मुंबई: एक भारतीय दंपति ने बिना कोर्ट गए आपसी सहमति से तलाक ले लिया. पति-पत्नी दोनों प्रोफेशनल हैं और तीन साल से एक-दूसरे से अलग रह रहे थे. जब दोनों ने बांद्रा कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दी थी, तो वे दोनों यहां नहीं थे. पति बाली में था और पत्नी दुबई में थी, जहां वह काम करती है. दोनों ने वर्ष 2002 में स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी की थी. लॉकडाउन के दौरान दोनों ने अपने विवाहित जीवन को खत्म करने का फैसला लिया.
बाली में भारतीय वाणिज्य दूतावास ने पहले तो पति के दस्तावेजों को सत्यापित करने से मना कर दिया, लेकिन बाद में काफी अनुरोध के बाद आपसी सहमति के लिए सहायता करने में भूमिका निभाई. बाली के अधिकारियों अपवाद स्वरूप तलाक की याचिका और पावर ऑफ अटॉर्नी से जुड़े दस्तावेजों को सत्यापित करने की अनुमति दी. उसके बाद उसने पिछले साल दिसंबर में याचिका दायर की. पिछले महीने, दंपति ने वर्चुअल काउंसलिंग की और अपसी सहमति की पुष्टि करने के लिए वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पेश हुए.
उनके वकील पिपली दत्ता ने याचिका दायर करने के बाद उन्हें छह महीने की कूलिंग पीरियड की छूट दी. लेकिन, दंपति ने कहा कि जब से वे दो साल और सात महीने से अलग रह रहे हैं, तो आपसी सहमति से तलाक की याचिकाओं के मामले में छह महीने की प्रतीक्षा अवधि उनकी पीड़ा को लंबा खींचने के अलावा कुछ नहीं है. दत्ता ने कहा कि वाणिज्य दूतावास छह महीने बाद अंतिम सुनवाई के लिए एक बार फिर पति के दस्तावेजों को सत्यापित करने में सक्षम नहीं हो सकता है. स्ट्रेन वायरस के फैलने का हवाला देते हुए उन्होंने कहा था कि जब तक कूलिंग ऑफ पीरियड माफ नहीं किया जाता है, तब तक मामला छोड़ दिया जाएगा.
यह भी पढ़ें.
उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें, दिल्ली रवाना हुए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत
UP Panchayat Election 2021: पंचायत चुनाव के लिए मायावती ने कसी कमर, शुरू की मंडलीय बैठकें