दिल्ली में हो सकती है पानी की किल्लत, केंद्र सरकार शुरू करने जा रही है मेन्टेन्स का काम: राघव चड्डा
दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्डा ने कहा कि दिल्ली में ब्यास नदी से पानी की 25% आपूर्ति होती है जिसे केंद्र सरकार मेन्टेन्स के नाम पर बंद करने जा रही है जो कि दिल्ली वालों के लिए मुश्किल साबित हो सकता है.
दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्डा ने आज दोपहर दिल्ली सचिवालय में प्रेस वार्ता कर पत्रकारों को संबोधित करते हुए जानकारी दी कि दिल्ली में ब्यास नदी से पानी की 25% आपूर्ति होती है जिसे केंद्र सरकार मेन्टेन्स के नाम पर ऐसे समय मे बंद करने जा रही है. जब पानी की सबसे ज्यादा जरूरत आने वाले वक्त में होगी क्योंकि गर्मी में पानी की खपत बढ़ जाती है.
दिल्ली वाले 4 सोर्सेस से आने वाले पानी पर निर्भर हैं- राघव चड्डा
राघव चड्डा कहते हैं कि "दिल्ली लैंड लॉक्ड प्रदेश है, हमारी अपनी कोई वाटर बॉडी नहीं है. दिल्ली वाले 4 सोर्सेस हरियाणा में यमुना नदी, यूपी से गंगा नदी ग्राउंड वाटर और नगल से व्यास नदी से आने वाले पानी पर निर्भर हैं. वहीं व्यास नदी से आने वाला पानी इन 7 जगहों पर ट्रीटमेंट के लिए जाता है- हैदरपुर , नांगलोई, बवाना, द्वारका, चंद्रावल , ओखला और वजीराबाद”
दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष और आम आदमी पार्टी के विधायक आगे कहते हैं कि, “ये जो पानी मिलता है वो एक MOU ओर सुप्रीम कोर्ट के जरिए दिल्ली के अधिकार के रूप में लिखा गया है. ये दिल्ली वालों को मिलना चाहिए. इसे भाखड़ा ब्यास बोर्ड रखरखाव के नाम पर रोकने जा रहा है और यह जानकारी हमारे संज्ञान में एक चिट्ठी के जरिए आई जिसमें लिखा है कि 25 मार्च से 24 अप्रैल 2021 यानि पूरा 1 महीना नांगल चैनेल बन्द रहेगा. जिससे 232 MGD पानी की आपूर्ति कम हो जाएगी” उन्होंने आगे कहा कि, “गर्मियों में डिमांड पीक पर पहुंच जाएगी ऐसे में 232 mgd की पानी की सप्लाई रोक दी गई तो दिल्ली में त्राहि त्राहि मच सकती है”
सप्लाई बाधित हुई तो त्राहि त्राहि मच जायेगी- राघव चड्डा
दिल्ली जल बोर्ड ने 19 फरवरी को चिट्ठी का जवाब लिख कर केंद्र हरियाणा और BBMB को ये कहा कि, “ये सप्लाई बाधित ना की जाए क्योंकि इस समय तक दिल्ली में गर्मियों दस्तक दे चुकी होगी और पानी की मांग पीक पर होगी” “साथ ही ये ना भूलें कि सभी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थान दिल्ली में हैं जैसे एम्बेसी, राष्ट्रपति भवन, सुप्रीम कोर्ट इत्यादि. भाखड़ा व्यास मैनेजमेंट बोर्ड जो इस रिपेयर मेन्टेन्स का सूत्रधार बना है ये सीधा जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत आता है. दिल्ली में गर्मियों में पीक पर डिमांड होने पर 1000 से 1200 MGD तक चली जाती है”
पत्रकारों के सवाल पूछे जाने पर चड्डा कहते हैं कि "रिपेयर और मेन्टेन्स का काम हर साल नहीं होता है और जब भी होता है तब इस तरह से ब्लाइंड क्लोजर नहीं किया जाता है. कोई भी व्यक्ति रिपेयर- मेन्टेन्स के खिलाफ नहीं है लेकिन मेन्टेन्स करने का समय और तरीका होता है. दिल्ली का 400 क्यूसेक पानी बाधित हो जाए तो फिर दिल्ली में त्राहि त्राहि छा जाएगी. इस समय इतना बड़ा संकट हमारे सामने खड़ा है जो हमे देख रहा है, घूर रहा है"
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