देश में बढ़ रहा है बर्ड फ्लू का खतरा, जानें क्या कहते हैं डॉक्टर, कैसे करें बचाव
देश के 7 राज्यों में बर्ड फ्लू अपने पैर पसार चुका है. राजधानी दिल्ली में भी पक्षियों के मरने की सूचना आ रही है.
नई दिल्ली: देश भर में अब कोरोना के साथ-साथ बर्ड फ्लू का खतरा भी बड़ रहा है. देश के 7 राज्यों में बर्ड फ्लू अपने पैर पसार चुका है. राजधानी दिल्ली में भी पक्षियों के मरने की सूचना आ रही है.
दिल्ली में पहले मयूर विहार में कौओं की और उसके बाद संजय झील में बत्तखों की असामान्य मृत्यु की सुचना मिली जिसके बाद परिक्षण के लिए नमूनों को प्रयोगशाला भेज दिया गया है. राजधानी दिल्ली में बर्ड फ़्लू के खतरे के चलते सावधानी बरतते हुए प्रशासन ने संजय झील के साथ-साथ 4 बड़े पार्क भी बंद कर दिए हैं.
साउथ दिल्ली का हौज़ खास पार्क, साउथ वेस्ट दिल्ली के द्वारका सेक्टर 9 का पार्क, पूर्वी दिल्ली की संजय झील और वेस्ट दिल्ली का हस्तसाल पार्क पब्लिक की आवाजाही के लिए पूरी तरह से बंद कर दिया गया है.
बर्ड फ्लू यानी एवियन इंफ्लूएंजा जंगली पक्षियों में होता है जो शहरी पक्षियों में उनसे फैल जाता है. जंगली पक्षियों के नाक, मुँह, कान से निकले द्रव से ये फैलता है और उनके मल से भी ये फैलता है. भारत में साल 2006, 2012, 2015 के बाद अब 2021 में बर्ड फ्लू यानी एवियन इंफ्लूएंजा ने हमला किया है.
मनुष्य में भी हो सकता है इसका संक्रमण एम्स के पूर्व डायरेक्टर एम.मिश्रा के मानें तो 2003-2019 के बीच विश्व के 1500 लोग बर्ड फ्लू के संक्रमण में आए थे जिनमें से 600 लोग इस संक्रमण के चलते अपनी जान गवा बैठे थे. डॉक्टर मिश्रा का मानना है के मोर्टेलिटी रेट बर्ड फ़्लू का मनुष्यों में काफ़ी ज़्यादा होता है.
इंटरनल मेडिसिन डॉक्टर स्वाति माहेश्वरी भी यही मानती हैं. उनका कहना है के दो लोगों को अगर बर्ड फ़्लू है तो उनमें से एक की जान बर्ड फ़्लू से गयी है. ऐसे में ये वायरस काफ़ी ज़्यादा मनुष्यों के लिए घातक है. ऐसे में सावधानी आवश्यक है. हालांकि बर्ड फ़्लू के काफी ज्यादा मामले नहीं आतें हैं. लेकिन हर वायरस की तरह ये भी बदल सकता है. ऐसे में सावधानी रखना आवश्यक है. मनुष्यों से मनुष्यों में ये खतरा फैलने का उतना डर नहीं है.
कैसे आता है मनुष्यों में बर्ड फ्लू? इंटरनल मेडिसिन डॉक्टर स्वाति माहेश्वरी बताती हैं कि मनुष्य में इंफेक्शन मरे या ज़िंदा संक्रमित पक्षियों से होता है उसके आंख से, मुंह से, नाक से जो द्रव निकलता है, या उनके मल से ये फैलता है. अगर इनमें से किसी भी चीज़ के संपर्क में मनुष्य आता है तो उसके अंदर भी ये संक्रमण आ सकता है.
अगर किसी सतह पर या किसी संक्रमित पक्षी को छूने के बाद यदि कोई मनुष्य अपनी आंख नाक या मुंह में वो गंदा हाथ लगाता है तो उसे संक्रमण का खतरा हो सकता है.
यह भी देखा गया है के जब जंगली पक्षी उड़ते समय मल निष्काषित करतें हैं तो उसके संपर्क में आने से ये बीमारी शहरी पक्षियों में भी फैल जाती है. ऐसे में जो लोग भी पोल्ट्री फार्म में कार्य करतें हैं या पक्षियों के संपर्क में सीधे तौर पर रहते हैं उन्हें ज़्यादा सावधानी बरतने कि अवश्यकता है. डॉक्टर्स का कहना है कि सब को इस समय सावधानी बरतनी है .
