मुंबई: मुंबई में फर्जी वैक्सीनेशन के मुख्य आरोपी डॉ. मनीष त्रिपाठी ने सरेंडर कर दिया है. डॉ. त्रिपाठी की अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज हो गयी थी. मनीष त्रिपाठी पेशे से दांतों का डॉक्टर है. आरोप है कि वैक्सीन की सप्लाई मनीष तिवारी के माध्यम से ही की गयी थी. कांदीवली में हीरानंदानी सोसाइटी में फर्जी वैक्सीन लगाई गयी थी. इसका सबसे बड़ा खुलासा वहीं से हुआ था.


मनीष त्रिपाठी पर मुख्य तौर से तीन बड़े आरोप लगे हैं. आरोपों के मुताबिक अलग अलग नौ जगहों पर जो फर्जी वैक्सीन सप्लाई हुई थी वो मनीष त्रिपाठी ने ही उपलब्ध करवाई थी.


मनीष पर दूसरा आरोप है कि शिवम हॉस्पिटल के परिसर में ही एक कोचिंग क्लास है, इन्होंने ही वैक्सीन फर्जी वाड़ें अपने लोगों को लगाया. इसके साथ इन पर आरोप है कि एक अन्य आरोपी गुड़िया को ड्यूटी पर लगाया था जिससे वो नाम और यूज़र नेम चुका सके.


वैक्सीन लगने के बाद सर्टिफिकेट 4-5 दिन बाद मिलने की बात की थी. सर्टिफिकेट पर समय, तारीख गलत था. इसके बाद लोगो को संदेह आने लगा और फिर लोगों ने पुलिस को शिकायत की. सोसाइटी के लोगों की शिकायत के बाद पुलिस ने चीटिंग, फोर्जरी, आईटी एक्ट और इंपर्सोनाइजेशन के तहत मामला दर्ज किया. 



दरअसल अप्रैल और मई में कोरोना की दूसरी लहर से आई भारी तबाही और केन्द्र सरकार की तरफ से राज्यों सरकारों के खर्च भी खुद वहन करने के ऐलान के बाद क्सीनेशन की रफ्तार तेजी के साथ बढ़ी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मुंबई में पुलिस ने बताया कि करीब 2 हजार लोग जिन्होंने ये सोचा कि उन्हें कोरोना की वैक्सीन लगाई जा रही है, दरअसल उन्हें सेलिन सॉल्यूशन दी गई है.


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