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EWS कोटे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या आरक्षण के प्रावधान पर आने वाले वक्त में असर डालेगा?

ईडब्लूएस आरक्षण कोटा के अंदर वह व्यक्ति आता है जो जनरल कैटेगरी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग हो. इस कोटा के अंदर एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग नहीं आते.

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आरक्षण को लेकर एक बहुत अहम फैसला सुनाया है. इस फैसले ने आरक्षण के गणित को ही पूरी तरह बदलकर रख दिया. 7 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने EWS आरक्षण को हरी झंडी दे दी. जिसके बाद अब आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को भी शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत का आरक्षण मिल सकेगा.

एक तरफ जहां इस फैसले को मोदी सरकार की बहुत बड़ी जीत बताई जा रही है वहीं दूसरी तरफ इसका व्यापक राजनीतिक और सामाजिक असर होगा. सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की पीठ में से 3 जज आरक्षण के पक्ष में थे. तीन जजों ने अधिनियम को बरकरार रखने के पक्ष में जबकि चीफ जस्टिस और एक न्यायाधीश ने इस पर असहमति जताई.


EWS कोटे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या आरक्षण के प्रावधान पर आने वाले वक्त में असर डालेगा?

अगर इस फैसले को गहराई से देखा जाए तो सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण पर मुहर लगाने वाले फैसले में जजों ने सरकार को आरक्षण को लेकर आगे की नीति पर सोचने विचारने की नसीहत दी है. ऐसे में आइये जानते हैं कि EWS आरक्षण का फायदा किन्हें मिलेगा और इस फैसले से कैसे बदल जाएगा आरक्षण का गणित.

पटना यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर राघव कहते हैं कि जैसा हमने बचपन से सुना और पढ़ा है कि आरक्षण का लक्ष्य गैर बराबरी को बराबरी पर लाना है. तो मेरे हिसाब से आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को भी आरक्षण मिलना चाहिये. कल के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बात करें तो उन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत का आरक्षण मिलने को सही ठहराया है.

इस तरह का फैसला अपने आप में पहली बार है क्योंकि अब तक हमारे देश के अंदर एक धारणा बन गई थी की आरक्षण के हकदार सिर्फ एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के लोग ही हो सकते हैं. लेकिन अब सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ापन के साथ ही आर्थिक स्थिति का कमजोर होना भी आरक्षण का आधार बन सकता है. 

एससी एसटी और ओबीसी को रखा गया बाहर 

एबीपी न्यूज से बातचीत में प्रोफेसर राघव कहते हैं, 'EWS आरक्षण से एससी एसटी और ओबीसी को बाहर रखा जा रहा है, कई लोगों का मानना है कि ऐसा करना उनके साथ भेदभाव है. लेकिन इसके पीछे पूरी गणित जिसे आप समझेंगे तो कहेंगे कि  ईडब्लूएस आरक्षण से बाहर रखना इन तीन वर्गों के साथ किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं है. ऐसे समझिये कि कानून के अनुसार आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. वर्तमान में देश में एससी, एसटी और ओबीसी कैटेगरी को 50 प्रतिशत सीमा के अंदर ही आरक्षण दिया जा रहा है.' 

अब मामला यहीं फंस रहा था कि लोगों को लग रहा था EWS आरक्षण के बाद इसकी सीमा 60 प्रतिशत हो जाएगी, और ऐसा होना संविधान के खिलाफ है. यही कारण है कि केंद्र के इस फैसले के खिलाफ कोर्ट में करीबन 40 से ज्यादा याचिकाएं दायर हुई थी. लेकिन अब मैं आपको बताता हूं कि कोर्ट ने क्या कहा और किस हिसाब से इस फैसले को सही ठहराया. 

प्रोफेसर राघव कहते हैं कि वर्तमान में 50 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है. इसमें 27 फीसदी ओबीसी, 15 फीसदी एससी और 7.5 फीसदी एसटी को आरक्षण मिल रहा है. केंद्र सरकार ने EWS आरक्षण को लाते हुए कहा कि हमने 50 प्रतिशत वाले नियम को नहीं तोड़ा है क्योंकि हम जो 10 प्रतिशत आरक्षण आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को दे रहे हैं वो जेनरल कैटेगरी के लोग ही हैं. और यह उनके 50 प्रतिशत में ही आएगा. जिससे बाकी के 50 प्रतिशत वाले ब्लॉक को डिस्टर्ब नहीं किया जा रहा है. 

किन्हें मिलेगा EWS आरक्षण का फायदा


EWS कोटे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या आरक्षण के प्रावधान पर आने वाले वक्त में असर डालेगा?

EWS आरक्षण कोटा के अंदर वह व्यक्ति आते हैं जो जनरल केटेगरी के हों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग हो. इस कोटा के अंदर एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग नहीं आते. जनरल केटेगरी के वह लोग जिनकी सालाना आमदनी 8 लाख से कम है उन्हें भी इस आरक्षण का लाभ मिलेगा. अगर व्यक्ति गांव से है तो जिसके पास 5 एकड़ से कम खेती की जमीन है या 1000 वर्ग फुट का मकान है वह भी EWS आरक्षण के तहत आते हैं. इसके अलावा जिस परिवार के पास अधिसूचित निगम में 100 वर्ग गज या गैर-अधिसूचित निगम में 200 वर्ग गज प्लॉट का प्लॉट है वह भी इस कोटा के अंदर आते हैं.

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