अयोध्याः राम मंदिर निर्माण के लिए राम जन्मभूमि परिसर में की जाने वाली खंभों की पाइलिंग का काम फिलहाल फेल हो गया है. राम जन्मभूमि के गर्भगृह के नीचे 17 मीटर तक जलाशय हैं और उसके बाद भुरभुरी बालू, जिसकी वजह से राम मंदिर निर्माण के लिए जमीन के नीचे लगाए जाने वाले पिलर की टेस्टिंग पर जब प्रेशर डाला गया, तो वह नीचे खिसक गए. लिहाजा ट्रस्ट के सदस्य, कारदायी संस्था एल एंड टी और टाटा कंसल्टेंसी के अलावा ट्रस्ट के इंजीनियरों ने खंभों की पाइलिंग के काम को असफल करार दिया. अब श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए नींव में भी पत्थरों से ही काम चलेगा.


नींव के पत्थर मिर्जापुर से आएंगे


नींव में गहरी खुदाई कर पत्थर डाले जाएंगे और उसके ऊपर मंदिर का स्ट्रक्चर तैयार होगा. नींव में पत्थर भराई के कार्य के लिए मिर्जापुर से पत्थरों के आने की संभावना है. यह पत्थर कठोर और मजबूत होते हैं. मंदिर निर्माण के लिए बंसी पहाड़पुर (राजस्थान) से पत्थर आएंगे. गुरुवार को अयोध्या के राम सेवक पुरम में पत्थरों को रखने के लिए साफ सफाई का काम किया गया है. माना यह जा रहा है कि जल्दी बंसी पहाड़पुर के पत्थर अयोध्या पहुंचेंगे. साथ ही नींव के पत्थरों को भी राम जन्म भूमि परिसर में रखने के लिए इंतजाम किए जा रहे हैं. 15 जनवरी से मंदिर निर्माण का काम शुरू होने की संभावना है.


पत्थरों पर की जा रही कोडिंग


श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्रा ने बताया कि राम मंदिर निर्माण के लिए कारदायी संस्था एल एंड टी, टाटा कंसल्टेंसी और ट्रस्ट के इंजीनियर लगे हुए हैं. जब तक नींव की डिजाइन और फाउंडेशन का काम शुरू होगा, तब तक बाकी काम तेजी के साथ चलता रहेगा. राम जन्मभूमि कार्यशाला में मंदिर निर्माण के लिए तराश कर रखे गए पत्थरों की सफाई और उसके उसी क्रम में रखने के लिए पत्थरों पर नंबर डालने का काम चल रहा है. पत्थरों की उस लिहाज से कोडिंग की जा रही है. जिस लिहाज से मंदिर निर्माण में पत्थरों की आवश्यकता है. 70% पत्थरों की सफाई का काम पूरा हो चुका है और उन पर कोडिंग हो चुकी है.


ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा ने कहा कि कार्यशाला शुरू करने के लिए निर्माण कार्य में लगी एजेंसी ही तय करेगी कि उनके द्वारा पत्थरों की तराशी के लिए अलग से मजदूर को लाने का कार्य किया जाएगा. पत्थरों की तराशी का कार्य राम जन्मभूमि न्यास की कार्यशाला पर भी होगा और साथ ही राम जन्मभूमि परिसर में भी पत्थरों की तराशी के लिए कार्यशाला लगाई जाएगी. जहां से पत्थर खरीदे जाएंगे वहां पर भी कार्यशाला लगाई जाएंगी, जिससे वहीं से तराशे का कार्य करने के बाद पत्थरों को मंदिर के परिसर में भेजा जा सके. इससे मंदिर निर्माण का काम जल्दी हो सकेगा.


दिल्ली में होगी अहम बैठक


श्री राम जन्मभूमि क्षेत्र स्थित कैंप कार्यालय के प्रभारी प्रकाश कुमार गुप्ता ने बताया कि दिल्ली की बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि अब राम मंदिर निर्माण की नींव पत्थरों से ही भरी जाएगी. उसके लिए विशेष तरीके के मिर्जापुर से मजबूत और कठोर पत्थर लाए जाएंगे. 15 जनवरी से ही यह काम शुरू होना है. उसी के लिए जगह की साफ सफाई की जा रही है और रामसेवक पुरम में ही पत्थरों को स्टोर करने का स्थान है.


कार्यशाला पर पत्थरों को तराशी का काम किया जाता है. रामसेवक पुरम में इसी वजह से पत्थरों को रखने के लिए तैयारियां की जा रही हैं. मंदिर निर्माण के लिए राजस्थान के बंसी पहाड़पुर से पत्थर आते हैं और राम मंदिर की नींव में मजबूत और कठोर पत्थर चाहिए इसलिए वह पत्थर मिर्जापुर से मंगाए जाने की संभावना है.