मुंबई: कोरोना वायरस कई तरह से लोगों को प्रभावित कर रहा है. लोगों की जान के लिये ये बीमारी खतरा बनकर उभरी है और अर्थव्यवस्था पर भी दुष्परिणाम दिखने शुरू हो गये हैं. लेकिन इनके साथ-साथ कोरोना सामाजिक रिश्तों को भी बिगाड़ रहा है. पड़ोसी को पड़ोसी से लड़वा रहा है. एक गांव में रहने वाले लोगों के बीच नफरत पैदा करवा रहा है.
कोरोना के डर की वजह से महारष्ट्र के कई गांवों ने अपने आप को सील कर रखा है. किसी को गांव के अंदर या बाहर नहीं आने जाने दिया जा रहा. गांव को जोड़ने वाली सड़कों पर बड़े बड़े पत्थर या कटे हुए पेड़ बिछा दिये गए हैं ताकि कोई बाहरी वाहन गांव में न घुस सके. ऐसे में हो ये रहा है कि किसी शख्स को किसी जरूरी काम के लिये या शोक के किसी मौके पर गांव में आना पड़े तो उन्हें भी नहीं आने दिया जा रहा.
महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री अनिल परब ने ऐसा ही एक मामला बताया. परब के मुताबिक बीते हफ्ते 2 युवक उनके पास आये और बताया कि कोंकण के एक गांव में उनके पिता का निधन हो गया है. पिता के अंतिम संस्कार के लिये उन्हें पास की जरूरत है. परब ने तुरंत पुलिस को बोलकर उनके लिये पास का इंतजाम करा दिया.लेकिन जब गांव वालों को पता चला कि दिवंगत शख्स के अंतिम संस्कार के लिये उनके बेटे मुंबई से आने वाले हैं तो उन्होंने बेटों को फोन करके हिदायत दी कि वे गांव ना आयें. उन्हें गांव में घुसने नहीं दिया जायेगा.
उनकी गांव वालों से तीखी बहस हुई लेकिन गांव वाले नहीं माने और कहा कि उनके पिता का अंतिम संस्कार वे खुद ही कर देंगे. परब के मुताबिक उन बेचारे युवकों ने उन्हें बताया कि पिता को अग्नि न दे पाने की बात उन्हें जिंदगी भर खटकेगी. गांव वालों के प्रति इन युवकों के मन में गहरी नफरत भी पैदा हो गई है.
नासिक के पास मशरूम का उत्पादन करने वाले एम.के झा को भी गांव वालों की तरफ से बनाये गये लॉकडाउन के सख्त नियमों की वजह से दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. झा की कंपनी कैंबियम भारत में मशरूम का उत्पादन करने वाली 6 बडी कंपनियों में से एक है और इनका मशरूम दुनिया के कई देशों में निर्यात किया जाता है. झा के मुताबिक हालांकि सरकार ने कृषि संबंधी गतिविधियों के लिये ढिलाई दे दी है लेकिन हर गांव अपने अलग ही नियम पर अमल कर रहा है. उनके प्लांट पर काम करने वाले मजदूर जिन गांवों से आते हैं उन गांवों को सील कर रखा गया है और मजदूर बाहर नहीं निकल पा रहे. इस वजह से झा के प्लांट पर मशरूम उत्पादन ठप पड़ा हुआ है.
संवाददाता को मुंबई के कांदिवली इलाके से एक महिला ने फोन पर बताया कि गुजरात से उसकी बेटी, दामाद और 4 महीने की पोती सेहत की जांच करवाकर और पुलिस की अनुमति लेकर मुंबई में आये हैं. मुंबई आने के बाद जिस बिल्डिंग में ये महिला रहती है उसकी हाउसिंग सोसायटी ने उन्हें बिल्डिंग के अंदर आने देने से मना कर दिया. महिला ने बताया कि सभी की सेहत की जांच के कागजात दिखाने के बावजूद भी सोसायटी उन्हें नहीं आने दे रही. पुलिस से भी कोई मदद नहीं मिल रही.
इस जैसे तमाम मामले मुंबई में सामने आ रहे हैं जहां कोरोना वायरस के संक्रमण के डर से हाउसिंग सोसायटी बाहर से आने वाले लोगों को घुसने नहीं दे रही. आने वाले दिनों में ऐसे मामले और भी बढ़ सकते हैं क्योंकि सरकार की ओर से ढील दिये जाने पर राज्य में बड़े पैमाने पर लोग एक जिले से दूसरे जिले में जाएंगे. मुंबई से निकल कर दूसरे शहरों और गांवों में जाने वालों को ज्यादा दिक्क्त होगी क्योंकि लगातार बढ़ रहे मामलों की वजह से मुंबई की इमेज देश के कोरोना कैपिटल की हो गई है. ऐसे में पुलिस और स्थानीय प्रशासन का हस्तक्षेप जरूरी हो जायेगा.
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