उत्तराखंड की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था: 5 गांव का एक स्वास्थ्य केंद्र, जहां नहीं है कोई भी डॉक्टर
यहां पर हमारी मुलाकात हुई एएनएम कलावती नेगी से. कलावती ने हमें बताया कि फिलहाल इस स्वास्थ्य केंद्र में कोई डॉक्टर नहीं है. उसकी वजह है कि डॉक्टर का ट्रांसफर हो चुका है और उसके बाद कोई भी डॉक्टर यहां पर नहीं पहुंचा है.
एबीपी की टीम पहुंची जोशीमठ से करीब 35 किलोमीटर दूर सुराई थोटा नाम के उस गांव में, जहां 5 गांव का एक मेडिकल सेंटर है. हमारा मकसद यह जानने का था कि इस मेडिकल सेंटर में कितनी सुविधाएं मौजूद हैं. सूकी, भल्ला, फागती, टोलमा और लोंग ये वो 5 गांव हैं, जो इसी मेडिकल सेंटर के अंदर आते हैं. इन सभी गांवों की आबादी की अगर बात करें तो वो 1500 के करीब है. लेकिन हैरानी तो हमें तब हुई जब हमें ये पता चला कि इस स्वास्थ्य केंद्र में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं है.
यहां पर हमारी मुलाकात हुई एएनएम कलावती नेगी से. कलावती ने हमें बताया कि फिलहाल इस स्वास्थ्य केंद्र में कोई डॉक्टर नहीं है. उसकी वजह है कि डॉक्टर का ट्रांसफर हो चुका है और उसके बाद कोई भी डॉक्टर यहां पर नहीं पहुंचा है.
जब हमने यह जानने की कोशिश की कि अगर किसी की तबीयत ज्यादा खराब हो जाए तो उसका इलाज कैसे किया जाएगा. तब उन्होंने बताया कि उसे तो जोशीमठ लेकर जाना होगा. उनका कहना था कि किसी को अगर हल्का फुल्का बुखार है तो ये खुद दवाई दे देती हैं. लेकिन अगर किसी की तबीयत बिगड़ जाती है तो उसे जोशीमठ ही जाना पड़ता है. यह खुद मानती है कि यहां के हालात बहुत खराब हैं.
हमने मेडिकल सेंटर के अंदर का भी जायजा लिया. दवाई के नाम पर वहां पर सिर्फ कुछ ही दवाइयां रखी हुई थी. इसके अलावा कुछ भी नहीं था. कलावती नेगी ने हमें बताया की जो 5 गांव इनके अंदर आते हैं उनमें से अभी तक सिर्फ 2 गांव में ही कोरोना के टेस्ट शुरू हो पाए हैं, बाकी के 3 गांव में अभी तक कोई भी मेडिकल टीम नहीं पहुंची है.
उनका साफ तौर पर यह कहना है कि अधिकारियों को पहाड़ों में फैल रही इस बीमारी के बारे में पूरी जानकारी है, लेकिन कोई कुछ नहीं कर रहा है. यह खुद भी दुखी हैं और इस बात को मानती हैं कि यहां पर स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहद कमी है.