नई दिल्ली: डोकलम विवाद को लेकर भारतीय सेना ने चीनी सेना के इरादों का आंकलन किया है. इस 'एससेमेंट' के मुताबिक, भारत को फिलहाल चीन से कोई खतरा नहीं है. मिलेट्री भाषा में कहें तो 'नो रेड फ्लैग'. भारत के सुरक्षातंत्र के उच्चपदस्थ सूत्रों से एबीपी न्यूज को ये विश्नसनीय जानकारी मिली है कि भारतीय सीमा पर चीन की सेना का कोई जमावड़ा नहीं है. यानि युद्ध की संभावना कम ही दिखाई पड़ रही है.


विश्वसनीय सूत्रों से एबीपी न्यूज को ये जानकारी भी मिली है कि जिस युद्धभ्यास के वीडियो और जानकारी चीन ने साझा की है वो दरअसल डेढ़ महीने पहले हुई थी. ये युद्धभ्यास डोकलम से करीब 750 किलोमीटर दूर तिब्बत की राजधानी ल्हासा के करीब हुई थी. हालांकि चीन की सड़कें और हाईवे हैं ल्हासा से याटूंग तक लेकिन हेवी मशीनरी (टैंक, तोप इत्यादि) को मूव करने में कम से कम 3-4 दिन लगेंगे.


सूत्रों के मुताबिक, पिछले दो महीने में चीन की सेना ने वो 11 पुल (शैंग्पो यानि ब्रहमपुत्र नदी) अभी तक क्रॉस नहीं किए हैं जो भारत की सीमा की तरफ आते हैं. अगर चीनी की पीएलए सेना इन ग्यारह पुलों को पार करती है तभी 'रेड फ्लैग' अलर्ट जारी किया जायेगा. जिसकी स्थिति अभी तक नहीं आई है. ये पुल भारत की सीमा से करीब 250 किलोमीटर दूर हैं.


भारतीय सेना ने जो पिछले एक महीने से डोकलम विवाद का आंकलन किया है उसके मुताबिक चीन जो हरकतें कर है वो उसकी 'साई ऑप' का हिस्सा है यानि 'साइकोलोजिकल-ऑपरेशन' की चरम सीमा है. चीन की मिलेट्री कमीशन रिपोर्ट 2003 में दुश्मन के खिलाफ मीडिया में साईक्लोजिकल ऑपरेशन को अहम माना गया है. जानकारों के मुताबिक, चीन उसी साई-ऑप के तहत काम कर रहा है.


जानकारी के मुताबिक, चीन की पीएलए सेना की वेस्टर्न कमांड पूरे भारत के 3488 किलोमीटर की सुरक्षा करती है यानि कारोकरम पास (दर्रे) से लेकर अरूणाचल प्रदेश तक. इस कमांड के अंतर्गत करीब 15-16 डिवीजन आती हैं. ये एक ज्वाइंट कमांड है यानि जिसमें थलसेना और वायुसेना का एकीकरण हैं. 2015 में चीन ने अपनी थलसेना और वायुसेना को मिलाकर चार (04) ज्वाइंड कमांड तैयार की थीं. उससे पहले झेंगडु और लेंजोए मिलेट्री एरिया कमांड भारत की सीमा की निगरानी करते थे. झेंगडु मिलेट्री एरिया हिमाचल, उत्तराखंड से लेकर नार्थ ईस्ट तक के लिए जिम्मेदार थी और लेंग्जोए पूरे लद्दाख एरिया पर तैनात रहती थी.


चीन की एक डिवीजन में करीब 10-12 हजार सैनिक होते हैं लेकिन पिछले दो महीने में कोई बड़ी मूवमेंट इस वेस्टर्न कमांड में देखने को नहीं मिली है. इस ज्वाइंट कमांड के अंतर्गत पांच (05) एयरबेस हैं जो भारत की सीमा को करीब है. इसके अलावा 4-5 एयर-स्ट्रिप भी भारत की सीमा के करीब हैं लेकिन वहां से कोई ज्यादा 'लॉजिस्टिक-सपोर्ट' चीनी सेना को मिलने की उम्मीद नहीं है.


सेना मुख्यालय के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक, चीन सीमा पर भारत की एक दर्जन डिवीजन हैं. लेकिन खास बात ये है कि डोकलम इलाके में भारतीय सेना चीन के मुकाबले कहीं ज्यादा 'एडवांटेज पोजिशन' में है. इस इलाके में भारतीय सेना 'डोमिनेटिंग हाईट्स' पर है. अगर चीन इस इलाके में भारत से लड़ाई करता है तो चीन को भारत के एक सैनिक के मुकाबले कम से कम नौ (09) सैनिकों की जरूरत पड़ेगी.


जानकारों के मुताबिक, किसी भी युद्ध के तीन (03) 'इंडीकेटर्स' यानि संकेत होते हैं. पहला, 'अर्ली इंडीकेटर' (Early Indicator') यानि शुरूआती संकेत. इसके तहत युद्ध करने वाले देश आपस का व्यापार बंद कर देते हैं. लेकिन डोकलम विवाद के बाद से दोनों देशों का व्यापार सुचरू रूप से चल रहा है. यहां तक की नाथूला पास पर भी ट्रेड पोस्ट पर दोनों देशों के बीच व्यापार हो रहा है. दूसरा है 'लेट इंडीकेटर' जिसके तहत दुश्मन सेना की मूवमेंट और पैट्रोलिंग सीमा पर बढ़ जाती है. लेकिन ये भी अभी इतनी नहीं बढ़ी है.


तीसरा है 'डिलेड इंटीकेटर' (Delayed Indicator') जिसके तहत सीमा पर छोटी मोटी फायरिंग और झड़प होती है. लेकिन अभी तक डोकलम में भी यो स्थिति नहीं आई है. हालांकि सेना को सूत्रों ने कहा भले ही चीन सेना भारत के खिलाफ साईक्लोजिकल ऑपरेशन कर रही है लेकिन भारतीय सेना पूरी तरह से सतर्क और सजग है.