West Bengal Violence: बंगाल हिंसा की सीबीआई जांच का राज्य सरकार ने किया विरोध, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 1 हफ्ता टाली
पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि वो सीबीआई जांच के विरोध में एक संक्षिप्त नोट जमा करें.
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सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से कहा है कि वह राज्य में हुई हिंसा की सीबीआई जांच के विरोध में एक संक्षिप्त नोट जमा करें. राज्य सरकार ने चुनाव बाद हुई हिंसा की जांच सीबीआई और एसआईटी से करवाने के हाई कोर्ट के आदेश का विरोध किया था.
दरअसल, उसका कहना था कि यह आदेश राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम की रिपोर्ट के आधार पर दिया गया. उस टीम में सभी लोग राज्य सरकार के विरुद्ध पूर्वाग्रह रखने वाले थे. जस्टिस विनीत सरन और अनिरुद्ध बेंच के सामने दलील रखते हुए ममता बनर्जी सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने कहा, "मानवाधिकार आयोग की जांच टीम बीजेपी की जांच टीम जैसी थी. उसमें बीजेपी के महिला मोर्चे की नेता को भी रखा गया था.”
राज्य सरकार की आपत्तियों को ठीक से सुने रिपोर्ट सौंपी गई- सिब्बल
उन्होंने आगे कहा कि, “हाई कोर्ट ने यह भी तय नहीं किया कि वह जांच टीम किस तरह से जानकारी जुटाएगी. राज्य सरकार की आपत्तियों को ठीक से सुने बिना आयोग की रिपोर्ट पर मामला सीबीआई और एसआईटी को सौंप दिया." इस पर जजों ने सिब्बल से कहा कि वह एक संक्षिप्त नोट जमा करें. इसमें जांच टीम के सदस्यों के नाम और उस पर राज्य सरकार की आपत्ति के बारे में बताया जाए. कोर्ट ने प्रतिवादी पक्ष से भी मामले पर एक संक्षिप्त नोट जमा करवाने के लिए कहा. इस निर्देश के साथ सुनवाई सोमवार, 20 सितंबर के लिए टाल दी गई.
19 अगस्त को कलकत्ता हाई कोर्ट ने बड़ा आदेश देते हुए पश्चिम बंगाल हिंसा की जांच सीबीआई को सौंप दी थी. साथ ही एसआईटी का भी गठन किया था. हाई कोर्ट ने कहा था कि हत्या और रेप के मामलों की जांच सीबीआई करेगी. बाकी मामलों की जांच एसआईटी करेगी. हाई कोर्ट राज्य सरकार को हिंसा पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए कहा था. साथ ही सीबीआई और एसआईटी से 6 हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी थी.
मामले में 30 से ज़्यादा एफआईआर दर्ज
सीबीआई अब तक मामले में 30 से ज़्यादा एफआईआर दर्ज कर चुकी है. कई लोगों की गिरफ्तारी भी की गई है. अब राज्य की ममता सरकार ने जांच का विरोध करते हुए कहा है कि हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एकतरफा रिपोर्ट के आधार पर जांच सीबीआई को सौंप दी. राज्य पुलिस मामले की जांच में सक्षम है. वह जांच ज़िम्मेदारी से कर रही थी. लेकिन हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की दलीलों को अनसुना कर दिया.
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