एलएसी पर युद्ध के मैदान से पहली बार चीनी सेना के कैंप की तस्वीरें सामने आई हैं. ये तस्वीरें पैंगोंग-त्सो के दक्षिण में कैलाश रेंज के तलहटी में कर-वैली की हैं. इन तस्वीरों के देखकर साफ हो जाता है कि चुशूल सेक्टर में भारतीय सेना चीन पर हावी क्यूं है. ये पहली बार है कि युद्ध के मैदान में चीनी सेना के कैंप की तस्वीरें सामने आई हैं. अभी तक सैटेलाइट तस्वीरें ही सामने आई थीं.


चीनी छावनी की कुल तीन तस्वीरें सामने आई हैं. इन तस्वीरों में एक घाटी में चीनी सेना के कई कैंप दिखाई दे रहे हैं. कैंप में चीनी सेना के तंबू और मिलिट्री-ट्रक खड़े दिखाई दे रहे हैं. लेकिन हैरानी की बात है कि इतनी बड़ी तादाद में चीनी तंबू के बावजूद एक भी सैनिक कैंप के बाहर नहीं दिखाई दे रहा है.



सूत्रों के मुताबिक, हालांकि, अभी तक ये साफ नहीं है कि ये तस्वीरें कितनी पुरानी हैं, लेकिन क्योंकि एक तस्वीर जो ऊंचाई से ली गई है उसमें बर्फ दिखाई पड़ रही है. और दूसरी में कहीं-कहीं बर्फ दिखाई दे रही है, ऐसे में ये तस्वीरें हाल की ही लग रही हैं क्योंकि ठंड के कारण कोई भी चीनी सैनिक कैंप के बाहर नहीं दिखाई पड़ रहा है.



चीनी कैंप की तस्वीरें ऐसे समय में आई हैं जब हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने अपनी सालाना रिपोर्ट मे कहा था कि पूर्वी लद्दाख में चीन से सटी एलएसी पर भारतीय सेना की मोर्चाबंदी पूरी हो चुकी है और किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए भारतीय सैनिक तैयार हैं.


थलसेना प्रमुख ने नए साल पर एलएसी चुशूल सेक्टर का दौरा किया था


थलसेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने भी क्रिसमस और नए साल के अवसर पर एलएसी के चुशूल सेक्टर का दौरा किया था. उस वक्त उन्होनें यहां तैनात भारतीय सेना के सैनिकों के साथ साथ टैंक और मैकेनाइज्ड इंफेंट्री की बीएमपी व्हीकल्स वाली ब्रिगेड की तैयारियों का खासतौर से समीक्षा की थी. क्योंकि चीनी सेना ने कैलाश रेंज की दूसरी तरफ अपनी सीमा में बड़ी तादाद में टैंक और  आर्मर्ड पर्सनल कैरियर व्हीकल्स (बीएमपी की तरफ व्हीकल्स) का जमावड़ा कर रखा है. सेना द्वारा जारी की गई इन तस्वीरों में भारतीय सेना के ऊंचाई पर कैंप भी देखे जा सकते हैं.



प्री-एम्पटिव ऑपरेशन कर भारतीय सेना ने चीन पर हासिल की थी बढ़त


आपको बता दें कि ये कर-वैली पैंगोंग-त्सो के दक्षिण में कैलाश पर्वत श्रृंखला में है. इसे स्थानीय लोगों में त्सो-कर वैली के नाम से भी जाना जाता है. जहां सें ये तस्वीरें ली गई हैं वो थोड़ी ऊंचाई वाली जगह है. इसी कैलाश रेंज के मुखपरी, मगर हिल, गुरंग हिल और रेचिन ला दर्रे जैसी पहाड़ियों पर भारतीय सेना ने 29-30 अगस्त की रात को प्रीएम्टिव-ऑपरेशन कर अपने अधिकार-क्षेत्र में कर लिया था. उसके बाद से ही चीनी सेना तिलमिलाई हुई है, क्योंकि एलएसी से सटे चीन (तिब्बत) का मोलडो-गैरिसन, स्पैंगूर गैप और रेकिन (रेचिन) ग्रेजिंग-लैंड भारतीय सेना की जद में आ गए हैं.


चीनी सैनिक कैलाश रेंज की तलहटी में डेरा डाले हुए हैं


भारतीय सेना की कारवाई के बाद चीनी सेना ने मध्यकालीन बर्बर हथियारों से इन उंचाई वाले इलाकों में भारतीय सेना के कैंपों पर हमला करने की कोशिश की थी. लेकिन भारतीय सेना ने अपने कैंपों की घेराबंदी कर चीन की पीएलएस सेना को दो-टूक जवाब भी दे दिया था कि अगर चीनी सैनिक करीब आए तों उनपर गोली चलाने से भी नहीं चूकेंगे. तब से चीनी सैनिक कैलाश रेंज की तलहटी में डेरा डालकर पड़े हुए हैं. दोनों देशों के बीच पिछले दो महीनों से कोर कमांडर स्तर की कोई बातचीत भी नहीं हुई है. आखिरी मीटिंग 6 नबम्बर को हुई थी. हालांकि, राजनयिक स्तर पर बातचीत जरूर हुई है.



भारत और चीन के बीच आठ महीने से चल रहा है तनाव


आपको बता दें कि भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख से सटी लाइन ऑफ कंट्रोल यानि एलएसी पर पिछले आठ महीने से तनाव चल रहा है. गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुए हिंसक-संघर्ष में भारत के 20 जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे, और चीनी सेना को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था.


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