विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की जीत ने उसे इस साल होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए मजबूत स्थिति में ला दिया है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी की बड़ी जीत से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के उत्तराधिकारी के बारे में फैसला करने का भरपूर मौका होगा जो 24 जुलाई, 2022 को अपना कार्यकाल पूरा करेंगे.


अगर उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणाम समाजवादी पार्टी के पक्ष में गए होते तो बीजेपी को बीजू जनता दल (बीजद), तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) जैसे दलों के समर्थन पर निर्भर रहना पड़ता.


राष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में लोकसभा, राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली एवं पुडुचेरी विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल हैं. विधानपरिषदों के सदस्य और मनोनीत सदस्य निर्वाचक मंडल का हिस्सा नहीं होते हैं.


लोकसभा के पूर्व महासचिव पी श्रीधरन ने कहा, ‘‘अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को फायदा है.’’


संख्या के संदर्भ में, निर्वाचक मंडल राज्यसभा के 233 सदस्यों, लोकसभा के 543 सदस्यों और विधानसभाओं के 4,120 सदस्यों- कुल 4,896 निर्वाचकों से बना है. प्रत्येक सांसद के वोट का मूल्य 708 निर्धारित किया गया है, जबकि राज्यों में एक विधायक के वोट का मूल्य सबसे अधिक 208 है. उत्तर प्रदेश विधानसभा के वोटों का कुल मूल्य 83,824, पंजाब का 13,572, उत्तराखंड का 4480, गोवा का 800 और मणिपुर का 1080 है.


एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में जीत के सिलसिले ने राष्ट्रपति चुनाव को बीजेपी के लिए आसान बना दिया है. 


विपक्ष के एक धड़े ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार को संभावित उम्मीदवार के रूप में पेश किया था. परोक्ष रूप से राष्ट्रपति चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए टीआरएस के सुप्रीमो और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने भी कुछ विपक्षी नेताओं से मुलाकात की थी.


बीजेपी के नेतृत्व वाले राजग में फूट पैदा करने के प्रयास में, राकांपा ने राष्ट्रपति चुनाव में संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार के रूप में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम प्रस्तावित किया है, लेकिन सवाल है कि क्या वह बीजेपी से अलग होंगे.


राष्ट्रपति चुनाव एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से आनुपातिक प्रतिनिधित्व की व्यवस्था का अनुसरण करते हैं. प्रत्येक वोट का मूल्य 1971 की जनगणना के आधार पर संबंधित राज्य की जनसंख्या के अनुपात में पूर्व निर्धारित होता है. इसके तहत 4,896 निर्वाचकों वाले निर्वाचक मंडल का कुल मूल्य 10,98,903 है और जीतने वाले उम्मीदवार को निर्वाचित घोषित होने के लिए कम से कम 50 प्रतिशत के साथ एक अतिरिक्त वोट प्राप्त करना होता है.


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