राजधानी दिल्ली में जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र के मुताबिक साल 2021 में 6 महीनों में जन्म दर में गिरावट दर्ज की गई है, जबकि महामारी की वजह से मृत्यु दर बढ़ी है. तीन नगर निगमों के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभागों से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक जनवरी से जून तक सिर्फ 1.1 लाख जन्म प्रमाण पत्र जारी किए गए है, जो कि इसी अवधि में साल 2020 के आंकड़ों के मुताबिक 30,000 प्रमाण पत्र कम हैं, वहीं साल 2019 की तुलना में लगभग 70,000 कम माने गए हैं.


इस पर विशेषज्ञों ने कहा कि जन्म प्रमाण पत्र के रेजिस्ट्रेशन में गिरावट इस वजह से देखने को मिली है, क्योंकि कई लोगों की डिलीवरी घर पर हुई है, वहीं गर्भधारण में देरी और यात्रा प्रतिबंधों और राजधानी से बाहर श्रमिकों के बड़े पैमाने पर प्रवास भी इसकी वजह मानी जा रही है. साल 2021 के पहले छह महीनों के जन्म प्रमाणपत्र डेटा से पता चलता है कि पूर्वी दिल्ली नगर निगम में 22,936 जन्म, उत्तरी निगम में 46,102 और एसडीएमसी में 42,604 जन्म प्रमाणपत्र बने हैं. ईडीएमसी ने 2018 में जनवरी-जून में 38,218 जन्म प्रमाणपत्र और 2019 में 37,081 जन्म प्रमाणपत्र दर्ज किए थे, इसके बाद आंकड़े 2020 में 32,647 और 2021 में 22,936 रहे.


जन्म दर के आंकड़े


जानकारी के मुताबिक साल 2001 से 2019 के बीच जन्म दर प्रति 1,000 जनसंख्या पर 18 से 22 जन्मों के बीच रही है. जन्म और मृत्यु पंजीकरण पर दिल्ली सरकार की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 में 3.6 लाख, 2018 में 3.6 लाख और 2017 में 3.7 लाख जन्म पंजीकरण हुए थे.


महामारी के चलते टाली गई फैमिली प्लानिंग योजना


इंडियन सोसाइटी ऑफ असिस्टेड रिप्रोडक्शन की महासचिव डॉ शिवानी सचदेव ने कहा कि ये जन्म में एक अस्थायी गिरावट हो सकती है, जिसमें कई जोड़े अपनी नियोजित गर्भधारण को स्थगित कर देते हैं. साथ ही कहा कि हर व्यक्ति महामारी के चलते संकट में था, इसलिए फैमिली प्लानिंग की योजना को टाला गया है.


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