(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
गन-गर्लफ्रेंड और ग्लैमर..., कहानी पंजाब के बेलगाम होते अंडरवर्ल्ड की
इस साल मई 2022 में पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद पंजाब का गैंगस्टर कल्चर चर्चा में है. अब मास्टर माइंड गोल्डी बराड़ के पकड़े जाने से ये फिर से सुर्खियों में है.
सिद्धू मूसेवाला की हत्या को अंजाम देने वाले गोल्डी बराड़ के दो दिसंबर शुक्रवार को अमेरिकी पुलिस के हत्थे चढ़ने का दावा पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किया है. दरअसल मूसेवाला यानी शुभदीप सिंह सिद्धू को पंजाब के मानसा जिले में 29 मई को गोली मार मौत के घाट उतार दिया गया था. इस की जिम्मेदारी लॉरेंस बिश्नोई गैंग के सदस्य गोल्डी बराड़ ने ली थी.
बराड़ के पकड़े जाने के बाद ही सूबे के सीएम मान ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि बराड़ को कैलिफोर्निया में हिरासत में लिया गया है. इसी दौरान उन्होंने पंजाब से जल्द ही गैंगस्टर कल्चर के खात्मे का ऐलान किया था, लेकिन इस ऐलान के एक दिन बाद ही 3 दिसंबर को राजस्थान के सीकर में गैंगस्टर राजू ठेठ की गोली मारकर हत्या कर दी गई है.
उसके परिवार वालों ने गोल्डी बराड़ (Goldy Brar) पर हत्या का आरोप लगाया है. रोहित गोदारा नाम की फेसबुक आईडी से गैंगस्टर ठेठ की हत्या की जिम्मेदारी लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने ली है. इस पोस्ट में आनंदपाल और बलबीर बानूड़ा की हत्या के बदले का भी जिक्र है. इसमें रोहित गोदारा ने लिखा, "मैं लेता हूं हत्या की जिम्मेदारी, बदला पूरा हुआ."
अब सवाल ये उठता है कि कैलिफोर्निया में बराड़ की हिरासत का दावा करने वाले सूबे के सीएम मान ने जिस गैंगस्टर कल्चर के जल्द ही खात्मे की बात कही थी, आखिर वो खत्म हो पाएगा या नहीं या फिर पंजाब इन गैंगस्टर के नाम भर से ही हमेशा की तरह ही दहशत के साए में जीता रहेगा.
पंजाब का गैंगस्टर कल्चर और गैंगस्टर
पंजाब में गैंगस्टर कल्चर के बीज साल 2008 के पहले से ही पड़ने शुरू हो गए. इस साल के बाद सूबे में ये कल्चर इस कदर परवान चढ़ा कि एक फैशन की तरह यहां के युवाओं में मशहूर होता गया. पंजाब का पॉप म्यूजिक इस कल्चर की एक बानगी पेश करता है. नतीजन बीते डेढ़ दशक में यहां गैंग की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होती गई. ये गैंग जबरन वसूली से लेकर लूट की वारदातों को अंजाम देते रहे.
नशे और तस्करी का कारोबार करना. इस कारोबार के जरिए पैसे कमाना, जमीन कब्जाना, छात्र संघ चुनाव से लेकर राजनीतिक दलों के विधानसभा और लोकसभा और जिलों के चुनाव में बूथ कैप्चरिंग करना. छोटी मोटी संपत्तियों के झगड़े निपटाना. पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में अपना सिक्का कायम करने की कोशिश करना पंजाब में इस कल्चर के पनपने के कारण हैं. इसके साथ ही एक बड़ी वजह गर्लफ्रेंड को लेकर झगड़े भी रहे हैं. पंजाब के कई बड़े गैगंस्टरों की गर्लफ्रेंड भी पुलिस की हत्थे चढ़ चुकी हैं.
हाल ही में सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में शामिल दीपक टीनू नाम के एक गैंगस्टर की गर्लफ्रेंड को भी पंजाह पुलिस ने पकड़ने का दावा किया है. कुल मिलाकर जवानी का जोश नशा हथियारों के लिए बढ़ती इच्छा इसकी वजह से ही छोटे-मोटे की लड़ाई- झगड़े के बाद कोई नौजवान किसी गैंगस्टर के चंगुल में आसानी से आता जाता है और आखिरकार उनकी जिंदगी बर्बाद हो जाती है.
माना जाता है कि विदेशों में बैठे हुए खालिस्तानी भी पंजाब के नौजवानों को पैसा मुहैया कराते रहे हैं, जिससे वह लोग छोटी -मोटी आतंकी वारदातों को अंजाम देने का काम भी करते हैं. इसके अलावा पंजाब में रेत माफिया, शराब माफिया, ट्रांसपोर्ट माफिया में पैसे का आकर्षण गैंगस्टर की पौध तैयार करने में मदद करता है.
