नोटबंदी: सुप्रीम कोर्ट में आमने सामने आए एटॉर्नी जनरल रोहतगी और सिब्बल

नई दिल्ली: नोटंबदी के बाद से ही पूरा देश कैश की समस्या से जूझ रहा है. लोगों को अपनी रोजाना की जरुरतों को पूरा करने के लिए घंटों लाइन में लगने के बाद भी पर्याप्त कैश नहीं मिल पा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने लोगों की परेशानी को देखते हुए केन्द्र सरकार से जवाब मांगा कि बैंक एक हफ्ते में लोगों को 24 हजार रुपए क्यों नही दे पा रहा है? इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से ये भी जवाब मांगा की क्या कॉपरेटिव बैंकों को कुछ शर्तों के साथ पुराने नोट लेने की इजाजत दी जा सकती है?
सुनवाई के दौरान केंद्र ने आरोप लगाया कि कुछ वकील जनहित याचिका की आड़ में इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं. प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर ने इसको लेकर नाराजगी जताई कि वकील एक दूसरे पर चीखकर शिष्टाचार भंग रहे हैं.
सरकार की तरफ से एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी जब पक्ष रख रहे थे तो उसी वक्त कुछ वकील उनकी दलील को बाधित करने के लिए बोल उठे. इस पर प्रधान न्यायाधीश ने नाराजगी जताई. अदालत में कपिल सिब्बल और पी चिदंबरम सरीखे वकील भी थे.
न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा, ‘‘दलील पेश करने का यह तरीका नहीं है. आप लोग इसे मछली बाजार बना रहे है. आप लोग नहीं चाहते कि कपिल सिब्बल जैसे वरिष्ठ वकील बोलें. देखिए, श्री चिदंबरम अब तक नहीं खड़े हुये. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘न्यायाधीश के तौर पर 23 साल के अपनी सेवा में मैंने ऐसे व्यवहार नहीं देखे. न्यायाधीश के तौर पर मेरा यह आखिरी सप्ताह और मैं भारी मन से जाउंगा. आप लोग किस तरह का माहौल बना रहे हैं?’’ पीठ में न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड भी शामिल थे.
इस पीठ ने कहा कि नोटबंदी दीर्घकालिक फायदों के मकसद से की गई है, लेकिन उसकी तत्काल चिंता इस बात की है कि लोगों को हो रही असुविधा को कैसे कम किया जाए. पीठ ने अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी से कहा कि वह जिला सहकारी बैंकों और प्रति सप्ताह निकासी की तय सीमा का पालन नहीं होने से जुड़े मुद्दें पर 14 दिसंबर को शीर्ष अदालत को सूचित करें. न्यायालय ने कहा कि वह अस्पतालों के पुराने नोट स्वीकार करने की समयसीमा बढ़ाये जाने की मांग पर सरकार का रूख जानना चाहता है.
रोहतगी ने प्रधान न्यायाधीश से कहा, मुझे यहां कोई किसान नहीं दिख रहा
सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार नोटबंदी को लेकर सुनवाई के दौरान जब सरकार के विरोधी पक्ष के वकीलों ने जिला सहकारी बैंकों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया तो एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि ‘मुझे यहां कोई किसान नहीं दिखाई दे रहा.’ प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और दूसरे वकीलों ने कहा कि सरकार चलन से बाहर हो चुके 1000 और 500 रूपये के पुराने नोट जिला सहकारी बैंकों में जमा करने की इजाजत नहीं दे रही, जबकि किसान इन्हीं बैंकों पर निर्भर हैं.
इस पर रोहतगी ने कहा, ‘‘किसके लिए कौन दलीलें दे रहा है. कोई किसानों के लिए उपस्थित नहीं हुआ है. याचिकाकर्ता वकील हैं. इनको जनहित याचिकाएं नहीं माना जा सकता है.’’ बहरहाल, कुछ याचिकाकर्ताओं के लिए उपस्थित सिब्बल ने कहा, ‘‘एटॉर्नी जनरल को हमारा मजाक नहीं बनाना चाहिए.’’
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