पुलिस पर किसान आंदोलन को कुचलने का लगाया था इस शख्स ने आरोप, अब कहा- 'किसानों ने किया था मजबूर'
किसान आंदोलन को कुचलने के लिए पुलिस पर आरोप लगाने वाले शख्स का एक वीडियो आया सामने. वीडियो में शख्स ने कहा कि किसानों ने जबरन पुलिस के खिलाफ बयान देने का दबाव बनाया था.
किसान आन्दोलन में जहां शुक्रवार देर रात लगभग 10:40 बजे उस दौरान सनसनी फैल गई जब एक नकाबपोश युवक ने प्रेस के सामने आरोप लगाए कि किसान आंदोलन को कुचलने के लिए पुलिस ने साजिश रची है. इससे पहले की शनिवार को इस विषय पर कोई बड़ी चर्चा होती या फिर आमजन इस पर किसी तरह की सोच बना पाते, इसी युवक का एक और वीडियो वायरल हुआ, जिसमें इसने किसानों को ही कटघरे में खड़ा कर दिया.
किसानों पर आरोप लगाया कि उसे किसानों ने बहुत मारा और 2 दिनों तक बंधक बना कर रखा. फिर उसे एक मनघड़ंत कहानी प्रेस के सामने पेश करने के लिए कहा, जिसके बाद उसने प्रेस को झूठी कहानी सुनाई और सोनीपत पुलिस पर आरोप लगाया. फिलहाल सोनीपत पुलिस इस पूरे मामले की जांच कर रही है कि आखिर इस युवक ने कहां सच बोला है?
कौन है ये युवक
सोनीपत के एसपी जश्नदीप सिंह रंधावा का कहना है कि मीडिया के सामने अचानक से आकर सनसनीखेज आरोप लगाने वाले इस युवक का नाम योगेश रावत(21) है, जो न्यू जीवन नगर, सोनीपत में रहता है. परिवार में माता-पिता और बहन भाई हैं. पिता छोटी मोटी नौकरी करते हैं, वहीं मां भी छोटा मोटा काम करती हैं. ये लोग उत्तराखंड के मूल निवासी हैं लेकिन काफी समय से सोनीपत में रहते हैं. योगेश लॉकडाउन से पहले कुंडली में एक फैक्ट्री में नौकरी करता था लेकिन उसकी नौकरी छूट गई. जिसके बाद वह घर से झूठ बोल कर घर से निकलता था.
शुक्रवार रात को क्या कहा था योगेश ने
शुक्रवार देर रात लगभग 10:40 बजे किसान संयुक्त मोर्चा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई. प्रेस के सामने एक नकाब पॉश युवक योगेश को पेश किया गया. इस युवक ने कहा कि उसे सोनीपत के राई थाना के एसएचओ प्रदीप ने खासतौर से गड़बड़ी फैलाने के लिए भेजा था लेकिन किसानों ने पकड़ लिया. युवक ने खुलासा किया कि उसके साथ 10 लोग हैं, 2 लड़कियां भी हैं. सभी को हथियार मुहैया कराए गए हैं. कहा गया है कि 26 जनवरी को जब ट्रैक्टर रैली निकलने वाली हो तो फ्रंट पर रहकर पुलिस पर गोली चलानी है, जिससे पुलिस जवाब में गोली चला सके.
इसके अलावा 4 किसान नेताओं के फोटो दिए हैं. इन चारों को उस समय गोली मारनी है, जब वे स्टेज पर हो. इसके अलावा यह भी दावा किया कि उसे और उसके साथियों को 10-10 हजार रुपये देने की बात कही है. एक लैंड लाइन नम्बर से कॉल आता है, फोन पर ही डायरेक्शन दी जाती हैं. हम लोगों ने करनाल में सीएम खट्टर की रैली में भी गड़बड़ी फैलाई थी. इससे पहले जाट आरक्षण आन्दोलन में हम लोगों ने पुलिस के कहने पर गड़बड़ी फैलाई थी.
आज सुबह योगेश ने क्या कहा?
योगेश का एक वीडियो आज सुबह वायरल हुआ. जिसमें उससे पूछताछ की जा रही है, तो वह बोल रहा है कि वह 19 जनवरी को दिल्ली अपने मामा के घर गया था. मामा के बेटे के बेटी हुई है. शाम को वहां से वह सिंघु बॉर्डर आया. यहां पर उसे किसानों ने पकड़ कर बंधक बनाया और खूब मारापीटा. उसके साथ 4 युवकों को भी बंधक बनाया था और खूब पीटा था. मुझे छोड़ने की एवज में कहा गया कि जो हम बोलेंगे उसके अनुसार मीडिया के सामने बोलना होगा. इसलिए मैंने पुलिस पर झूठे आरोप लगाए. मैंने न तो सीएम की रैली में गड़बड़ी मचाई और न जाट आंदोलन में किसी तरह का कोई उपद्रव मचाया.