इतना ही नहीं इन गैंगस्टर ने सोशल मीडिया का इस्तेमाल भी अपने गैंग की मशहूर करने के लिए शुरू किया. जेल के अंदर से ही गैंगस्टर फेसबुक फोटो और पोस्ट कर अपनी मौजूदगी का एहसास कराते हैं तो इसके जरिए धमकी देने से भी गुरेज नहीं करते हैं. ये अपने को इस तरह पेश करते हैं. आलम ये है कि सूबे के स्कूल- कॉलेजों के छात्रों के बीच भी ये खासे मशहूर हैं. यहां छात्र नेताओं के समारोहों में भी इनकी खासी धमक रहती है. इनकी तारीफ वाले पॉप सांग्स को भी पंजाब के युवा हाथों हाथ लेते हैं.
पंजाब के कुख्यात गैंगस्टरों का खेल और कॉलेज कनेक्शन
पंजाब को लेकर अगर ये कहा जाए कि यहां गैंगस्टर बनना रूतबे और धाक जमाने की अंधी दौड़ में शामिल होना है तो कोई दो राय नहीं होगी. इस सूबे में अनोखा चलन खिलाड़ियों का बड़े गैंगस्टर में तब्दील हो जाना है. गैंगस्टर जसविंदर सिंह उर्फ रॉकी हैमर थ्रो का खिलाड़ी था. गैंगस्टर से राजनेता बने रॉकी की 2016 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
इसकी हत्या करने वाला जयपाल सिंह भुल्लर भी इसी खेल का राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी रहा. जयपाल का साथी कुख्यात गैंगस्टर शेरा खुब्बन पुलिस एनकाउंटर में सितंबर 2012 में मारा गया था. ये दोनों एक खेल प्रतियोगिता में दोस्त बने थे. बीते साल 2021 में जयपाल भुल्लर भी कोलकाता में पुलिस एनकाउंटर में मार गिराया गया था. ये एक पुलिसवाले का बेटा था और सूबे का सबसे खतरनाक गैंगस्टर माना जाता था.
गैंगस्टर तीरथ सिंह ढिलवां कबड्डी का चैंपियन रहा है. तीरथ सिंह अपराध की दुनिया में कच्ची उम्र में शामिल हो गया था. इसने नवंबर 2010 में बहन को तंग करने पर गुस्से में जीजा मनदीप सिंह की हत्या कर डाली थी. ये अभी पुलिस की गिरफ्त में हैं. ए श्रेणी के कट्टर गैंगस्टर तीरथ के सिर पर दो लाख रुपये का इनाम था.
ये कई कॉन्ट्रैक्ट किलिंग, जबरन वसूली रैकेट, ड्रग व्यापार, और राजमार्ग डकैतियों में शामिल रहा था. पंजाब के टॉप 5 गैंगस्टर में शामिल तीरथ ने जयपाल, विक्की गौंडर और प्रेम लाहौरिया के साथ मिलकर काम किया. गौंडर और लाहौरिया जनवरी 2018 में पंजाब-राजस्थान सीमा पर एक मुठभेड़ में मारे गए थे. तब जयपाल फरार हो गया था.
पंजाब के गैंगस्टरों सबसे मशहूर मासूम चेहरे वाला गैंगस्टर सुक्खा काहलवां रहा था. इसने ही सूबे में गन कल्चर को मशहूर किया था. इसे हथियारों के संग इंटरनेट पर फोटो पोस्ट करने और वारदात करते वक्त उनके वीडियो बनाने का खासा शौक था. साल 2015 में इसे इसके ही साथियों गैंगस्टर विकास उर्फ विक्की गौंडर ने मार गिराया था. उस दौरान ये लारेंस बिश्नोई गैंग का सदस्य हुआ करता था. 17 साल की उम्र में ही इस पर कत्ल का मुकदमा दर्ज हो गया था. इस वजह से सुक्खा यूएस में सेटल हो गए अपने परिवार के पास नहीं जा पाया था.
साल 2000 से लेकर इसकी मौत तक पंजाब में इसके नाम से कांपता था. दरअसल हत्या को अंजाम देने वाले गैंगस्टर विक्की गौंडर का बहुत अच्छा दोस्त हुआ करता था. अपराध की दुनिया में कदम रखने से पहले विक्की गौंडर भी नेशनल लेवल का डिस्कस थ्रो का खिलाड़ी था. दरअसल गैंगस्टर सुक्खा और गौंडर 2007 में जालंधर स्पोर्ट्स कॉलेज में साथ पढ़ते थे.
