Death Sentence To Indian Nurse In Yemen: मौत की सजा पा चुकी भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की मां प्रेमा अपनी बेटी की जान बचाने के लिए युद्धग्रस्‍त यमन जाएंगी. निमिषा मूल रूप से केरल की रहने वाली हैं. दिल्ली हाई कोर्ट ने उनकी मां को यमन जाने की अनुमति तो दे दी है लेकिन साफ कर दिया है कि वह अपने रिस्क पर युद्ध ग्रस्त क्षेत्र में जाएंगी. अदालत की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि अगर उन्‍हें यमन में कुछ हुआ तो इसमें भारत सरकार की कोई जिम्‍मेदारी नहीं होगी.


कोर्ट में अपनी याचिका में निमिषा की मां ने साफ कर दिया था कि वह अपने रिस्क पर ही यमन जाना चाहती हैं. भारत सरकार ने यहां यात्रा पर फिलहाल प्रतिबंध लगा रखा है क्योंकि यहां हूती विद्रोहियों और सरकार के बीच पिछले आठ सालों से जंग चल रही है.


ब्लड मनी पर करेंगी बात
नर्स की मां ने कहा है कि वह जाकर पीड़ित परिवार से ‘ब्‍लड मनी’ पर बात करेंगी. यानि मौत के लिए मुआवजा देकर हालात को संभालने की कोशिश करेंगी. केरल के पलक्कड़ की रहने वाली भारतीय नर्स पर यमन के नागरिक तलाल एब्दो महदी को इंजेक्शन लगाकर हत्या का आरोप है. इसी मामले में स्थानीय अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई है. उनकी मां की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट के  न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की अध्‍यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार से कहा कि वो अपनी ट्रेवल एडवाइजरी में थोड़ा ढील दें, ताकि यह मां यमन की यात्रा कर सके. यमन की राजधानी सना में एक एयरलाइन के सीईओ के रूप में कार्यरत भारतीय सैमुअल जेरोम के मां प्रेमा कुमारी के साथ यात्रा करने की उम्मीद है. 


भारत सरकार ने क्यों खड़े किए हाथ
2016 से गृह युद्ध की आग में जल रहे यमन में भारतीय नागरिकों की यात्रा पर भारत सरकार ने 2017 से प्रतिबंध लगा कर रखा है. यमन की राजधानी में हूती विद्रोहियों का कब्जा है जो सरकार के खिलाफ सशस्त्र युद्ध लड़ रहे हैं. भारत सरकार के साथ कूटनीतिक संबंध नहीं होने की वजह से यहां यात्रा पर रोक लगा दी गई थी. इस मुस्लिम कंट्री में जब हालात बिगड़ने लगे थे तब 2014 में ही भारतीय नर्स निमिषा के पति और बेटी लौट आए थे, लेकिन उसका पासपोर्ट यमन के नागरिक तलाल एब्दो महदी के कब्जे में होने की वजह से वह लौट नहीं पाई.


क्यों हुई है भारतीय नर्स को मौत की सजा?
आठ साल के बच्चे की मां निमिषा 2011 से यमन के सना में काम करती है. इस शहर पर हूती विद्रोहियों का कब्जा है. प्रिया साल 2017 में यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या की दोषी है. महदी के कब्जे से अपना पासपोर्ट छुड़ाने के लिए प्रिया ने उसे इंजेक्शन में नशीला पदार्थ दे दिया था. बेहोशी की दवा के ओवरडोज से महदी की मौत हो गई. इस मामले में प्रिया और एक अन्‍य शख्‍स को मौत की सजा सुनाई गई है.


मां ने हाई कोर्ट के समक्ष याचिका में कहा कि बेटी की जान बचाने के लिए वो यमन में मृतक के परिवार से “ब्लड मनी” देने पर बातचीत करना चाहती हैं. यह भी दावा है की महदी ने भारतीय नर्स को शारीरिक तौर पर प्रताड़ित किया था और जबरदस्ती उसका पासपोर्ट अपने कब्जे में ले लिया था.


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