जनसंख्या नियंत्रण नहीं, बल्कि इन बिलों पर संसद में होगा बवाल; कुल 17 नए बिल होंगे पेश
एबीपी न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक, मॉनसून सत्र में सरकार 17 नए बिल पेश करेगी. इनमें 3 बिल ऐसे हैं जो अध्यादेश के बदले पेश होंगे.
नई दिल्ली: 19 जुलाई से शुरू होने जा रहे संसद के मॉनसून सत्र में महंगाई, कोरोना की दूसरी लहर और भारत-चीन सीमा तनाव जैसे मुद्दों पर तो सरकार और विपक्ष में तकरार होगी ही, साथ ही सरकार कुछ ऐसे बिल भी पेश करेगी जिनपर नोंक झोंक होने की संभावना है.
एबीपी न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक, मॉनसून सत्र में सरकार 17 नए बिल पेश करेगी. इनमें 3 बिल ऐसे हैं जो अध्यादेश के बदले पेश होंगे. अध्यादेश के बदले पेश होने वाले बिलों में Insolvency & Bankruptcy Code (amendment) बिल, The Essential Defence Services Bill और Commission for Air Quality Management in NCR & adjoining areas बिल शामिल हैं. इनमें आवश्यक रक्षा सेवा बिल (Essential Defence Services Bill ) पर संसद में बवाल हो सकता है. इस बिल में सेना के लिए हथियार, गोला बारूद और यूनिफॉर्म बनाने वाले देशभर के आयुध कारखानों में हड़तालों को गैर कानूनी बनाते हुए इनमें शामिल होने वाले लोगों के लिए 2 साल तक की जेल का भी प्रावधान है. खुद आरएसएस से जुड़े भारतीय मज़दूर संघ ने इसका पुरज़ोर विरोध किया है.
इसके अलावा दिल्ली एनसीआर और आसपास के इलाकों में पराली जलने जैसी घटनाओं से होने वाले प्रदूषण को रोकने वाले बिल पर भी हो हंगामा हो सकता है. दिल्ली सीमा पर आंदोलन कर रहे किसान भी इस बिल का विरोध कर रहे हैं. इसके अलावा पेश होने वाले 14 अन्य नए बिलों Electricity Amendment बिल, Deposit Insurance & Credit Guarantee Corporation Bill , Coal Bearing Areas ( Acquisition ) Bill और Pension Fund Regulatory & Development Authority जैसे विधेयक काफी अहम हैं. इसके अलावा लद्दाख में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित करने वाला बिल भी नए बिलों में शामिल है.
इसके साथ ही मानव तस्करी, खासकर महिलाओं और बच्चों की तस्करी रोकने और तस्करों को सख़्त सज़ा देने वाला बिल भी, इसी सत्र में पेश किया जाएगा. वहीं पुराने बिलों में DNA Technology बिल, Data Protection बिल और Maintenance of Senior Citizen बिल भी महत्वपूर्ण हैं.
उधर तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि पार्टी सत्र की शुरुआत में ही महिला आरक्षण विधेयक को पारित करवाने की मांग करेगी. लोकसभा से पारित होने के बाद ये बिल राज्यसभा में लंबित है.