सुक्खा काहलवां से रंजिश होने पर गौंडर ने उसके कत्ल का प्लान बनाया था. विक्की गौंडर और उसके साथियों ने पुलिस की वैन में जालंधर से नाभा जेल जा रहे काहलवां को फगवाड़ा में घेर कर मार डाला था. तब उसकी लाश के सामने इस गैंग ने भांगड़ा किया था. उस वक्त इससे पूरा पंजाब सकते में आ गया था.
साल 2018 में एक पुलिस एनकाउंटर में गैंगस्टर विक्की गौंडर और उसके दोस्त प्रेमा लाहौरिया भी मार गिराए गए थे. सिंगर सिद्धू मूसेवाला के कत्ल की जिम्मेदारी लेने वाला लॉरेंस बिश्नोई गैंग मालवा, दिल्ली, राजस्थान में अपने कारनामों को अंजाम देता है. ये अवैध हथियारों का कारोबार, हाईवे डकैती, कॉन्ट्रैक्ट किलिंग, वसूली जैसे गैरकानूनी कामों में लिप्त है.
लॉरेंस बिश्नोई डीएवी कॉलेज चंडीगढ़ का छात्र रहा है. यहां स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन ऑफ पंजाब यूनिवर्सिटी के चुनाव में एक उम्मीदवार के तौर पर खड़े होने और हार का सामना होने पर उसने अपराध की राह पकड़ ली. उसने विपक्षी छात्र संगठन पर फायरिंग की और पहली बार उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई. इसके बाद उसने गलत राह चुन ली और कई गैंगस्टर से दोस्ती कायम की और लॉरेंस बिश्नोई गैंग का सरगना बन गया. गोल्डी बराड़ इसी कॉलेज में लॉरेंस का जूनियर था. तब से ही दोनों की दोस्ती है.
साल 2015 में पकड़े जाने के बाद लॉरेंस राजस्थान की जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद था, लेकिन अब दिल्ली की तिहाड़ जेल में है. ये बॉलीवुड एक्टर सलमान खान को जान से मारने की धमकी को लेकर भी सुर्खियों में रह चुका है. गौरतलब है कि लारेंस बिश्नोई गैंग अब तक गैंगवार में अपने एक दर्जन से अधिक दुश्मनों को मौत की नींद सुला चुका है. इस सिलसिले के लगातार चलने से पंजाब से गैंगस्टर कल्चर का खात्मा खुद में ही एक सवाल उठाता है.
लॉरेंस बिश्नोई गैंग का गोल्डी बराड़
हालिया चर्चा में आया गोल्डी बराड़ गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का करीबी है. वह पंजाब में चलाए जा रहे जबरन वसूली के रैकेट में शामिल था. आरोप है कि यूथ कांग्रेस के नेता गुरलाल पहलवान की हत्या में उसका हाथ था. वह मौजूदा वक्त में कनाडा से बाहर है, कथित तौर पर पंजाब में एक मॉड्यूल के जरिए से वहां से काम कर रहा है. बरार पंजाब के फरीदकोट जिले का मूल निवासी हैं.
बिश्नोई और दविंदर सिंह बंबीहा गैंग के बीच दुश्मनी हैं. गौरतलब है कि साल 2016 में पंजाब पुलिस ने दविंदर सिंह बंबिहा को रामपुरा फूल गांव में मार गिराया था. कहा जाता है कि सिद्धू मूसेवाला देवेंदर बंबीहा के करीबी रहे थे. यही नहीं मूसेवाला के एक म्यूजिक एल्बम का नाम भी बंबीहा था.
तीन महीने पहले सितंबर 2022 में दविंदर बंबीहा गैंग ने गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और जग्गू भगवानपुरिया को हमले की धमकी दी थी. इस गैंग ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए कनाडा में गैंगस्टर गोल्डी बराड़ को भारत आने की चुनौती दी थी. जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और मारे गए गैंगस्टर दविंदर बंबीहा के गैंग के बीच रस्साकशी देखी जा रही है. इन दिनों पंजाब, हरियाणा और दिल्ली इन गैंग्स की लड़ाई के गवाह बन रहे हैं.
ये दोनों गैंग अक्सर एक-दूसरे के आदमियों को निशाना बना रहे हैं. इससे गोलीबारी और हत्याओं की बाढ़ सी आ गई है. मौजूदा वक्त में बंबीहा गैंग कथित तौर पर आर्मीनिया की एक जेल में बंद शूटर गौरव उर्फ लकी पटियाल चलाता है. वहीं मौजूदा वक्त में जेल में बंद लारेंस बिश्नोई के इशारे पर गोल्डी बराड़ ही सारे ऑपरेशन चला रहा है. वो ही अभी बिश्नोई गैंग के सक्रिय सरगना के तौर पर काम कर रहा है. बराड़ कनाडा में होने की वजह से खुद को भारतीय कानून और सजा से बचाकर आपराधिक गतिविधियों को जारी रखे हुए हैं.
