नई दिल्ली: दिल्ली के पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने आज अपनी सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने कई बातों का ज़िक्र किया. अपनी इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में एसएन श्रीवास्तव ने महिलाओं के साथ हुए अपराधों का भी जिक्र किया. महिलाओं के साथ हुए अपराधों का आंकड़ा तो जारी किया ही गया, साथ ही साथ 14 ऐसे डार्क स्पॉट के बारे में बताया गया जो महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं हैं. यह वह 14 खतरनाक इलाके हैं. जहां महिलाओं को खतरा है.
14 खतरनाक इलाके, जो नहीं हैं महिलाओं के लिए सुरक्षित
दिल्ली का बिंदापुर, द्वारका साउथ, द्वारका नॉर्थ, सागरपुर, न्यू उस्मानपुर, सुल्तानपुरी, निहाल विहार, प्रेमनगर, केएन काटजू मार्ग, समय पुर बादली, आनंद पर्वत, लक्ष्मी नगर, मयूर विहार, खजूरी खास यह वह इलाके हैं, जहां महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध के मामले सामने आए हैं.
दिल्ली पुलिस ने अपनी इस सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो आंकड़े जारी किए, उससे पता चलता है कि दिल्ली में रेप की शिकार पीड़िता के गुनहगार अधिकतर मामलों में परिचित ही होते हैं. पुलिस कमिश्नर ने साल 2019 और साल 2020 के आंकड़े जारी किए. साल 2019 से 2020 में सबसे ज्यादा 44 फीसदी आरोपी परिवार के लोग या करीबी थे. 26 फीसदी आरोपी पीड़िता के ही जानकार थे. खुद के रिश्तेदारों का प्रतिशत 14 है. जबकि 12 फीसदी आरोपी पीड़िता के पड़ोसी थे. रेप के केस में सिर्फ 2 फीसदी आरोपी ऐसे हैं, जो पीड़िता को नहीं जानते हैं.
दिल्ली पुलिस ने जो आंकड़े जारी किए उससे यह साफ हो जाता है कि महिलाओं को अपनों से ज्यादा खतरा है ना कि अनजान लोगों से. इसी वजह से रेप के मामलों में सिर्फ 23 प्रतिशत आरोपियों को कोर्ट से सज़ा हो पाती है.
पुलिस द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 2020 में 1699 रेप के मामले दर्ज हुए, जिसमें से सिर्फ 23 फीसदी आरोपियों को ही सज़ा हो पाई, बाकी सब बरी हो गए. जबकि देश भर में सज़ा का प्रतिशत 28 है. दिल्ली में 21 प्रतिशत हत्याएं, गुस्से में आकर की गईं. सबसे ज्यादा 44 फीसदी हत्याएं दुश्मनी और अन्य विवादों की वजह से हुई है.
हत्याओं के मामलों की अगर बात करें तो दिल्ली पुलिस ने अपनी सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि साल 2020 में दिल्ली में कुल 472 हत्याएं हुईं थीं, जबकि 2019 में 521 हत्याएं हुईं थीं. हालांकि 2019 की तुलना में 2020 में हत्यायों में कमी आई. दिल्ली में सबसे ज्यादा 44 फीसदी मर्डर आपसी दुश्मनी और अन्य विवादों की वजह से हुए. जबकि 21 फीसदी क़त्ल आरोपियों ने अचानक से आवेश में आकर किए. मतलब आरोपी की हत्या करने के पीछे कोई सोची समझी साज़िश नहीं थी, बल्कि अचानक बने हालात में गुस्से में आकर हत्या को अंजाम दिया गया. 17 फीसदी क़त्ल किसी अन्य वजहों से किए गए थे. 8 प्रतिशत हत्याएं आरोपियों ने रोमांच में आकर की.