नई दिल्ली: सरकार ने अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दलहन, आलू और प्याज जैसी कृषि उपज को ‘नियंत्रणमुक्त’ करने का फैसला किया है. इसके लिए सरकार साढ़े छह दशक पुराने आवश्यक वस्तु अधिनियम (ईसीए) में संशोधन करने जा रही है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को आर्थिक पैकेज की तीसरी किस्त जारी करते हुए यह घोषणा की. इन संशोधनों के जरिये जहां खाद्य उत्पादों के उत्पादन और बिक्री को नियंत्रणमुक्त किया जाएगा, वहीं किसी भी उत्पाद पर स्टॉक सीमा लागू नहीं होगी.

इन उत्पादों पर राष्ट्रीय आपदा मसलन अकाल जैसी आसाधारण परिस्थतियों में ही स्टॉक या भंडारण सीमा लगाई जा सकेगी. कोविड-19 महामारी के बीच सरकार ने अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की है. इसी राहत पैकेज की तीसरी किस्त की घोषणा करते हुए सीतारमण ने कहा कि प्रसंस्करणकर्ताओं और मूल्य श्रृंखला के भागीदारों पर भी स्टॉक सीमा लागू नहीं होगी. सीतारमण ने किसानों को विपणन का विकल्प उपलब्ध कराने के लिए कृषि विपणन सुधारों की भी घोषणा की.

उन्होंने मछलीपालन, डेयरी विकास, औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती और मवेशी टीकाकरण के लिए भी नए कोष की घोषणा की. वित्त मंत्री ने कहा कि डेयरी प्रसंस्करण, मूल्यवर्धन, मवेशी चारा क्षेत्र में निवेश को समर्थन के लिए 15,000 करोड़ रुपये का पशुपालन संरचना विकास कोष स्थापित किया जाएगा. सीतारमण ने कहा कि सभी मवेशियों को खुरपका- मुंहपका बीमारियों से बचाव के टीकाकरण के लिए 13,343 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए जाएंगे. उन्होंने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत मछुआरों को 10,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने की घोषणा की.

हर्बल खेती को प्रोत्साहन के लिए 4,000 करोड़ रुपये के लिए राष्ट्रीय औषधीय पौध कोष की घोषणा की गई है. इसके तहत 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को इस तरह की स्वास्थ्यवर्धक जड़ी बूटियों की खेती के तहत लाने का लक्ष्य है. सीतारमण ने कहा कि अब ऑपरेशन हरित का विस्तार टमाटर, प्याज और आलू से आगे सभी फलों और सब्जियों तक किया जाएगा. इन चीज़ों के परिवहन और भंडारण पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी.

आर्थिक पैकेज की तीसरी किस्त में मधुमक्खी पालकों के लिए बुनियादी ढांचा विकास को 500 करोड़ रुपये की योजना की भी घोषणा की गई है.

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