Delta Varient के खिलाफ 3 महीने बाद घट जाता है कोविशील्ड का असर, Lancent की स्टडी में कही गई चौंकाने वाली बात
Lancet New Study on Covishield Vaccine: रिसर्चर ने कहा कोविशील्ड वैक्सीन लेने वाले सभी व्यक्ति को बूस्टर डोज के तौर पर तीसरी खुराक लेने के बारे में जरूर सोचना चाहिए.
Lancet New Study on Covishield Vaccine: लैंसेट की एक स्टडी में कोविशील्ड (Covishield) को लेकर नई बात सामने आई है. दरअसल स्टडी के अनुसार कोविड (Covid-19) से बचाव के लिए लगाई जाने वाली वैक्सीन 'कोविशील्ड' से मानव शरीर को मिलने वाली सुरक्षा 3 महीने बाद कम होने लगती है. यानी कोविशील्ड का असर 3 महीने बाद कम होने लगता है. बता दें कि भारत में कोविशील्ड वैक्सीन का उपयोग को बड़े पैमाने पर लोगों को वैक्सीनेट करने के लिए किया गया है. ऐसे में इस तरह की बात सामने आना काफी चिंताजनक है.
कोविशील्ड को विकसित करने वाली कंपनी का नाम एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) है जबकि इसका उत्पादन SII ने किया है. हालंकि लैंसेट ने ही हाल ही में किए गए अपनी स्टडी के बाद कहा था कि कोवीशिल्ड कोरोना के डेल्टा वेरिएंट (Delta Varient) से बचाव में काफी असरदार है. यह वैक्सीन मानव शरीर (Human Body) को कोरोना से 63 फीसदी तक सुरक्षा प्रदान करता है.
दरअसल लैंसेट के स्टडी में SII द्वारा उत्पादित कोविशील्ड वैक्सीन के दो डोज का स्कॉटलैंड और ब्राजिल में अध्ययन किया गया. इस स्टडी को लेकर रिसर्चर का कहना है कि हमने पाया कि उस वैक्सीन का असर 3 महीने बाद धीरे धीरे कम होने लगता है. उन्होंने कहा कि हमने पाया है कि कोविशील्ड की दूसरी खुराक लेने के 3 महीने बाद इम्यूनिटी में स्पष्ट अंतर देखा गया है. वहीं स्कॉटलैंड और ब्राजील दोनों में अस्पताल में भर्ती और मौतों को लेकर कोविड-19 के खिलाफ ChAdOx1 nCoV-19 वैक्सीन की सुरक्षा कम हो गई है.
बूस्टर डोज देने के बारे में सोचना चाहिए
रिसर्चर ने कहा कोविशील्ड वैक्सीन लेने वाले सभी व्यक्ति और जिन देशों में बड़े पैमाने पर इस वैक्सीन का इस्तेमाल किया गया है उन्हें बूस्टर डोज के तौर पर तीसरी खुराक लेने के बारे में जरूर सोचना चाहिए. यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो के प्रोफेसर श्रीनिवास कटीकिरेड्डी ने कहा कि इस स्टडी के दौरान स्कॉटलैंड में कोविशील्ड की खुराक ले चुके 9,72,454 लोगों को शामिल किया गया जबकि ब्राजील में वैक्सीन लेने वाले 4,25,58,839 लोगों को शामिल किया गया था. लैंसेट के मुताबिक इस स्टडी की शुरूआत स्कॉटलैंड में 19 मई 2021 से की गई थी जबकि ब्राजील में अध्ययन की शुरूआत 18 जनवरी 2021 से की गई और 25 अक्टूर 2021 तक चली.
वैक्सीनेशन के बाद भी बढ़े संक्रमितों के आंकड़े
अध्ययन में कहा गया कि जिन देशों में कोरोना वैक्सीन लेने वाले लोगों की संख्या ज्यादा थी वहां का भी संक्रमण ज्यादा पाया गया. हालंकि उन्होंने ये भी कहा कि ऐसा नए वेरिएंट के पाए जाने के कारण भी हो सकता है. लेकिन इस बात को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता कि समय के साथ टीके की प्रभावशीलता कम हो रही हो. वहीं नवंबर में सामने आए ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर इस स्टडी में शोधकर्ताओं ने कुछ नहीं कहा है.