नई दिल्ली: जनवरी 2020 के सर्द रविवार का दिन कई मुल्कों की राजधानियों में खासी गहमागहमी वाला रहा. कूटनीतिक हॉटलाइने घनघनाती रहीं. जिन पर अनेक देशों के विदेश मंत्री और राजनयिक आपस में बात करते रहे. मगर दुनिया के अलग-अलग कोनों से हो रहे इन फोन कॉल का विषय एक ही था- ईरान और अमेरिका के बीच तनाव. दिल्ली, मॉस्को, बीजिंग, काबुल, तेहरान,वाशिंगटन और पेरिस के हो रही इन फोन वार्ताओं में तनाव घटाने की कोशिशों पर कूटनीतिक कवायदें होती रहीं. इस सरगर्मी से भारत भी अछूता नहीं था.


विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ से फोन पर बात की. वहीं अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियों से भी चर्चा की. इसके अलावा उनकी ओमानी विदेश मंत्री यूसुफ अलावी, संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री अब्दुल्ला बिन जायद से भी क्षेत्रीय हालात पर चर्चा हुई. डॉ जयशंकर के मुताबिक ईरानी विदेश मंत्री के साथ रविवार शाम हुई बातचीत के दौरान इस मामले पर चर्चा हुई कि घटनाक्रम ने काफी गंभीर मोड़ ले लिया है. इसको लेकर भारत की भी चिंताएं हैं. दोनों नेताओं के बीच संपर्क में रहने पर भी रजामंदी हुई. वहीं अमेरिकी विदेश सचिव के साथ बातचीत में डॉ जयशंकर ने खाड़ी क्षेत्र के हालात के मद्देनजर इलाके में भारत की चिंताओं और हितों को साझा किया.


विदेश मंत्री की इस फोन पर चर्चा को लेकर आधिकारिक सूत्रों कहना है कि भारत पश्चिम एशिया के घटनाक्रम पर नजदीक से नजर बनाए हुए है. साथ ही सभी संबंधित पक्षों के साथ संपर्क भी बनाए हुए है क्योंकि इस इलाके में भारत के सक्रिय और गहरे हित जुड़े हुए हैं. इसी कड़ी में विदेश मंत्री ने रविवार को अमेरिका और ईरान समेत चार देशों के विदेश मंत्रियों से बात की.


दरअसल, अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर भारत की चिंताएं बेसबब वहीं है. फारस की खाड़ी से सटे मुल्कों के साथ भारत के आर्थिक और आबादी के हित जुड़े हैं. इस इलाके में भारत के जहां करीब 80 लाख लोग रहते हैं, वहीं भारत जैसे बड़े तेल आयातक मुल्क की ऊर्जा जरूरतों के लिहाज से भी यह इलाका बहुत अहम है. ऐसे में अगर अमेरिका और ईरान के बीच किसी सैन्य टकराव की सूरत बनती है या खाड़ी क्षेत्र में संघर्ष की आग भड़कती है तो इसका सीधा असर भारत पर भी होगा.


सुरक्षा परिषद में तालमेल से आगे बढ़ेंगे रूस और चीन


साथी विदेश मंत्रियों से बातचीत का यह सिलसिला केवल नई दिल्ली की चिंताओं का ही नमूना नहीं है, बल्कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सदस्य मुल्कों के विदेश मंत्रियों के बीच भी रविवार को फोन वार्ताओं का सिलसिला चलता रहा. शनिवार को ईरान के विदेश मंत्री से चर्चा के बाद चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और फ्रांस के विदेश मंत्री जीन वेस लेद्रियां से बात की. चीनी विदेश मंत्रालय के मुताबिक वांग यी ने अपने रूसी समकक्ष से बातचीत में कहा कि सैन्य दुस्साहस की इजाजत नहीं दी जा सकती. ऐसे में रूस और चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपनी सझेदारी बनाए रखें और तालमेल के साथ आगे बढ़ें. रूसी विदेश मंत्रालय ने भी कहा अमेरिका की तरफ से कई एक तरफ कार्रवाई ने मध्यपूर्व में तनाव बढ़ा दिया है.


अफगानिस्तान ने ईरान को दिया भरोसा


इस बीच अफगानिस्तान ने ईरान को भरोसा दिया है कि वो अपने जमीन का इस्तेमाल किसी भी दूसरे मुल्क के खिलाफ हमले के लिए नहीं होने देगा. अफगान राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ घनी ने रविवार शाम ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहोनी को फोन कर आश्वासन दिया कि अफगानिस्तान-अमेरिका सुरक्षा समझौते के तहत किसी भी अन्य देश पर हमले के लिए अफगानी जमीन का इस्तेमाल नहीं होगा. साथ ही इराक में दो दिन पहले ईरानी जनरल की मौत पर शोक भी जताया.


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