'गैर-कानूनी तरीके से रोकी फिल्म की स्क्रीनिंग', स्टालिन-ममता सरकार के खिलाफ SC पहुंचे 'द केरला स्टोरी' के निर्माता
पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में द केरला स्टोरी पर बैन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे फिल्म के निर्माताओं ने कहा, CBFC से एक बार फिल्म को प्रसारण सर्टिफिकेट मिलने के बाद बैन करना गैरकानूनी है.
The Kerala Story appealed In SC: फिल्म 'द केरला स्टोरी' का प्रदर्शन दो राज्यों में रोके जाने के खिलाफ निर्माता सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. कोर्ट ने मामले पर जल्द सुनवाई के अनुरोध को स्वीकार करते हुए शुक्रवार, 12 मई को सुनवाई की बात कही है. निर्माताओं ने बताया है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने आदेश जारी कर राज्य में फिल्म का प्रदर्शन रुकवा दिया है, वहीं तमिलनाडु में भी सरकार के दबाव में सिनेमा हॉल फिल्म नहीं दिखा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील को कहा है कि वह याचिका की कॉपी दोनों राज्यों के वकीलों को दें, ताकि वह शुक्रवार को सुनवाई में मौजूद रहें.
फिल्म के निर्माता सनशाइन पिक्चर्स और विपुल अमृतलाल शाह की तरफ से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने मामला चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने रखा. शुरू में चीफ जस्टिस ने 15 मई को सुनवाई की बात कही. उन्होंने कहा कि उस दिन वह याचिकाएं भी सुनवाई के लिए लगाई गई हैं, जिनमें फिल्म पर प्रतिबंध की मांग की गई है. दोनों को साथ में सुना जा सकता है. इस पर हरीश साल्वे ने कहा, केंद्रीय फ़िल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) का सर्टिफिकेट मिलने के बाद राज्य सरकारों की तरफ से लगाई गई रोक अवैध है. इससे हर दिन निर्माताओं को नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसके बाद चीफ जस्टिस ने शुक्रवार को सुनवाई की बात कही.
'गैर-कानूनी है फिल्म पर लगाया गया बैन'
याचिकाकर्ताओं की तरफ से बताया गया है कि CBFC ने फिल्म को देखने के बाद उसे सर्टिफिकेट दिया है. फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने जो दृश्य हटाने का निर्देश दिया, उनका भी पालन किया गया है. कानूनन CBFC के सर्टिफिकेट को हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है. केरल हाई कोर्ट और मद्रास हाई कोर्ट ने फिल्म की रिलीज रोकने से मना कर दिया. इसके बावजूद 2 राज्यों में गैरकानूनी तरीके से फिल्म का प्रदर्शन रुकवा दिया गया है.
याचिका में बताया गया कि 2011 में प्रकाश झा की फिल्म 'आरक्षण' को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया था कि राज्य सरकार किसी फिल्म पर रोक नहीं लगा सकती है. अगर फिल्म से कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की आशंका हो, तो उसे संभालना राज्य सरकार का काम है. वह फिल्म के प्रदर्शन को नहीं रोक सकती. 'आरक्षण' पर उत्तर प्रदेश, पंजाब और आंध्र प्रदेश में रोक लगाई गई थी. इसे सुप्रीम कोर्ट ने गलत करार दिया था.
कानून-व्यवस्था का हवाला देकर नहीं बैन कर सकते फिल्म
याचिका में बताया गया है कि 2018 में संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावत' को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा ही आदेश दिया था. तब 4 राज्यों- मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और हरियाणा में फिल्म पर रोक लगाई गई थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने रोक हटाने का आदेश दिया था. तब भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कानून-व्यवस्था का हवाला देकर सरकार फिल्म का प्रदर्शन नहीं रुकवा सकती है. निर्माताओं ने मांग की है कि 'द केरला स्टोरी' के मामले में भी कोर्ट ऐसा ही आदेश दे.
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