द इकोनॉमिस्ट का आकलन, 'CAA-NRC को लेकर डरे हुए हैं 20 करोड़ भारत के मुसलमान'
लंदन से प्रकाशित होने वाली प्रसिद्ध अंग्रेजी पत्रिका द इकोनॉमिस्ट के ताजा अंक में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा गया है और कहा गया है कि वो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को खतरे में डाल रहे हैं.
नई दिल्ली: लंदन से प्रकाशित होने वाली प्रसिद्ध अंग्रेजी पत्रिका द इकोनॉमिस्ट के ताजा अंक में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा गया है और कहा गया है कि वो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को खतरे में डाल रहे हैं.
25 जनवरी 2020 के इस अंक की कवर स्टोरी है- असहिष्णु भारत, कैसे विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को खतरे में डाल रहे हैं मोदी.
इस कवर स्टोरी में पीएम मोदी की नीतियों की विस्तृत समीक्षा की गई है और लिखा गया है कि वो एक सहिष्णु व बहुधर्मीय भारत को हिंदू राष्ट्र में बदलने की कोशिशें कर रहे हैं.
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इस लेख में कहा गया कि पीएम मोदी की इस कोशिश से भारत में रहने वाले 20 करोड़ मुसलमान डरे हुए हैं. लेख में कहा गया है कि इस तरह बीजेपी को फायदा पहुंच रहा है. ये नीतियां बीजेपी की चुनाव जीतने में मदद कर सकती हैं लेकिन देश के लिए ठीक नहीं हैं.
स्टोरी में आगे कहा गया है कि धर्म और राष्ट्रीयता के आधार पर विभाजन ने बीजेपी को मजबूत किया है और लोगों का ध्यान गिरती अर्थव्यवस्था से हटा है. एनआरसी के लंबे वक्त तक चलने वाली प्रक्रिया है जिसके जरिए बीजेपी को फायदा होगा.
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इस एनआरसी में लिस्ट बनाई जाएगी जिसमें सुधार किए जाएंगे और फिर से लिस्ट बनाई जाएगी. ऐसे में मोदी खुद को देश के हिन्दुओं के रक्षक के रूप में पेश करेंगे. जबकि बीजेपी की जीत के बाद से ही भारत की अर्थव्यवस्था चुनौतियों से जूझ रही है.
जैसे ही द इकोनॉमिस्ट से इसे ट्वीट किया वैसे ही इस पर चर्चा शुरू हो गई. बीजेपी विचारधारा वाला लोग जहां इस पर निशाना साध रहे हैं वहीं विपक्षी लोग इसे सच्चाई बता रहे हैं.
ऐसा नहीं है कि द इकॉनॉमिस्ट ने पहली बार भारत को लेकर कुछ लिखा है. 2010 और 2015 में भी पत्रिका ने भारत पर स्टोरी की थी.