पुलिस का क्या है कहना
सोनीपत एसपी जश्नदीप सिंह रंधावा का कहना है कि शुक्रवार रात को किसान संयुक्त मोर्चा ने योगेश को हमारे हवाले किया था. अब तक पुलिस ने इससे जो पूछताछ की है, उसमें इसने खुलासा किया है कि यह दिल्ली गया था. अपने मामा के बेटे राकेश के घर. राकेश के बेटी हुई थी. वहां से जब योगेश लौटा तो कुंडली में प्रेम नगर कॉलोनी के पास एक महिला चाऊमीन बेचती है. वहां पर इसने चाऊमीन खाई है. फिर वहां पर किसानों के कैंप लगे हुए हैं. उन्हीं किसानों में से कुछ लोगों से इसकी कहासुनी हो गई और हाथापाई होने लगी.
हमने चाऊमीन बेचने वाली उस महिला से भी बात की है, तो उसने भी इस चीज की पुष्टि की है कि योगेश 20 जनवरी को यहां आया था और उसने उसके यहां पर चाऊमीन खाई थी. महिला का कहना है कि फिर कुछ लोगों के साथ इसकी पहले बहस हुई, जिसके बाद वे लोग इसे पकड़ कर अपने साथ ले गए. यह अभी पता नहीं लग पाया है कि झगड़ा लड़की के साथ छेड़छाड़ की बात पर हुआ था या फिर किसी अभद्रता को लेकर.
इसके अलावा योगेश ने जो तारीख बताई वह 19 जनवरी बताई लेकिन हमने जो वेरीफाई किया है और उसके घर वालों ने जो बताया है, उससे यह बात निकलकर आई है कि योगेश 20 जनवरी को अपने घर से गया था. योगेश कुंडली में ही एक फैक्ट्री में नौकरी करता था, लेकिन लॉकडाउन में उसकी नौकरी चली गई थी. उसके बाद वह घर पर झूठ बोल कर बाहर निकल जाता था और बहाना बनाता था कि कहीं पर काम करने जा रहा है.
जांच कमिटी बनाई
एसपी सोनीपत का कहना है कि हमने डीएसपी स्तर के अधिकारी की देखरेख में जांच कमेटी बनाई है, जो इस पूरे मामले की जांच कर रही है. अगले दो-तीन दिन में जांच पूरी हो जाएगी और उसके बाद जो भी नतीजा निकल कर आता है उसके अनुसार कानूनी कार्रवाई की जाएगी. अभी की बात करें तो किसानों की तरफ से योगेश के खिलाफ कोई लिखित शिकायत नहीं दी गई थी और योगेश का हमने मेडिकल भी करवाया है, जिसमें इसके शरीर पर चोट पाई गई हैं.
खासतौर से कमर और पीठ पर. अभी योगेश को न तो गिरफ्तार किया गया है और न ही वह हिरासत में हैं. इस पूरे मामले में किसी प्रकार की कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है. जांच रिपोर्ट के बाद ही यह निर्णय लिया जाएगा कि किस के खिलाफ क्या कार्रवाई होनी है. एसपी जशनदीप ने यह भी कहा कि जांच में यह भी पता चला है कि योगेश ने हरियाणा सीएम के करनाल वाले कार्यक्रम में किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी नहीं फैलाई थी.
अगर हम जाट आंदोलन की बात करते हैं, तो उस समय पर योगेश की उम्र 15 या 16 साल के आसपास रही होगी. उस समय का उसके खिलाफ किसी तरह का कोई मामला भी सामने नहीं आया है. योगेश के पिता और भाई से भी पूछताछ की गई है.
प्रदिप नाम का कोई पुलिस कर्मी नहीं है राई थाने में
एसपी सोनीपत का कहना है कि अगर बात करें राई थाने के एसएचओ के योगेश को इस आंदोलन में गड़बड़ी फैलाने के लिए भेजने की तो, यह भी सरासर गलत आरोप है. क्योंकि राई थाने में प्रदीप नाम का कोई व्यक्ति नहीं है. एसएचओ कोई और है. इतना ही नहीं उस थाने में प्रदीप नाम का कोई मुलाजिम भी नहीं है. इसने यह कहानी डर की वजह से बनाई है और जो यह बोल रहा है कि इसके साथ तीन-चार और युवकों को बंधक बना कर रखा हुआ था, जिनके साथ मारपीट भी की गई थी. उस बारे में भी कोई पुष्टि नहीं हुई है. एक बार हमारी कमेटी की जांच पूरी हो जाए फिर हम अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचेंगे.
योगेश की मां के वीडियो ने भी उलझन पैदा की
इस पूरे प्रकरण पर योगेश की मां का भी एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह कह रही हैं कि उनका बेटा 20 जनवरी को घर से गया था और उसने कहा था कि वह काम से जा रहा है. योगेश की मां ने यह भी कहा कि योगेश के मामा की मृत्यु हो चुकी है और उनकी मृत्यु के बाद से उनके परिवार से उन लोगों का कोई खास व्यवहार नहीं बचा है. अब इन लोगों के बीच आना जाना भी नहीं है.
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