सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ने पर्यावरणीय चिंताओं के चलते गोवा रेल प्रोजेक्ट रोका, बदलाव की सिफारिश की
सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल एम्पावर कमेटी ने कहा कि उसे कर्नाटक में कैसल रॉक से गोवा के कुलेम तक रेलवे ट्रैक को दोहरा करने का कोई औचित्य दिखाई देता, क्योंकि यह ट्रैक पश्चिमी घाटों के नाजुक ईको-सिस्टम को नष्ट कर देगा जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है.
सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल एम्पावर कमेटी ने (CEC) ने गोवा में एक प्रमुख रेल विस्तार परियोजना को लाल झंडी दिखाते हुए रोक दिया है. इस परियोजना को लेकर पर्यावरण संबंधी गंभीर मुद्दे उठाए गए थे. इसके अलावा कमेटी ने राज्य में दो अन्य प्रस्तावित परियोजनाओं (एक राजमार्ग और एक पावर ट्रांसमिशन लाइन) के संबंध में महत्वपूर्ण बदलावों की सिफारिश की है. इन परियोजनाओं को केंद्र ने विभिन्न स्तरों पर पर्यावरण के संबंध में चिंता जाहिर करने के बावजूद पिछले साल मंजूरी दे दी थी.
ईको सिस्टम के लिए उचित नहीं
परियोजना को लेकर मुख्य आपत्ति थी कि ये गोवा के दक्षिण में स्थित भगवान महावीर वन्यजीव अभयारण्य (बीएमडब्ल्यूएस) और मोल्लेम नेशनल पार्क (एमएनपी) से होकर गुजरती है. 23 अप्रैल की अपनी रिपोर्ट में, सेंट्रल एम्पावर कमेटी ने कहा कि उसे कर्नाटक में कैसल रॉक से गोवा के कुलेम तक रेलवे ट्रैक को दोहरा करने का कोई औचित्य दिखाई देता, क्योंकि यह पश्चिमी घाटों की नाजुक ईको-सिस्टम को नष्ट कर देगा जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है. यही नहीं ये इलाका जैव विविधता हॉटस्पॉट और देश के सबसे महत्वपूर्ण वन्यजीव गलियारे में से एक है.
हाइवे व पावर प्रोजेक्ट में बदलाव की सिफारिश
गोवा फाउंडेशन द्वारा दायर एक आवेदन के आधार पर, सीईसी ने यह भी सिफारिश की कि गोवा में 400 केवी अतिरिक्त फीड के लिए विद्युत लाइनों को बिछाने के लिए गोवा-तन्मार ट्रांसमिशन परियोजना पर फिर से विचार किया जाए और इसे मौजूदा 220 केवी लाइन के साथ संशोधित किया जाए. कमेटी ने जैव विविधता से समृद्ध अनूठे वन आच्छादन और वन्यजीवों को बचाने के मकसद से ये सिफारिश की है. इसके अलावा एनएच 4 ए के चार लेन पर कर्नाटक सीमा के पास अनमोद से मोल्लेम तक, सीईसी ने सड़क की ऊंचाई को बढ़ाने की सिफारिश की है, ताकि वन्य जीवों को दुर्घटना से बचाया जा सके और मानव-वन्य जीव संघर्ष न हो.
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