छत्तीसगढ़ सरकार और केंद्र के बीच टकराव की बनी स्थिति, सीएम भूपेश बघेल ने पीएम मोदी से फोन पर की चर्चा
छत्तीसगढ़ में केंद्र और राज्य सरकार के बीच धान खरीदी को लेकर टकराव की स्थिति बनी हुई है. प्रदेश में 1 दिसंबर 2020 से 30 जनवरी 2021 तक धान खरीदी होना है.
रायपुर: छत्तीसगढ़ में धान खरीदी को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है. प्रदेश में 1 दिसंबर 2020 से 30 जनवरी 2021 तक धान खरीदी होना है. पहले बारदाने यानी धान के बोरे को लेकर केंद्र और राज्य सरकार आमने-सामने रही और अब एफसीआई के चावल लेने की अनुमति नहीं मिलने के बाद तो तल्खी और बढ़ गई है.
हालात इतने बिगड़ गए हैं कि छत्तीसगढ़ सरकार के प्रवक्ता रविन्द्र चौबे ने यहां तक कह दिया कि कई धान खरीदी केंद्र में धान जाम की स्थिति बन गई है. ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्र सरकार ने अब तक चावल लेना शुरू नहीं किया. धान खरीदने के बाद राइस मिलरों के पास जाता है जिसके बाद केंद्र सरकार चावल खरीदती है. चावल का उठाव ना होने की वजह से राज्य में चल रही धान खरीदी प्रभावित हो रही है. इसी मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फोन पर बातचीत की.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आवश्यक हस्तक्षेप करने का आश्वासन दिया है- सीएम भुपेश बघेल
सीएम भूपेश बघेल ने ट्वीट कर बताया कि आज उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बातचीत हुई है. सीएम बघेल ने ट्वीट कर ये जानकारी दी. उन्होंने कहा कि, "प्रधानमंत्री मोदी जी से फोन पर बात हुई. मैंने उनसे अनुरोध किया है कि एफसीआई के चावल न लेने से छत्तीसगढ़ में भंडारण की समस्या हो जाएगी और किसानों के धान की खरीदी प्रभावित होगी. उन्होंने आवश्यक हस्तक्षेप करने का आश्वासन दिया है." सीएम बघेल ने ट्वीट कर ये भी बताया है की आम तौर पर नवम्बर में चावल उठाने की अनुमति मिल जाती थी लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. बारदाने की समस्या से धान खरीदी प्रभावित हो ही रही है.
मुख्यमंत्री बघेल ने फोन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को राज्य मे समर्थन मूल्य पर खरीदे गए धान को मिलिंग के बाद केन्द्रीय पूल में भारतीय खाद्य निगम को परिदान किये जाने के लिए जरूरी अनुमति खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग, भारत सरकार से अब तक प्राप्त नही होने के संबंध में अवगत कराया. उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की अनुमति प्राप्त न होने से वर्तमान में खरीदी केन्द्रों पर धान का उठाव न होने के कारण जाम की स्थिति निर्मित हो रही है. इससे धान के निराकरण में देरी होगी, जिससे भंडार किया हुआ धान बर्बाद हो सकता है. धान खरीदी प्रभावित होने से राज्य के पंजीकृत 21.52 लाख किसानों की आजीविका पर विपरीत प्रभाव पड़ना निश्चित है.
खरीफ वर्ष 2020-21 में केन्द्र सरकार द्वारा विकेन्द्रीकृत उपार्जन योजना में छत्तीसगढ़ राज्य को 60 लाख मेट्रिक टन चावल उपार्जन हेतु सैद्धान्तिक सहमति दी गई जिसके बाद राज्य सरकार ने 1 दिसंबर 2020 से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी शुरू की और अब तक 12 लाख किसानों से लगभग 47 लाख टन धान की खरीदी की जा चुकी है.
जमकर हो रही है राजनीति
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह धान केंद्रों में धान के केंद्रों से धान के उठाव पर छत्तीसगढ़ सरकार पर जमकर निशाना साध रहे हैं. रमन सिंह इसी बहाने किसान हितैषी बनकर किसानों की परेशानी पर कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. उधर कांग्रेस विधायक विकास उपाध्याय ने यहां तक कह दिया अगर सीएम भूपेश बघेल एक इशारा कर दें तो पूरी सरकार और सभी विधायक दिल्ली चल देंगे. आने वाले समय में इस समस्या का समाधान होता है या फिर केंद्र और राज्य के बीच तल्खी और बढ़ेगी ये तो समय बताएगा.
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