नई दिल्लीः दिल्ली में अगर कोरोना संक्रमण के मामले इसी तरह से बढ़ते रहे तो फिर जुलाई अंत तक दिल्ली भारत का न्यूयॉर्क बन सकता है. यहां यह साफ कर देना जरूरी है कि विकास और प्रगति के मामले में दिल्ली और न्यूयॉर्क की तुलना नहीं हो रही बल्कि तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों की वजह से यह तुलना होने लगी है.
दिल्ली में हालात इतने खराब हो रहे हैं यह बात निकलकर आई उपराज्यपाल की अध्यक्षता वाली दिल्ली आपदा प्रबंधन की बैठक के दौरान. दिल्ली आपदा प्रबंधन की बैठक के दौरान एक प्रेजेंटेशन दिया गया जिसमें यह बताया गया कि जिस तरह से दिल्ली में मौजूदा दर से आंकड़े बढ़ रहे हैं अगर इस पर लगाम नहीं लगती तो जुलाई अंत तक दिल्ली में 5 लाख से ज्यादा कोरोना संक्रमण के केस हो सकते हैं.
देश की तुलना में दिल्ली के हालात खराब
दिल्ली के उपराज्यपाल की अध्यक्षता में हुई दिल्ली आपदा प्रबंधन की बैठक के दौरान एक प्रेजेंटेशन दिया गया. इस प्रेजेंटेशन में यह बताया गया कि किस तरह से दिल्ली में लगातार कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं.
इस प्रेजेंटेशन के माध्यम से यह बताने की कोशिश की गई कि देश की राजधानी दिल्ली में फिलहाल मौजूदा ग्रोथ रेट 5.4 की है और डबलिंग रेट 12.6 का है. अगर इसी दर से कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते रहे तो 15 जून तक 44,000 मामले हो जाएंगे. वहीं 30 जून तक मामले 1 लाख तक पहुंच सकते हैं, 13 जुलाई तक यह मामले 2 लाख के पार और 31 जुलाई तक 5 लाख का आंकड़ा भी पार हो सकता है.
प्रेजेंटेशन में यह भी बताया गया कि किस तरीके से जहां देश में रिकवरी रेट यानी स्वस्थ होने वाले लोगों की दर 48 फ़ीसदी के पार है तो वहीं देश की राजधानी दिल्ली में 40 फ़ीसदी से कम लोग फिलहाल स्वस्थ हो रहे हैं और यह भी एक चिंता का विषय है.
केंद्र के अधिकारियों ने दिल्ली सरकार की कमेटी ट्रांसमिशन की आशंका को नकारा
हालांकि दिल्ली सरकार की तरफ से बैठक में मौजूद उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने जिस तरीके से मामले बढ़े हैं उसमें कम्युनिटी ट्रांसमिशन के खतरे का मुद्दा भी उठाया.
सतेंद्र जैन ने कहा कि जिस तरीके से दिल्ली में मामले बढ़े हैं और उन मामलों में यह पता नहीं चल रहा कि आखिर वह संक्रमण फैला कहां से या संक्रमित व्यक्ति किस के संपर्क में आकर संक्रमित हुआ है तो यह दर्शाता है कि दिल्ली कम्युनिटी ट्रांसमिशन की स्टेज तक पहुंच गया है. हालांकि बैठक के दौरान केंद्रीय मंत्रालय के अधिकारी ने साफ कहा कि फिलहाल ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है जो यह दिखाता है कि दिल्ली में कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो गया है. लिहाज़ा अभी यह कह देना कि दिल्ली में कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो रहा है सही नहीं है.
उपराज्यपाल ने स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार पर जोर दिया
बैठक के बाद उपराज्यपाल की तरफ से ट्वीट कर जानकारी दी गई कि उन्होंने बैठक में इस बात पर जोर दिया है कि स्वास्थ्य सेवाओं में जल्द से जल्द और कड़े कदम उठाने की जरूरत है. जैसे कि मौजूदा स्वास्थ्य व्यवस्था को और बेहतर किया जा सके साथ ही किसी भी संदिग्ध व्यक्ति की कोरोना संक्रमण की जांच की जानी चाहिए जो कि आईसीएमआर के नियमों के हिसाब से है और उसी हिसाब संदिग्ध व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती करना चाहिए.
दिल्ली में कैसे सुधरेंगे हालात!!
फिलहाल दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मुद्दे पर अभी तक सभी दल एक साथ खड़े होने और लड़ाई लड़ने की बात कर रहे थे. लेकिन अब धीरे-धीरे जब हालात बेकाबू होते दिख रहे हैं तो कोरोना के मुद्दे पर भी जमकर राजनीति भी शुरू हो गई है. एक दूसरे के ऊपर आरोप प्रत्यारोप लगाए जाने लगे हैं और लापरवाही के आरोप भी मढ़े जा रहे हैं. लेकिन इस सबके बीच दिल्ली की आम जनता तो बस यही चाहती है कि जल्द से जल्द स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हो और कोरोना संक्रमण के जो हालात बेकाबू होते जा रहे हैं उनको काबू किया जा सके. जिससे कि दिल्ली को कोरोना संक्रमण का न्यूयॉर्क बनने से रोका जा सके.
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