दिल्ली: भारतीय‌ सेना ने 'नौसेरा के शेर' ब्रिगेडियर उसमान की कब्र की मरम्मत करा कर नया रूप दे दिया है. जामिया मिलिया स्थित कब्र पर नया पत्थर और साइन-बोर्ड लगने के बाद सैनिकों और स्थानीय लोगों ने पूरी कब्र को फूलों से सजाया.


आपको बता दें, ब्रिगेडयर उसमान की राजधानी दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में कब्र टूटने को लेकर सेना ने सख्ती दिखाई थी. सेना ने ‘हाई-लेवल’ पर विश्वविद्यालय प्रशासन को महावीर चक्र विजेता, ब्रिगेडियर मोहम्मद उसमान की क्रब की मरम्मत करने के लिए कहा था. साथ ही कहा था कि अगर यूनिवर्सिटी ने ऐसा नहीं किया तो वो खुद कब्र की मरम्मत कराएगी.


हाल ही में एक तस्वीर सामने आई थी जिसमें ब्रिगेडियर उसमान की कब्र टूटी-फूटी दिखाई पड़ रही थी. ये कब्र जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी की जमीन (कब्रिस्तान) पर है. यूनिवर्सिटी का कहना है कि ये कब्रिस्तान भले ही यूनिवर्सिटी की जमीन पर है, लेकिन कब्र की देखभाल की जिम्मेदारी परिवार की है.


बता दें कि उनके नेतृत्व में भारतीय सेना ने नौसेरा को अपने अधिकार-क्षेत्र में कर पाकिस्तानी सेना को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया था. उसके बाद से ही उन्हें नौसेना का शेर का खिताब दिया गया था. उनकी बहादुरी से पाकिस्तानी सेना इतनी बिलबिला गई थी कि उनकी मौत पर ईनाम की घोषणा तक कर दी थी.


लेकिन युद्ध के दौरान ही 1949 में पूंछ के झांगड़ इलाके में पाकिस्तानी सेना से लड़ते हुए वे एक तोप के गोले की चपेट में आ गए थे, जिसके चलते उन्होने युद्ध के मैदान में दम तोड़ दिया था. उनकी बहादुरी के लिए सरकार ने ब्रिगेडियर उसमान को देश के दूसरे सर्वोच्च वीरता सम्मान, महावीर चक्र से नवाजा था. इस युद्ध में भारत की तरफ से ब्रिगेडियर उसमान ही इतने बड़े सैन्य-अफसर थे जिन्होनें देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था. ब्रिगेडियर उसमान के जनाजे में खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू शामिल हुए थे.


ब्रिगेडियर उसमान के भाई एम ए अंसारी जामिया मिलिया इस्लामिया के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और यूनिवर्सिटी के चांसलर भी रहे थे. आजादी के दौरान ब्रिगेडियर उसमान ब्रिटिश सेना की बलूच रेजीमेंट में थे. लेकिन देश के विभाजन के वक्त बलूच रेजीमेंट पाकिस्तानी सेना का हिस्सा बन गई थी. लेकिन ब्रिगेडियर उसमान ने पाकिस्तानी सेना का हिस्सा बनने से इंकार कर दिया था.  हालांकि, पाकिस्तान ने उन्हें अपनी सेना का प्रमुख बनाने तक की पेशकश की थी.


बाद में वे भारतीय सेना की डोगरा रेजीमेंट से जुड़ गए थे. डोगरा रेजीमेंट की ये यूनिट पैराशूट रेजीमेंट में तब्दील हो गई थी. वर्ष 2014 में भारतीय सेना ने ब्रिगेडियर उसमान ने उनकी शहादत के दिन (3 जुलाई) जामिया मिलिया स्थित कब्र पर एक खास कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसमें पैराशूट रेजीमेंट के वरिष्ठ सैन्य-अधिकारियों ने हिस्सा लिया था. वर्ष 2018 में जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी ने एनसीसी के साथ मिलकर उनकी कब्र पर सर्जिकल-स्ट्राइक दिवस भी मनाया था. तब तक भी कब्र बिल्कुल ठीक थी.


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