कोरोना से ठीक हुए लोग बरतें सावधानी हालांकि कोरोना के संक्रमण से मुक्त हुए लोगों को कोई सीधा खतरा नहीं है लेकिन डॉक्टर मालीवाल का कहना है कि जो लोग कोरोना के संक्रमण से ठीक हो रहे हैं वो लोग जरूर किसी और संक्रमण के रिस्क पर रहते हैं, उनके दूसरी बीमारी के चपेट में आने की संभावना रहती है क्योंकि जब भी आप एक बीमारी से ठीक होते हैं उस समय शरीर में उतनी शक्ति नहीं होती है, इम्यून सिस्टम भी कमजोर रहता है ऐसे में किसी भी और बीमारी के चपेट में आसानी से आ सकते हैं. इसलिए जो लोग कोरोना के संक्रमण से ठीक हुए हैं उन्हें काफी सावधान रहने की जरुरत है. कोरोना के संक्रमण से ठीक हुए लोगों को अपना ज्यादा ध्यान रखने की आवश्यकता है ताकि किसी भी बीमारी की चपेट में वो ना आएं.
वहीं एम्स के पूर्व डायरेक्टर का मानना है कि अगर कोरोना से ठीक हुआ कोई व्यक्ति किसी पोल्ट्री फार्म में काम करता है तो उसे अधिक सावधानी बरतने कि आवश्यकता है
बर्ड फ़्लू से जुड़ें हैं कई सारे मिथ बर्ड फ्लू में लोगों का डर उन्हें सबसे पहले अपने खान-पान में बदलाव लाने को मजबूर कर देता है. यही सवाल सब के मन में रहता है क्या अंडा या मीट खाना सही है?
डॉक्टरों कि मानें तो अंडा या मीट खाने में कोई खतरा नहीं है बस शर्त ये है कि उसे कच्चा या आधा पका ना खाया जाए. बर्ड फ़्लू का वायरस 70 डिग्री पर नष्ट हो जाता है तो इससे खाने में कोई खतरा नहीं है लेकिन कच्चा अंडा या मांस या आधापका मांस खाने से बचें.
घरों पर जाल डालना ज़रूरी नहीं कुछ लोग अपने घरों पर जाल डालते हैं ताकि पक्षी और उनका मल अंदर ना आ सके तो इसमें दो बातें हैं. पहला अगर कोई ऐसे इलाके में रह रहा है जहां पहले से संक्रमण फैला हुआ है तो यह करना उचित है. ताकि किसी तरह से पक्षियों के मल के संपर्क में वो ना आए. लेकिन अगर किसी के घर के अंदर चार पांच पालतू पक्षी पले हुए हैं तो उन्हें इस बात से डरने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि 2003 के बाद से घरेलू पक्षियों में यह संक्रमण नहीं देखा गया है.
कैसे करें बचाव, इन बातों का रखें ध्यान वे लोग जो पशुओं से संबंधित कार्य करते हैं जैसे उनका पालन, या वन विभाग में काम करते हैँ या उनके मृत शरीर से जुडा काम करतें हैं. इस तरह के लोगों को ज्यादा सावधानी बरतने की आवश्यकता है जभी भी पक्षी की डेड बॉडी के पास जाएं तो मास्क ग्लव्स पहन कर जाएं. अगर उनका मल साफ करें तो वह भी ग्लव्स पहनकर करें. अगर पक्षियों के द्रव से संपर्क में आते हैँ या उस पर हाथ रखते हैं जहां उनका मल पड़ा है तो सबसे पहले साबुन से अपने हाथो को धोना चाहिए क्योंकि अगर पक्षियों के द्रव या मल से संक्रमित हाथ मनुष्य अपने मुंह पर लगाता है तो उसमें भी यह संक्रमण आने का खतरा बन जाएगा.
जो लोग पक्षियों के आसपास रहते हैं या फिर उन से जुड़ा हुआ कोई कार्य करते हैं तो उनको समय-समय पर अपने हाथों को सैनिटाइज़ करने की आवश्यकता है या अपने हाथों को साबुन से धोएं ताकि वो इंफेक्शन आपके अंदर ना पहुंचे.
अगर आप किसी ऐसे इलाके में रह रहे हैं जहां पर कई सारे पक्षियों की मौतें हो रही हैं तो अपनी सरकार की रेगुलेटरी बॉडी से तुरंत संपर्क करें जिससे की जांच की जा सके और तुरंत एक्शन हो ताकि यह संक्रमण मनुष्यों में ना फैल पाए.
ग्लव्स, मास्क और सेनीटाइजर का उपयोग अब केवल कोरोना ही नहीं बल्कि बर्ड फ़्लू का खतरा भी देश में फैला है. डॉक्टर यही मानते हैं कि जो सावधानियां कोरोना के लिए बरतीं जा रही हैँ उन्हें निर्धारित रूप से आगे भी जारी रखना है ताकि बर्ड फ़्लू के खतरे से बचाव किया जा सके.
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