ऐसा पहली बार हुआ है कि जब किसी मामले की जांच भारत में की गई और विदेश की अदालत में सुनवाई हुई. एक पति-पत्नी को विदेश की अदालत ने बेगुनाह माना और बाइज्जत बरी कर दिया. हम बात कर रहे हैं शरीक कुरेशी और उसकी पत्नी ओनिबा कुरेशी की. इन दोनों पति पत्नी को जुलाई 2019 को एक साजिश के तहत एक गैंग ने कतर भेजा था और वहां दोनों ड्रग्स के साथ गिरफ्तार हो गए थे. इसके बाद मामले की जांच भारत में NCB ने की और जांच के दौरान ये साफ हो गया कि दोनों निर्दोष है. कतर की अदालत ने भारत में NCB की जांच को सही माना और दोनों को बरी कर दिया.


दरअसल कहानी की शुरुआत कुछ साल पहले हुई थी. मुंबई के रहने वाले शरीक कुरेशी की शादी मुंबई की ही ओनिबा कुरेशी के साथ मई 2018 में धूमधाम से हुई थी. इस शादी से दोनों ही परिवार खुश थे. शादी के बाद ओनिबा अपना घर छोड़कर अपने पति के घर में आ गई. लेकिन शरीक अपनी पत्नी ओनिबा को हनीमून के लिए कही ले जा नहीं पाया था. तब शरीक की एक आंटी ने उसे कहा कि वो उसके लिए शादी में कोई गिफ्ट नही दे पाई थी लेकिन अब गिफ्ट में हनीमून पैकेज दे रही हैं. शरीक अपनी आंटी की बात टालता रहा. इस तरह शादी को एक साल बीत गया लेकिन आंटी अपनी बात पर अड़ी रही और बार-बार हनीमून गिफ्ट के बारे में बात करती रही और एक दिन शरीक की आंटी ने दोनों पति-पत्नी से बिना पूछे उनके हनीमून का प्लान कर दिया. दोनों के हनीमून के लिए जगह चुनी गई- दोहा (कतर). हालांकि शरीक बार-बार मना करता रहा लेकिन आंटी नहीं मानी. आंटी ने कहा कि अब तो टिकट हो चुकी हैं, होटल बुक हो चुका है. अगर नहीं गए तो सब पैसा बर्बाद हो जाएगा.


आंटी की इस बात पर शरीक और ओनिबा दोनों मान गए और दोनों ने कतर जाने की तैयारी शुरू कर दी. तब आंटी ने बताया कि पहले उनको बेंगलुरु जाना है और वही से कतर की फ्लाइट लेनी है. हालांकि कतर की फ्लाइट मुंबई से भी जाती है लेकिन आंटी ने शरीर और ओनिबा की फ्लाइट बेंगलुरु से क्यों करवाई? बहरहाल दोनों मुंबई से बेंगलुरु पहुंचे. वहां दोनों एक होटल में ठहरे. इसके बाद शरीक की आंटी तबस्सुम फोन कर पति-पत्नी को समझाती हैं कि आखिरकार कतर में उन्हें क्या-क्या सामान ले जाना है. कितने कपड़े लेकर जाने हैं. बैग कितने लेकर जाने हैं. और वहां जाकर क्या करना है. इसके अलावा दोनों को एक बैग भी दिया जाता है और यह कहा जाता है यह बैग एक रिश्तेदार को वहां पर देना है. क्योंकि शरीक एक पढ़ा-लिखा शख्स था लिहाजा उसने आंटी से पूछ लिया कि इस बैग में क्या है. तब आंटी ने बताया कि बैग के अंदर माणिकचंद का जर्दा है जो कतर में नहीं मिलता है और एक रिश्तेदार को देना है. शरीक ने एक बार नहीं बल्कि कई बार पूछा लेकिन आंटी लगातार जर्दे की बात कहती रही. क्योंकि सगी आंटी थी. लिहाजा शरीक ने भी उन पर विश्वास कर लिया.


