद ओनिबा अपना घर छोड़कर अपने पति के घर में आ गई. लेकिन शरीक अपनी पत्नी ओनिबा को हनीमून के लिए कही ले जा नहीं पाया था. तब शरीक की एक आंटी ने उसे कहा कि वो उसके लिए शादी में कोई गिफ्ट नही दे पाई थी वो उनकी तरफ से गिफ्ट में हनीमून पैकेज ले लो. शरीक अपनी आंटी की बात टालता रहा. शादी को एक साल बीत गया लेकिन आंटी अपनी बात पर अड़ी रही और बार बार हनीमून गिफ्ट के बारे में बात करती रही और एक दिन शरीक की आंटी ने दोनों पति पत्नी से बिना पूछे उनके हनीमून का प्लान कर दिया. दोनों के हनीमून के लिए जगह चुनी गई. कतर, दोहा हालांकि शरीक बार-बार मना करता रहा लेकिन आंटी नहीं मानी. आंटी ने कहा कि अब तो टिकट हो चुकी हैं होटल बुक हो चुका है अगर नहीं गए तो सब पैसा बर्बाद हो जाएगा.


आंटी किस बात पर शरीक और ओनिबा दोनों मान गए, और दोनों ने कतर जाने की तैयारी शुरू कर दो तब आंटी ने बताया कि पहले उनको बेंगलुरु जाना है वहां से कतर की फ्लाइट है. हालांकि, कतर की फ्लाइट मुंबई से भी जाती है लेकिन आंटी ने शरीर और ओनिबा की फ्लाइट बैंगलोर से क्यों करवाई ये आप को कहानी लागे पता चलेगा. बहरहाल दोनों मुंबई से बैंगलोर पहुंचते है. वहां दोनों को एक होटल में रखा जाता है इसके बाद शरीक की आंटी तबस्सुम का फोन आना शुरू होता है. आंटी दोनों पति-पत्नी को समझा दिए हैं कि आखिरकार कतर में उन्हें क्या-क्या सामान लेकर जाना है कितने कपड़े लेकर जाने हैं बैग कितने लेकर जाने हैं और वहां जाकर क्या करना है इसके अलावा दोनों को एक बैग भी दिया जाता है और यह कहा जाता है यह बैग एक रिश्तेदार को वहां पर देना है. क्योंकि शरीक एक पढ़ा-लिखा शख्स था लिहाजा उसने आंटी से पूछ लिया कि इस बैग में क्या है तब आंटी ने बताया कि व्यक्ति के अंदर माणिकचंद का जर्दा है जो कतर में नहीं मिलता है और एक रिश्तेदार को देना है. शरीक ने एक बार नहीं बल्कि कई बार पूछा क्योंकि उसे बैग ले जाने में डर लग रहा था. आंटी लगातार जर्दे की बात कहती रही. क्योंकि सगी आंटी थी लिहाजा शरीक ने भी उन पर विश्वास कर लिया.


कतर जाने की तारीख तय हुई 6 जुलाई 2019. शरीक और उसकी पत्नी ओनिबा दोनों कतर पहुंचे. दोनों दोहा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंचे दोनों की तलाशी हो लेकिन वहां पर कुछ नहीं मिला इसके बाद जब दोनों के बैग स्कैन हुए तभी कस्टम वाला वहां पर पहुंचा और एक बैग को रोक लिया गया. उस बैग की तलाशी ली गई उस दिन में कुछ कपड़े थे कपड़ों के नीचे एक और बैग और बैग था जो आंटी ने दिया था जब उस बैग को खोला गया तब उसमें एक पैकेट निकला जिसके अंदर 4 किलो चरस थी. बैग में चरस को देखकर दोनों के पैरों तले की जमीन खिसक जाती है. दोनों लगातार कस्टम और दोहा पुलिस को यह बताते रहते हैं कि वह बेगुनाह हैं लेकिन दोनों की कोई भी नहीं सुनता. दोनों पर मामला दर्ज किया जाता है और जेल भेज दिया जाता है.


इधर मुंबई में ओनिबा और शरीक के परिवार वाले परेशान हो जाते हैं क्योंकि कई दिन बीत जाने के बाद भी दोनों की तरफ से कोई फोन घर पर नहीं पहुंचता. थक हार कर दोनों परिवार वाले आंटी तबस्सुम के पास पहुंचते है. तब उन्हें पता चलता है कि तबस्सुम एक ड्रग सिंडिकेट का हिस्सा है जिस के जाल में वह दोनों पति पत्नी फंस गए है.


इसके बाद घर वाले अपनी शिकायत लेकर मुंबई पुलिस आ जाते हैं लेकिन उन्हें कुछ हासिल नहीं होता तभी घरवालों को शरीक का फोन घर में मिलता है दरअसल शरीक अपना फोन लेकर नहीं गया था फोन वह घर पर ही छोड़ गया था जब घरवाले उसका फोन चेक करते हैं तब उसमें तबस्सुम की रिकॉर्डिंग मिलती है जिसमें शरीक तबस्सुम से बार-बार यह पूछ रहा है कि आखिरकार इस बैग में है क्या और वह बार-बार कह रही है कि उसमें सिर्फ जर्दा है. परिवार वालों ने हिम्मत नहीं हारी और अपनी आपबीती लेकर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पास जब नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के डायरेक्टर राकेश अस्थाना ने यह कहानी सुनी और घरवालों ने जो सबूत दिखाए तो उन्हें भी लगा कि जरूर दाल में कुछ काला है इसके बाद इस मामले की जांच एनसीबी के तेजतर्रार ऑफिसर केपीएस मल्होत्रा को दी गई.


उधर कतर में मामला अदालत पहुंचता है दोनों अपनी बेगुनाही साबित नहीं कर पाते लिहाजा अदालत दोनों को ड्रग्स के मामले में 10 साल की सजा सुना देती है. दोनों पति-पत्नी जेल चले जाते हैं आपको बता दें कि जिस वक्त ओनिबा मुंबई से कतर आई थी वो 3 महीने की प्रेग्नेंट थी और जेल में ही उसने एक बच्ची को जन्म दिया.


मामले की जांच करते हुए केपीएस मल्होत्रा ने पाया कि वाकई में दोनों पति पत्नी बेकसूर हैं. दरअसल आंटी तबस्सुम के फोन को सर्विलांस पर लगाया गया और एनसीबी की टीम को यह जानकारी मिली की ड्रग्स का ये गैंग एक और कपल को विदेश भेजने जा रहा है. यही से इस पूरी कहानी से पर्दा उठ गया. नारकोटिक्स की टीम में तबस्सुम और उसके गैंग के साथियों को गिरफ्तार कर लिया.


नारकोटिक्स डिपार्टमेंट की कोशिश है कि इन बेगुनाहों को कतर से भारत लाया जाए और असली गुनहगारों को जेल में भेजा जाए जिसके लिए विदेश मंत्रालय समेत तमाम कानूनी मदद एनसीबी ले रही है।