नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बड़ा चुनावी वादा करते हुए देश के 20 फीसदी सबसे गरीब लोगों को हर साल 72 हजार रुपये देने का एलान किया था. आज उसी न्यूनतम आय योजना को लेकर कांग्रेस ने एक और बड़ी घोषणा कर दी. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि न्यूनतम आय योजना के तहत दी जानेवाली 72 हजार रुपये की रकम सीधे घर की महिलाओं के खाते में डाली जाएगी. कांग्रेस ने अपनी इस योजना को महिला केंद्रित योजना बताया है. इसके साथ ही कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी को पाखंडी बताते हुए गरीब विरोधी होने का आरोप भी लगाया.


कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 'हम साफ करना चाहते हैं कि ये टॉप स्कीम नहीं है, हर परिवार को 72,000 रुपया प्रतिवर्ष मिलेगा. ये महिला केंद्रित स्कीम है, ये 72,000 रुपये कांग्रेस पार्टी घर की गृहणी के खाते में जमा करवाएगी. यह स्कीम पूरे देश के शहरों और गांवों के गरीबों पर लागू होगी.'





सुरजेवाला ने कहा, ''गरीब विरोधी नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार न्याय स्कीम का विरोध कर रहे हैं. हम 130 करोड़ देशवासियों की ओर से आपसे पूछना चाहते हैं कि आप इस स्कीम के पक्ष में हैं या विरोधी हैं. पाखंडी मोदी जी अपने मित्रों और पूंजीपतियों का तीन लाख सत्रह हजार करोड़ माफ करते हैं लेकिन 20% गरीबी को 72,000 रुपये देने में आपको तकलीफ क्यों हैं.''


सुरजेवाला ने कहा, ''पाखंडी मोदी ये बता दीजिए कि आपके संरक्षण में बैंकों के भगोड़े देश की कमाई लेकर विदेश भाग सकते हैं लेकिन आपको गरीबों को 72,000 रुपया देने में पीड़ा क्यों है. पाखंड और ढोंग का लबादा पहने मोदी जी को देश को बताएं कि 89 विदेश दौरों पर देश का 2010 करोड़ और अपने प्रचार प्रसार पर 5000 करोड़ तो खर्च कर सकते हैं लेकिन गरीब परिवार को 72,000 रुपये देने में पीड़ा क्यों हैं.''


क्या है राहुल गांधी की गरीब परिवार को 72,000 रु. देने वाली योजना?
कांग्रस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कल एलान किया था कि हमारी सरकार बनी तो सबसे गरीब 20 फीसदी परिवार को 72,000 रुपये सालाना मदद मिलेगी. इस न्यूनतम आय गारंटी योजना में अधिकतम 6000 रुपये महीने दिए जाएंगे. यानी अगर किसी गरीब परिवार की आय 12000 रुपये से कम होगी, तो सरकार उसे अधिकतम 6000 रुपये देकर उस आय को 12 हजार रुपये तक लाएगी.


राहुल गांधी का दावा है कि इसका फायदा 5 करोड़ परिवारों को होगा, मतलब ये कि सरकारी खजाने पर 3.6 लाख करोड़ रुपये का बोझ आएगा. इससे सरकार का मौजूदा 7 लाख करोड़ का वित्तीय घाटा बढ़कर 10.6 लाख करोड़ रुपये का हो जाएगा.