दिल्ली में हवा की क्वालिटी ‘बेहद खराब’ हुई, एक्सपर्ट्स की चेतावनी- प्रदूषण बढ़ने से कोरोना फैलने का खतरा भी बढ़ेगा
इस सीजन में पहली बार दिल्ली की हवा बेहद खराब हुई है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह आसपास के राज्यों में किसानों द्वारा पराली का जलाना है.
नई दिल्ली: दिल्ली में हवा की क्वालिटी मंगलवार को ‘बेहद खराब’ स्तर पर पहुंच गई. हवा की गति और तापमान कम होने के कारण हवा में प्रदूषण के तत्व जमा हो गए है. इस मौसम में पहली बार हवा की क्वालिटी इतनी खराब हुई है. वहीं एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि अगर दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण बढ़ेगा, तो कोरोना के मामले भी बढ़ सकते हैं. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के अनुसार पंजाब, हरियाणा और पाकिस्तान के नजदीकी क्षेत्रों में खेतों में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि होने से दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता खराब हो गई है. दिल्ली में मंगलवार सुबह 9:30 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 304 दर्ज किया, जो "बहुत खराब" श्रेणी में आता है. सोमवार को 24 घंटे का औसत एक्यूआई 261 रहा, जो फरवरी के बाद से सबसे खराब है. यह औसत रविवार को 216 और शनिवार को 221 दर्ज किया गया था.
किस इलाके में कितना एक्यूआई रहा?
दिल्ली के वजीरपुर में एक्यूआई 380, विवेक विहार में 355 और जहाँगीरपुरी में 349 रही, जहां सबसे अधिक प्रदूषण का स्तर दर्ज किया गया. उल्लेखनीय है कि 0-50 तक एक्यूआई को 'अच्छा', 51- 100 तक 'संतोषजनक', 101- 200 तक 'मध्यम', 201-300 तक 'खराब', 301-400 तक 'बहुत खराब' और 401- 500 तक 'गंभीर' माना जाता है.
क्यों बढ़ रहा प्रदूषण?
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि हवा की गुणवत्ता में गिरावट का कारण हवा की कम गति और कम तापमान हो सकता है, जिसके चलते हवा में प्रदूषक जमा होने लगे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘पड़ोसी राज्यों में भी पराली जलाने की घटना बढ़ गई हैं. इसके अलावा वेंटिलेशन इंडेक्स कम है. ’’ वेंटिलेशन इंडेक्स वह गति है जिस पर प्रदूषक पदार्थ फैल सकते हैं. हवा की 10 किमी प्रति घंटे से कम की औसत गति के साथ 6000 वर्गमीटर प्रति सेकंड से कम का वेंटिलेशन इंडेक्स प्रदूषकों के बिखरने के लिए प्रतिकूल होता है.
सीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में पीएम10 का स्तर सुबह नौ बजे 300 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा. भारत में 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से नीचे पीएम10 का स्तर सुरक्षित माना जाता है. पीएम10, 10 माइक्रोमीटर के व्यास वाला सूक्ष्म अभिकण होता है, जो सांस के जरिये फेफड़ों में चले जाते हैं. यह स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक होता है. ये अभिकण धूल-कण आदि के रूप में होते हैं. पीएम2.5 का स्तर 129 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया. पीएम2.5 का स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक सुरक्षित माना जाता है. पीएम2.5 अति सूक्ष्म महीन कण होते हैं जो रक्तप्रवाह में भी प्रवेश कर सकते हैं.
नासा के कृत्रिम उपग्रह द्वारा ली गई तस्वीरों के मुताबिक, पंजाब के अमृतसर और फिरोजपुर और हरियाणा के पटियाला, अंबाला और कैथल के पास बड़े पैमाने पर आग जलती हुई दिखाई दी. भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, मंगलवार सुबह हवा की अधिकतम गति 4 किलोमीटर प्रति घंटा थी. कम तापमान और स्थिर हवाएँ वायु गुणवत्ता को प्रभावित करने के साथ जमीन के करीब प्रदूषकों के संचय में मदद करती है.
विशेषज्ञों की चेतावनी- प्रदूषण बढ़ने से खतरनाक हो सकती है महामारी
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि दिल्ली-एनसीआर में हवा की खराब गुणवत्ता के कारण वायु प्रदूषण बढ़ने से कोविड-19 महामारी और बढ़ सकती है. वायु प्रदूषण दिल्ली के लिए एक गंभीर समस्या बन गई है.
दिल्ली सरकार ने शुरू किया ‘युद्ध प्रदूषण के विरुद्ध’
इस साल दिल्ली सरकार ने बड़े पैमाने पर वायु प्रदूषण-विरोधी अभियान ‘‘युद्ध प्रदूषण के विरुद्ध’’ शुरू किया है, जिसका नेतृत्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पर्यावरण मंत्री गोपाल राय कर रहे हैं. सर्दियों में वायु प्रदूषण के उच्च स्तर से निपटने के लिए उठाए जा रहे कदमों की निगरानी के लिए दिल्ली सचिवालय में 10 सदस्यीय विशेषज्ञ टीम के साथ एक "ग्रीन वार रूम" स्थापित किया गया है. पर्यावरण विभाग ने भी धूल नियंत्रण मानदंडों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है. सरकार मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में धान के खेतों में "पूसा बायो-डीकंपोजर" घोल का छिड़काव भी शुरू करने जा रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह 15 से 20 दिनों में फसल अवशेष को खाद में बदल सकता है और इस तरह से पराली को जलने से रोका जा सकता है, जिसके जरिये वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है.