कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से पूछा: क्या नलिनी की याचिका पर मानवीय आधार पर विचार किया जा सकता है
पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रही नलिनी के अपने परिजनों से वीडियो कॉल पर बात करने के लिए एक याचिका लगाई थी. जिस पर मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को तमिलनाडु सरकार से पूछा है कि क्या मानवीय आधार पर इस मुद्दे पर विचार किया जा सकता है.
चेन्नईः मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को तमिलनाडु सरकार से पूछा कि पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रही नलिनी के अपने परिजनों से वीडियो कॉल पर बात करने सबंधी अनुरोध पर क्या मानवीय आधार पर विचार किया जा सकता है.
पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी हत्या मामले में दोषी पाए गए नलिनी श्रीहरन और उसके पति मुरुगन श्रीलंका और लंदन में अपनी मां और बहन से वीडियो कॉल के जरिये बात करना चाहते हैं लेकिन राज्य सरकार उन्हें इस तरह का संचार करने से मना कर रही है.
न्यायमूर्ति एन किरुबाकरन और न्यायमूर्ति आर हेमलथा की एक खंडपीठ ने कहा 'कानून को छोड़ दें, हम सरकार से जानना चाहेंगे कि क्या उन्हें (नलिनी और मुरुगन) मानवीय आधार पर कॉल करने की अनुमति दी जा सकती है.' खंडपीठ ने राज्य के सरकारी वकील ए नटराजन को सरकार से इस संबंध में पूछने के लिए कहा है.
यह मुद्दा नलिनी की मां एस पद्मा द्वारा दायर एक याचिका से संबद्ध है. नलिनी की मां ने याचिका के जरिये जेल अधिकारियों को यह निर्देश देने का अनुरोध किया है कि उनकी बेटी और दामाद मुरुगन को परिवार के लोगों से वीडियो कॉल पर बात करने की अनुमति दी जाये.
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