संसद की एक समिति ने ‘गहरे समुद्र मिशन’ के तहत 150 करोड़ रुपए की कुल आवंटित निधि में से जनवरी 2022 तक एक पैसा भी खर्च नहीं होने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय से इसके कारणों के बारे में विस्तार से अवगत कराने को कहा है. संसद में 15 मार्च को पेश पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वर्ष 2022-23 की अनुदान की मांगों पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण व वन मंत्रालय से संबंधित स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है.


कांग्रेस के जयराम रमेश की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 के लिए मंत्रालय को ‘गहरे समुद्र मिशन’ (डीप ओशन मिशन) के तहत 150 करोड़ रुपए की कुल निधि आवंटित की गई. रिपोर्ट के अनुसार, समिति को यह देख कर आश्चर्य होता है कि मंत्रालय द्वारा 31 जनवरी 2022 तक एक पैसे का भी उपयोग नहीं किया गया है. समिति ने गहरा समुद्र मिशन योजना के तहत आवंटित निधियों के प्रति मंत्रालय के उदासीन रवैये को गंभीरता से लेते हुए मंत्रालय को उन कारणों के बारे में उसे विस्तार से अवगत कराने को कहा है जिनके चलते वह निधियों का संतोषजनक ढंग से उपयोग नहीं कर सका.


सर्वोत्तम उपयोग करने में कोई कसर ना छोड़े


रिपोर्ट के अनुसार, समिति आगे नोट करती है, इस मिशन के तहत 5 वर्षों अर्थात 2021 से 2026 तक की अवधि के लिए कुल वित्तीय परिव्यय 4077 करोड रुपए है जिसमें से 2823.40 करोड़ रूपये 3 वर्षों अर्थात 2021 से 2024 की अवधि के पहले चरण के लिये अनुमानित है. इसमें कहा गया है कि मिशन के परिकल्पित उद्देश्यों को देखते हुए मंत्रालय द्वारा बजटीय सहायता का पूर्ण और इष्टतम उपयोग करना अनिवार्य है इसलिए समिति मंत्रालय से सिफारिश करती है कि वह मिशन के तहत आवंटित की जा रही निधि का सर्वोत्तम उपयोग करने में कोई कसर ना छोड़े.


गौरतलब है कि समुद्र में 6000 मीटर की गहराई पर कई प्रकार के खनिज हैं जिनके बारे में अध्ययन नहीं हुआ है. इस मिशन के तहत खनिजों के बारे में अध्ययन व सर्वेक्षण का काम किया जायेगा. इसके अलावा जलवायु परिवर्तन व समुद्र के जलस्तर में वृद्धि सहित गहरे समुद्र में होने वाले परिवर्तनों के बारे में भी अध्ययन किया जायेगा. गहरे समुद्र संबंधी मिशन के तहत जैव विविधता के बारे में भी अध्ययन किया जायेगा. इसके तहत समुद्रीय जीव विज्ञान के बारे में जानकारी जुटाने के लिये उन्नत समुद्री स्टेशन (एडवांस मरीन स्टेशन) की स्थापना की जायेगी. इसके अलावा थर्मल एनर्जी का अध्ययन किया जायेगा.


चुनौतियों का सामना कर रहा


समिति ने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि मंत्रालय अपनी अनुसंधान व विकास गतिविधियों को सुदृढ़ करने के लिए प्रशिक्षित जनशक्ति की कमी के कारण चुनौतियों का सामना कर रहा है. समिति का दृढ़ मत है कि यदि मंत्रालय की योजनाओं, कार्यक्रमों व कार्यकलापों को पर्याप्त रूप से वित्त पोषित किया जाता है तो भी अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप अनुसंधान व विकास गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध प्रशिक्षित जनशक्ति के बिना वांछित परिणाम प्राप्त नहीं किए जा सकते.


रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘ऐसे में इस विषय पर तत्काल आधार पर आवश्यक हस्तक्षेप करना अनिवार्य है. समिति मंत्रालय को आवश्यक कार्रवाई करने की सिफारिश करती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कुशल कार्य बल के अभाव में मंत्रालय के अनुसंधान व विकास कार्यकलाप नहीं रूके.’’ समिति ने अतिरिक्त 500 जनशक्ति की भर्ती व प्रशिक्षण के लिए मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में भी सूचित करने को कहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि आंकड़ों के अध्ययन से पता चलता है कि केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के तहत मंत्रालय का समग्र वित्तीय प्रदर्शन जनवरी 2022 तक बहुत उत्साहजनक नहीं रहा है.


मंत्रालय केवल 1379.98 करोड़ रुपए का ही उपयोग कर सका


इसमें कहा गया है कि, ‘‘2369.54 करोड़ रुपए के कुल बजटीय आवंटन में से मंत्रालय केवल 1379.98 करोड़ रुपए का ही उपयोग कर सका जो वित्त वर्ष 2021-2022 के लिए मंत्रालय को उपलब्ध कराए गए धन के संशोधित प्राप्ति आवंटन का सिर्फ 58.23 प्रतिशत है.’’ समिति ने हालांकि उम्मीद जतायी है कि मंत्रालय वित्तीय वर्ष 2021 की शेष अवधि के दौरान 989.56 करोड़ रुपए की शेष राशि का बेहतर उपयोग करने में सक्षम होगा.


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