पश्चिम बंगाल का सियासी खेला चरम पर है. ममता के पैर में लगी चोट और उसके बाद बीजेपी और तृणमूल के बीच तेज हुए सियासी संग्राम में रोज़ नए मोड़ आ रहे हैं. ममता ने खुद पर हमले का आरोप बीजेपी पर मढ़कर चुनाव में जो गरमी पैदा की, उसकी तपिश अब दिन पर दिन बढ़ना तय है. जवाब में बीजेपी ने भी तुरंत इसे सहानुभूति जुटाने के लिए इसे ममता का चुनावी स्टंट बता दिया. पीएम मोदी ने ममता के इन दांव की काट के लिए पार्टी को क्या गुरुमंत्र दिया.


ममता ने खेला होबे, लड़बे और जीतबे का नारा दिया है. बीजेपी ने ममता के चोट को स्टंट करार देते हुए अब -खेला हो गए छे- यानी खेल हो गया की तरह इस घटनाक्रम को स्थापित करने में जुट गए. मतलब ममता के खेलने, लड़ने और जीतने के जवाब में बीजेपी ने ममता की हड़बड़ाहट को उनका खेल खत्म होने की तरह पेश करने का फ़ैसला किया है.

पश्चिम बंगाल में जैसा चुनाव ममता और वाम मोर्चा के बीच हुआ था, वैसी ही तपिश और ऊर्जा वाला चुनाव फ़िलहाल बीजेपी के साथ ममता बनर्जी लड़ रही हैं. बीजेपी ने लगातार जिस तरह से जनाधार बढ़ाया, उसने ममता की जीत के प्रति आश्वस्ति को झटका दिया है. ये साफ दिख रहा है. इसी बीच 10 मार्च को जिस तरह से जेड प्लस सुरक्षा के बीच ममता के पैर में चोट लगने की खबर आई और उन्होंने इसका ठीकरा बीजेपी पर फोड़ा, उससे चुनाव और गरमा गया. ममता के समर्थक सड़कों से लेकर सोशल मीडिया तक छा गए. लगातार बीजेपी को बाहरी बता रहीं ममता और उनको लगी चोट के बाद तृणमूल ने भगवाधारी दल पर हमले और तेज कर दिए.

इसका जवाब बीजेपी ने पहले आक्रामक तरीक़े से दिया. पार्टी के केंद्रीय और स्थानीय नेता सभी ममता पर चुनावी स्टंट का आरोप लगाने लगे. राज की बात ये है कि तब पीएम मोदी ने खुद इस मसले पर पश्चिम बंगाल को लेकर हुई आंतरिक बैठक में इस मसले को लेकर सुझाव दिए कि सभी नेता आक्रामकता से ज्यादा तथ्यों के साथ बात रखें. उनका कहना था कि सभी नेता सबसे पहले ममता बनर्जी को जल्द स्वस्थ होने की शुभकामना दें और उसके बाद सवाल पूछें.

पीएम ने कहा कि ममता बनर्जी को लेकर सबको एक सवाल करना कि - दीदी आप चौबीस घंटे सुरक्षा घेरे में हैं. स्टेट पुलिस पूरी आपके हाथ में है. उसमें भी आपको चोट भी लग गई. मुख्यमंत्री या कोई बड़ा नेता जब जाए तो एक-एक पल का वीडियो बनता है. इसका क्यों नहीं है? साथ ही इसकी जांच होनी चाहिए कि इस सुरक्षा और हज़ारों तृणमूल कार्यकर्ताओं के बीच इतने सारे लोग हमले के लिए कैसे आ गए.

राज की बात ये भी कि बीजेपी नेतृत्व का मानना है कि दीदी की चोट का मुद्दा जनता के सामने बस तथ्यों के साथ ग़लत साबित करना है. इसके लिए जांच और चुनाव आयोग से वीडियो मंगाकर देखने के लिए लगातार बीजेपी मांग करेगी. बीजेपी ये भी मान रही है कि दीदी हड़बड़ा गई हैं. ये बीजेपी के लिए मौका है और इसे लगातार उठाकर बस सच्चाई सामने लाने के लिए ज़ोर डाला जाए.

पीएम ने ममता के बाहरी दांव की काट के लिए सुझाव दिया कि केंद्रीय नेताओं किसी तरफ से ममता के ख़िलाफ तीखी बयानबाजी करने के बजाय स्थानीय नेता ये मोर्चा संभालें. खासतौर से लोकल मीडिया के सभी माध्यमों में बीजेपी के स्थानीय नेता दिखें और छपें. पीएम का मानना है कि एक दो बड़े केंद्रीय नेताओं को छोड़ कर सभी अगर दीदी के खिलाफ ज्यादा दिखेंगे या छपेंगे तो उनका बाहरी का मुद्दा ज़ोर पकड़ेगा. पीएम के इस सुझाव का असर साफ दिखाई पड़ रहा है और अब फ्रंटलाइन पर स्थानीय नेता ही मीडिया में दिख रहे हैं.

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