नई दिल्लीः वैश्विक व्यापार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए भारत इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया समेत दुनिया के कई देशों के साथ कॉम्प्रेहेन्सिव एकनॉमिक पॉर्ट्नर्शिप एग्रिमेंट (सीपा) करने के प्रयास कर रहा है. इस कड़ी में सबसे अधिक उत्साह दिखाया है यूएई ने. बुधवार को यूएई के विदेश व्यापार राज्यमंत्री डा. थानी बिन जयोदी के साथ वाणिज्य और व्यापार मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि गुरुवार से दिल्ली में यूएई के साथ सीपा समझौते के लिए पहले दौर की दो दिवसीय बात-चीत शुरू होगी. ये समझौते पर आगे भी वार्ता चलती रहेगी लेकिन इस नेगोशिएशन की अंतिम समय सीमा तय कर दी गई है. 


फ़रवरी 2022 में साइन होगा भारत-यूएई सीपा समझौता 


यूएई के साथ स्थाई व्यापारिक सम्बन्ध बनाने के लिए आज से शुरू ‘सीपा समझौते के लिए नेगोशिएशन’ का दौर हर थोड़े दिन पर चलता रहेगा और फ़ाइनल नेगोशिएशन की शर्तें दिसम्बर 2021 तक तय कर ली जाएँगी. इसके बाद जल्द से जल्द क़ानूनी प्रक्रिया पूरी कर फ़रवरी 2022 में इस पर दोनों देशों के वाणिज्य और उद्योग मंत्री हस्ताक्षर करेंगे. 


नेगोशिएशन में क्या तय होगा 


यूएई के साथ शुरू हो रहे नेगोशिएशन में भारत और यूएई दोनों ही देश अपने-अपने व्यापारिक हितों को एक-दूसरे के सामने विस्तार से रखेंगे. कोशिश ये होगी कि सीपा समझौते की शर्तों में दोनों देशों के अधिकतम व्यापारिक हितों को सुरक्षित किया जा सके. 


यूएई के साथ सीपा समझौता होने से इन सेक्टरों को होगा फ़ायदा


1. भारत के एमएसएमई सेक्टर को 
2. शिल्पकारों को
3. हैंडलूम और हैंडिक्राफ़्ट को 
4. भारत की फ़ार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री को 


क्या होगा यूएई के साथ सीपा समझौते का फ़ायदा 


दरअसल सीपा समझौते के बाद दोनों देश व्यापार के लिहाज़ से एक दूसरे के लिए मोस्ट फ़ेवरेबल कंट्री जैसे हो जाएँगे. इससे भारत के व्यापारियों और उद्योगपतियों यूएई में कई तरह की विशेष सहूलियतें मिलने लगेंगी. मसलन 
कस्टम फ़सेलिटेशन, टैरिफ़ रिडक्शन, साझा लैबोरेटरी, एक्सचेंज ऑफ़ डेटा जैसी अनेकों सुविधाएँ आसानी से उपलब्ध होंगी. 


सीपा समझौते के बाद दोनों देशों की सरकारें एक दूसरे के बिज़नेस को विशेष सहूलियत देंगी, इस समझौते के अंतर्गत निवेश के लिए कई क़िस्म के क़रार होते हैं जिससे निवेश आसानी से दोनों तरफ़ आ सके, दोनों तरफ़ के फ़ाईनैनशिअल सिस्टम आपस में बेहतर संवाद स्थापित कर सकेंगे. 


भारतीय अर्थव्यवस्था को मिलेगी नई ऊंचाई


वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सीपा समझौते की माँग कई वर्षों से देश के व्यापार और उद्योग जगत की ओर से बनी हुई थी. इससे रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे. भारत की बड़ी योजनाओं को बूस्ट मिलेगा. यानी इंफ़्रास्ट्रक्चर डेवेलपमेंट, असेट मोनेटाइज़ेशन और निवेश में बढ़त होगी.  इसमें भी यूएई से निवेश को प्राथमिकता मिलेगी. इसके साथ ही यूएई का भी कम्फ़र्ट और विश्वास बढ़ेगा कि वो भारत में निवेश करे. कुल मिलाकर भारत की अर्थव्यवस्था में इसका एक मल्टी डाईमेंशनल इम्पैक्ट पड़ेगा. 


भारतीय व्यापार के लिए अफ़्रीका का गेटवे है यूएई


पीयूष गोयल ने कहा कि भारत के लिए यूएई की भौगोलिक  स्थिति ऐसी है कि वो हमारे व्यापार के लिए एक स्ट्रेटजिक महत्व रखता है. यूएई ने अपने आस-पास के देशों के साथ और ख़ास तौर से पूरे अफ़्रीका के साथ एक मजबूत व्यापारिक ढाँचा खड़ा कर लिया है. सीपा समझौते के माध्यम से भारत आधिकारिक रूप से इस बने बनाए ढाँचे का इस्तेमाल कर पाएगा. इससे भारत के उत्पादों की पहुँच समूचे अफ़्रीका तक हो जाएगी. 


यूएई ख़ुद एक बड़ा बाज़ार है. इसके अलावा यूएई के कई देशों के साथ फ़्री ट्रेड सम्बंध हैं. भारत को इस बनी बनाई सप्लाई चेन में एंट्री मिलेगी तो ये भारतीय व्यापार के लिए बेहत फ़ायदेमंद होगा. 


अंतरिक्ष विज्ञान में भारत से ट्रेनिंग कैम्प चाहता है यूएई


अंतरिक्ष विज्ञान पर किए गए एक सवाल के जवाब में यूएई के विदेश व्यापार राज्यमंत्री डा. थानी बिन जयोदी ने कहा कि हम चाहते हैं कि भारत के अंतरिक्ष विज्ञान का लाभ लेने के लिए हम ट्रेनिंग कैम्पों का आयोजन करें. इस पर पीयूष गोयल ने यूएई की तारीफ़ में याद किया कि कोविड की दूसरी लहर के दौरान यूएई ने लिक्विड आक्सीजन दे कर भारत की काफ़ी मदद की थी. 


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