नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में रजिस्टर्ड वाहनों की संख्या एक करोड़ को पार कर गई है. प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंचने के मुद्दों को दिल्ली के परिवहन विभाग के लिए साल 2017 चुनौतीपूर्ण माना जा रहा. सार्वजनिक परिवहन की अपर्याप्त सुविधा को लेकर आलोचना के बीच विभाग ने महिला सुरक्षा बेहतर बनाने के कदमों के अलावा और अधिक बसों को शामिल करने के लिए विभाग ने कड़ी मशक्कत की.
विभाग के लिए साल की सबसे बड़ी बात मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरफ से मई महीने में नए परिवहन मंत्री के रूप में कैलाश गहलोत को नियुक्त करना रहा. नजफगढ़ से विधायक गहलोत के सामने बसों की कमी से जूझ रहे दिल्ली परिवहन निगम के साथ सार्वजनिक परिवहन सुविधाओं को बढ़ाने की चुनौती रही.
आम आदमी पार्टी की सरकार के तीन साल के कार्यकाल में एक भी बस ना खरीदने को लेकर चौतरफा आलोचनाओं का सामना कर रहे मंत्री ने 2,000 बसों को खरीदने की प्रक्रिया शुरू की. विभाग वायु प्रदूषण से निपटने के लिए 500 इलेक्ट्रिक बसों को सड़कों पर उतारने पर भी काम कर रहा है और उसने इस संबंध में केंद्र से मदद मांगी है.
वहीं महिला यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने के मकसद से विभाग ने कैब ऑपरेटरों को निर्देश दिए कि वह यात्रियों को यह अलर्ट करने के लिए स्टिकर लगाए कि वे जिस वाहन में बैठे हैं उनमें चाइल्ड लॉक डिएक्टिवेट है. बहरहाल, विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती वायु प्रदूषण की आपात स्थिति के दौरान लाखों यात्रियों के लिए सार्वजनिक परिहवन की सुविधाएं मुहैया कराना है.
शहर में रजिस्टर्ड वाहनों की संख्या इस साल मई में एक करोड़ को पार कर गई. इसके अलावा विशेषज्ञों ने 32 लाख कारों के अलावा 66 लाख से अधिक दुपहिया वाहनों को उत्सर्जन के खराब मानकों के कारण वायु प्रदूषण फैलाने के प्रमुख कारक बताए. विभाग ने इस साल शहर टैक्सी योजना और पार्किंग नीति पर भी काम किया. हालांकि अभी इसकी घोषणा नहीं की गई है.