नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना पर सीएजी की रिपोर्ट को आज संसद मे पेश किया गया है. रिपोर्ट में एक बड़ा खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक, सीमा पर वायुसेना की 06 'स्ट्रेटेजिक मिसाइल' स्कावड्रन को तैनात किया जाना था लेकिन वो पिछले 7 सालों से नहीं हो पाया है. इसका कारण मूलभूत सुविधाओं की कमी और बीईएल द्वारा बनाई गई इन मिसाइलों में तकनीकी खामियां हैं.


हालांकि रिपोर्ट में चीन का नाम नहीं है सिर्फ कोड वर्ड इस्तेमाल किए गए हैं. लेकिन जिस तरह की भाषा और जानकारी रिपोर्ट में दी गई है उससे साफ है कि ये मिसाइलें चीनी सीमा पर तैनात की जानी थीं.


रिपोर्ट में लिखा है कि 'विरोधी द्वारा सीमा पर लगातार इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रहा था उसे देखते हुए सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी (यानि सीसीएस जिसके मुखिया प्रधानमंत्री होते हैं) ने वर्ष 2009 में सीमा पर 06 मिसाइल स्कॉवड्रन तैनात करने को हरी झंडी दी थी. इसके लिए बीईएल यानि भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड को वायुसेना के लिए 'स्ट्रेटेजिक मिसाइल' तैयार करनी थी. ये स्ट्रेटोजिक मिसाइल सुपरसोनिक जमीन से आकाश में मार करने वाले मिसाइल थी. लेकिन 7 साल बाद भी इन्हें तैनात नहीं किया जा सका है.


सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक, वायुसेना ने इसके लिए रक्षा मंत्रालय पर आरोप लगाया है, लेकिन हकीकत ये है कि वायुसेना ने बीईएल से इन मिसाइलों के रखरखाव और मूलभूत सुविधाओं के लिए करार नही किया, जिसके चलते देरी हो गई.


साथ ही सीएजी रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि बीईएल की मिसाइलों में खामियां थी. सीएजी के मुताबिक, जो 80 मिसाइलें वायुसेना को सौंपी गईं उसमें से 20 का टेस्ट हुआ तो पाया गया कि 6 मिसाइल यानि 30 प्रतिशत ना तो तय दूरी तक पहुंच पाईं और ना ही वे ऑपरेशनली तैनात करने लायक थीं.


पिछले एक हफ्ते में सीएजी की ये दूसरी बड़ी रिपोर्ट है जो भारतीय सेनाओं की तैयारियों पर सवाल खड़ी कर रही है. कुछ दिन पहले ही सीएजी ने कहा था थलसेना के पास मात्र 10 दिन का ही गोलाबारूद है, जबकि सेना के पास 40 दिन का वॉर रिजर्व होना चाहिए.


हालांकि गोलाबारूद की रिपोर्ट के बाद रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने संसद में कहा था कि सेना के पास युद्ध लड़ने के लिए पर्याप्त गोलाबारूद है.