Central Government के इस फैसले से आएगी गेहूं और आटा की कीमतों में कमी, बढ़ते दामों पर लगेगी लगाम
Central Government export Ban On Wheat: सरकार के ही आंकड़ों के मुताबिक़ पिछले एक महीने में जहां गेहूं की औसत ख़ुदरा क़ीमत 28.37 रुपए प्रति किलो से बढ़कर 29.49 रुपए प्रति किलो हो गई.
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Central Government Export Ban On Wheat: केंद्र सरकार (Central Government) ने कहा है कि गेहूं के निर्यात पर प्रतिबन्ध के फ़ैसले से घरेलू बाज़ार में गेहूं और आटे की बढ़ती क़ीमत पर लगाम लग सकेगा. सरकार के मुताबिक़ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (National Food Security Mission) और मुफ़्त राशन योजना (Free Ration Scheme) के तहत मिलने वाले अनाज के लिए गोदामों में पर्याप्त अनाज उपलब्ध है. घरेलू बाज़ार में गेहूं और आटे की क़ीमत में बढ़ोत्तरी को देखते हुए सरकार ने कल गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फ़ैसला किया.
सरकार के ही आंकड़ों के मुताबिक़ पिछले एक महीने में जहां गेहूं की औसत ख़ुदरा क़ीमत 28.37 रुपए प्रति किलो से बढ़कर 29.49 रुपए प्रति किलो हो गई. वहीं गेहूं के आटा की क़ीमत 32.06 रुपए प्रति किलो से बढ़कर 32.91 रुपए प्रति किलो हो गई है. गेहूं की क़ीमत में जहां एक महीने में 3.95 फ़ीसदी की बढोत्तरी हुई है वहीं आटे की क़ीमत 2.65 फ़ीसदी बढ़ गई. अगर पिछले साल से तुलना करें तो गेहूं की कीमत में करीब 20 फ़ीसदी और आटे की कीमत में करीब 14 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
गेहूं की कीमतों की बढ़ोत्तरी को देखते हुए निर्यात रोकने का निर्णय
केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे के मुताबिक कीमत में हो रही इस बढ़ोतरी को रोकने के लिए ही गेहूं का निर्यात रोकने का फैसला किया गया है. खाद्य सचिव ने उम्मीद जताई कि इस फैसले से अब घरेलू बाजार में गेहूं और आटे की बढ़ती कीमत पर काबू पाया जा सकेगा. केंद्र सरकार के मुताबिक गेहूं के उत्पादन में इस साल होने वाली कमी के बावजूद सरकार के पास गेहूं का पर्याप्त भंडार मौजूद है.
गेहूं के निर्यात पर सशर्त प्रतिबंध
सरकार का अनुमान है की मई में गेहूं खरीद सीजन खत्म होने तक सरकारी भंडार में गेहूं का 486 लाख मैट्रिक टन स्टॉक उपलब्ध रहेगा. जबकि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत मिलने वाले सस्ते अनाज और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मिलने वाले मुफ्त अनाज के लिए गेहूं की 305 लाख मैट्रिक टन की जरूरत पड़ेगी. सरकार ने एक बार फिर साफ किया कि गेहूं के निर्यात पर सशर्त प्रतिबंध लगाया गया है. आने वाले दिनों में अगर माहौल माकूल रहा तो निर्यात रोकने के फैसले पर पुनर्विचार किया जा सकता है.
सरकार की प्राथमिकता पहले अपने देश की जरूरतें पूरी हों फिर पड़ोसी देशों की
केंद्रीय वाणिज्य सचिव बी वी आर सुब्रमण्यम ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता देश में गेहूं की जरूरतों का ख़्याल तो रखना ही है लेकिन साथ ही साथ पड़ोसी देशों और दुनिया के अन्य जरूरतमंद देशों में अनाज की कमी पूरा करने की भी है. सुब्रमण्यम ने साफ किया कि जिन मामलों में गेहूं के निर्यात के लिए अनुबंध हो चुका है और लेटर ऑफ क्रेडिट भी जारी हो चुका है वैसे मामलों में प्रतिबंध का फ़ैसला लागू नहीं होगा.
रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते गेहूं की कीमतें बढ़ीं
दरअसल इस साल रूस और यूक्रेन के बीच जारी संकट के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कमी को देखते हुए मिस्र और तुर्की समेत कुछ अन्य देशों ने भारत से गेहूं मंगाने का फैसला किया था. गेहूं की इस मांग को देखते हुए निजी व्यापारियों ने किसानों से सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी से कहीं ज्यादा कीमत पर गेहूं खरीद लिया ताकि निर्यात किया जा सके. लेकिन इसके चलते गेहूं की कीमत बढ़ती जा रही थी जिसने सरकार की चिंता बढ़ा दी थी.
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