नई दिल्लीः आधार की सुरक्षा पर उठ रहे सवालों के बीच विशिष्ट पहचान प्राधिकरण यानी यूआईडीएआई ने वर्चुअल आईडी की व्यवस्था शुरु करने का ऐलान किया है. साथ ही ग्राहक पहचान यानी केवाईसी के लिए आधार के इस्तेमाल को सीमित किया जाएगा.
बीते कुछ समय से आधार डेटा बेस से जानकारियां चोरी होने की खबरें लगातार आ रही है. एक अंग्रेजी अखबार ने तो यहां तक दावा किया किया कि चंद रुपये के एवज में जानकारियां हासिल करना मुमकिन है. दूसरी ओर रिजर्व बैंक की मदद से चलने वाले एक शोध संस्थान के आलेख में दावा किया गया कि आधार डाटा साइबर अपराधियों के लिए खासी मददगार साबित हो सकते हैं. हालांकि प्राधिकरण ये लगातार दावा करता रहा है कि लोगों की जानकारियां पूरी तरह से सुरक्षित है और सेंध लगाना लगभग नामुमकिन है. फिर भी प्राधिकरण ने निजता को लेकर जतायी गयी चिंता का हवाला देते हुए सुरक्षा के नए उपायों का ऐलान किया है.
वर्चुअल आईडी
- मौजूदा व्यवस्था में आधार के जरिए पहचान की पड़ताल के लिए किसी को भी 12 अंकों वाला अपना आधार नंबर बताना होता है. लेकिन प्रस्तावित व्यवस्था में इसकी जगह नया विकल्प होगा. इसमें
- कोई भी व्यक्ति यूआईडीएआई की वेबसाइट (https://uidai.gov.in) पर जाकर अपने आधार नंबर के एवज में वर्चुअल आईडी तैयार कर सकता है. ये सुविधा केवल आधार धारक को ही हासिल होगा.
- 16 अंकों का वर्चुअल आईडी कुछ समय के लिए ही मान्य होगा. तय समय के बाद नया आईडी जारी करना होगा. ध्यान रहे कि एक समय में एक ही वर्चुअल आईडी चलेगा और नया आईडी आने के बाद पुराना अपने-आप रद्द हो जाएगा.
- वर्चुअल आईडी की बदौलत फोन कंपनियां या बैंकों को आधार धारक की सीमित जानकारी मसलन नाम, पता और फोटोग्राफ मिलेगा जो उस व्यक्ति की पहचान साबित करने के लिए काफी होगा. वर्चुअल आईडी की बदौलत आधार नंबर की जानकारी नहीं मिलेगी.
- वर्चुअल आईडी से पहचान साबित करने का वही तरीका होगा जो अभी आधार के जरिए होता है.
- जहां कहीं भी पहचान की पड़ताल करनी है या फिर केवाईसी कराना हो, वहां पर इस वर्चुअल आईडी का इस्तेमाल हो सकता है. इस तरह संबंधित एजेंसी के पास आधार नंबर जमा नहीं हो सकेगा.
- वर्चुअल आईडी का इस्तेमाल पहली मार्च से शुरु हो जाएगा जबकि पहली जून से ये अनिवार्य कर दिया जाएगा.
- जो भी एजेंसी तय समय तक नए विकल्प के लिए जरुरी सुविधा विकसित नहीं करेगी, उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.
इसके साथ ही केवाईसी के लिए आधार के सीमित इस्तेमाल का प्रावधान किया गया है. प्राधिकरण का कहना है कि जरुरत के आधार पर या फिर सीमित जानकारी के लिए ही आधार का इस्तेमाल हो सकेगा.
अब तक देश भर में 119 करोड़ आधार नंबर जारी किए जा चुके हैं. आधार एक पहचान है और भारत में रहने वाला कोई भी व्यक्ति, यहां तक की विदेशी नागरिक भी, आधार नंबर ले सकता है. सरकार कई मौकों पर कह चुकी है कि आधार नागरिकता का सबूत नहीं. विभिन्न योजनाओं में सरकारी मदद जैसे सब्सिडी व स्कॉलरशिप देने के लिए आधार को आधार बनाया जाता है.
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