पंजाब के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) वी के भावरा के मुताबिक मूसेवाला की हत्या का युवा अकाली नेता विक्की मिड्डूखेड़ा के कत्ल से संबंध है. कथित तौर पर गोल्डी बराड़ ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में ये दावा किया गया था कि मूसेवाला की हत्या मिड्डूखेड़ा की हत्या का बदला लेने के लिए की गई थी. गौरतलब है कि मिड्डूखेड़ा की हत्या की जिम्मेदारी बंबीहा गैंग ने ली थी.
मालवा के कुख्यात गैंगस्टर दविंदर बंबिहा की मौत के बाद सेवेवाला गैंग बना. इस गैंग ने दविंदर बंबिहा की मौत के बाद बंबिहा गैंग के अधिकतर सदस्यों को अपने गैंग में ले लिया था. इस गैंग को रंजीत सेवेवाला चलाता था. साल 2015 में वो मारा गया. इसके बाद उसके भाई गुरबख्श सिंह ने गैंग की कमान संभाली. पुलिस ने सितंबर 2017 में एक मुठभेड़ के बाद बठिंडा में गुरबख्श सिंह पुलिस के हत्थे चढ़ गया. बाकी गैंगस्टर के जैसे ये भी जेल से ही आपराधिक गतिविधियों को संचालित कर रहा है. पंजाब के मालवा, हरियाणा और राजस्थान में इस गैंग का खासा खौफ है.
विदेशों में बैठ चलाते हैं गैंग
इन गैंगस्टर का ऐसा जलवा है कि ये विदेशों में बैठकर ही भारत में पूरे गैंग का काम देख लेते हैं. पंजाब ही नहीं बल्कि दिल्ली हरियाणा के गैंगस्टर दुबई, थाईलैंड और कनाडा में अपना ठिकाना बनाए बैठे हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण तो लॉरेंस बिश्नोई गैंग का गोल्डी बराड़ ही है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की डी-कंपनी इनकी प्रेरणा है.
पुलिस सूत्रों का कहना है गिरफ्तार किए गैंगस्टर से जानकारी मिली है कि भारत के गैंग 3 अलग-अलग देशों में रह रहे अपने आकाओं के इशारे पर काम करते हैं. गैंगस्टर वीरेंद्र प्रताप उर्फ काला राणा के थाईलैंड, सतेंद्रजीत सिंह उर्फ गोल्डी बराड़ के कनाडा और संदीप उर्फ काला जत्थेदी के भारत से किसी अज्ञात विदेशी जगह पर होने का संदेह है. ये गैंगस्टर केवल वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (वीओआईपी) कॉल पर बातचीत को अंजाम देते हैं तो अपनी पहचान छुपाए रखने के लिए अलग-अलग आईडी वाले नंबरों का इस्तेमाल करते हैं.
इतना ही नहीं अपने आकाओं के असली नाम की जगह ये कोड लैंग्वेज में बात करते हैं. गैंगस्टर मास्टर माइंड काला राणा के नाम के लिए 'टाईगर', काला जत्थेदी के लिए 'अल्फा' और गोल्डी बरार के लिए 'डॉक्टर' कोड का इस्तेमाल करते हैं. टाईगर गैंग के मेंबर्स के लिए कम्युनिकेशन सेंटर की तरह काम करता है. डॉक्टर की जिम्मेदारी पैसे और रसद के इंतजाम की है तो अल्फा टारगेट का पीछा करने और उसे ठिकाने लगाने का फैसला लेता है.
दिल्ली पर काबिज होने की कर रहे तैयारी
गौरतलब है कि बीते एक साल में दिल्ली के खूंखार अपराधियों के पुलिस के हत्थे चढ़ने के बाद इसके नजदीकी राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के अपराधी और गैंगस्टर दिल्ली के अंडरवर्ल्ड पर काबिज होने को बेताब हैं. इसके लिए वो देश की राजधानी में पुरजोर तरीके से घुसपैठ की कोशिशों को अंजाम दे रहे हैं.
पुलिस के मुताबिक पुलिस रेड में कई गैंगस्टर को गिरफ्त में लिया गया है, लेकिन बावजूद इसके नए मेंबर्स के इन गैंग्स में शामिल होने पर रोक नहीं लग पा रही है. युवा इनमें छोटे-मोटे अपराधियों के तौर पर शामिल होते हैं. बेहतरीन लाइफस्टाइल, पैसा राजनीति में ताकत हासिल करने की चाह उन्हें गैंग्स में गैंगस्टर बनने की राह दिखा देती है. 300 से अधिक गैंगस्टर पंजाब की अलग-अलग जेलों में बंद हैं, लेकिन इनके 600-700 मेंबर्स आजाद हैं. पंजाब के गैंगस्टर को अक्सर राजनीतिक संरक्षण (खासकर मालवा में) होने की बात भी कही जाती है.