कतर जाने की तारीख तय हुई 6 जुलाई 2019. शरीक और उसकी पत्नी ओनिबा दोनों कतर पहुंचे. दोनों दोहा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंचे. दोनों की तलाशी हुई लेकिन वहां पर कुछ नहीं मिला. इसके बाद जब दोनों के बैग स्कैन हुए तभी कस्टम वाला वहां पर पहुंचा और एक बैग को रोक लिया गया. उस बैग की तलाशी ली गई. उस बैग में कुछ कपड़े थे. कपड़ों के नीचे एक और बैग था, जो आंटी ने दिया था. जब उस बैग को खोला गया तब उसमें एक पैकेट निकला, जिसमें 4 किलो चरस थी. बैग में चरस को देखकर दोनों के पैरों तले की जमीन खिसक गई. दोनों लगातार कस्टम और दोहा पुलिस को यह बताते रहते हैं कि वह बेगुनाह हैं लेकिन दोनों की कोई भी नहीं सुनता. दोनों पर मामला दर्ज किया जाता है और जेल भेज दिया जाता है.


इधर मुंबई में ओनिबा और शरीक के परिवार वाले परेशान हो जाते हैं क्योंकि कई दिन बीत जाने के बाद भी दोनों की तरफ से कोई फोन घर पर नहीं पहुंचता है. थक-हारकर दोनों परिवार वाले आंटी तबस्सुम के पास पहुँचते है. तब उन्हें पता चलता है कि तबस्सुम एक ड्रग सिंडिकेट का हिस्सा है जिसके जाल में वह दोनों पति-पत्नी फंस गए हैं.


इसके बाद घरवाले अपनी शिकायत लेकर मुंबई पुलिस के पास पहुंचे लेकिन उन्हें कुछ हासिल नहीं होता. इस बीच घरवालों को शरीक का फोन घर में मिलता है. दरअसल शरीक अपना फोन लेकर नहीं गया था. जब घरवाले उसका फोन चेक करते हैं तब उसमें तबस्सुम की रिकॉर्डिंग मिलती है जिसमें शरीक तबस्सुम से बार-बार यह पूछ रहा है कि आखिरकार इस बैग में है क्या और वह बार-बार कह रही है कि उसमें सिर्फ जर्दा है. परिवार वालों ने हिम्मत नहीं हारी और अपनी आपबीती लेकर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पास पहुंचे. जब नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के डायरेक्टर राकेश अस्थाना ने यह कहानी सुनी और घरवालों ने जो सबूत दिखाए तो उन्हें भी लगा कि जरूर दाल में कुछ काला है. इसके बाद इस मामले की जांच एनसीबी के तेजतर्रार ऑफिसर केपीएस मल्होत्रा को दी गई.


उधर कतर में मामला अदालत पहुंचता है. दोनों अपनी बेगुनाही साबित नहीं कर पाते. लिहाजा अदालत दोनों को ड्रग्स के मामले में 10 साल की सजा सुना देती है. दोनों पति-पत्नी जेल चले जाते हैं आपको बता दें कि जिस वक्त ओनिबा मुंबई से कतर आई थी वो 3 महीने की प्रेग्नेंट थी और जेल में ही उसने एक बच्ची को जन्म दिया.


मामले की जांच में केपीएस मल्होत्रा ने पाया कि वाकई में दोनों पति-पत्नी बेकसूर हैं. दरअसल आंटी तबस्सुम के फोन को सर्विलांस पर लगाया गया और एनसीबी की टीम को यह जानकारी मिली कि ड्रग्स का ये गैंग एक और कपल को विदेश भेजने जा रहा है. यही से इस पूरी कहानी से पर्दा उठ गया. नारकोटिक्स की टीम में तबस्सुम और उसके गैंग के साथियों को गिरफ्तार कर लिया.


इस पूरे मामले पर NCB कंट्रोल ब्यूरो के डिप्टी डायरेक्टर KPS मल्होत्रा ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में बताया कि सिंडिकेट का हेड निजाम को अरेस्ट किया गया. इस पूरी इन्वेस्टिगेशन का कर्क्स और जो टेक्निकल एविडेंस थे जो स्टेटमेंट थी. उसको हमने पूरा प्रॉपर कंपाइल किया उसको हमने MHA to MEA, MEA to इंडियन एम्बेसी कतर भेजा गया. उस पर कतर के कोर्ट ने जो कॉग्निजेंस लिया पहले तो इनके सेंटेंस को विद हेल्ड किया गया और यह एक ऐतिहासिक बात थी कि 29 मार्च 2021 को इनको ए क्विटल कर दिया गया. इनका प्रोसेस रिपेट्रिएशन का शुरू हो चुका है. कुछ ही महीनों बाद पति-पत्नी वहां से डिपोट कर दिए जाएंगे। बाइज्जत बरी होने के बाद कतर की जेल से पति-पत्नी भारत आ जायेंगे. इसमें नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की इन्वेस्टीगेशन को कतर की कोर्ट ने मानवीय माना है.