नई दिल्ली: निर्भया मामले में दोषियों को सजा-ए-मौत की खबर का पूरा देश बीते सात सालों से इंतजार कर रहा था. आखिरकार गुनहगारों की फांसी का वक्त मुकर्रर हो गया है. आज सुबह साढे पांच बजे चारों दोषियों को फांसी दी जाएगी. देश में इससे पहले भी फांसी की सजा सुनाई गई हैं. आइए जानते हैं कि फांसी की वो सजाएं जिनकी चर्चा आज भी देश में की जाती है-


चर्चित फांसी नंबर एक


1993 मुंबई बम धमाके के अपराधी याकूब मेमन को फांसी की सजा सुनाकर एक कड़ा संदेश दिया गया था. मुंबई में हुए सीरियल बम ब्लास्ट में याकूब का हाथ था. 22 साल बाद कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पूरी करते हुए याकूब को फांसी की सजा सुनाई थी. 30 जुलाई 2015 को नागपुर जेल में याकूब मेमन को सुबह 7 बजे फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था.


चर्चित फांसी नंबर दो


आतंकियों ने लोकतंत्र के सबसे पवित्र मंदिर संसद पर साल 2001 में हमला बोल दिया था. इस हमले में हमारे 8 जांबाज सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे और 9 अन्य लोगों की मौत हो गई थी. इस पूरे मामले का दोषी अफजल गुरु था. अफजल ने ही इस हमले की साजिश रची थी. अफजल को 9 फरवरी 2013 को नई दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी.


चर्चित फांसी नंबर तीन


मुंबई पर आतंकियों ने हमलाकर एक चुनौती दी थी. मुठभेड़ में पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा आतंकी अजमल कसाब 2008 में मुंबई अटैक का दोषी पाया गया था. कसाब अपने 9 साथियों के साथ समुद्र के रास्ते मुंबई में दाखिल हुआ था. इसने अपने साथियों के साथ छपत्रति शिवाजी टर्मिनल में अंधाधुंध फायरिंग कर दहशत फैला दी थी. वहीं कई अन्य जगहों पर भी धमाके किए. पूरे देश में इस कार्रवाई के होते ही हाई अलर्ट जारी कर दिया गया था. एक होटल में घुसकर इन आतंकियों ने सैकड़ों लोगों को बंधक बना लिया. इस हमले में कुल 150 लोगों की जानें गईं थी जबकि 600 लोग घायल हुए. पुलिस ने कार्रवाई के दौरान कसाब को जिंदा पकड़ लिया था. इसके बाद 21 नवंबर 2012 को महाराष्ट्र में पुणे की यरवदा जेल में उसे फांसी पर लटका दिया गया था.


चर्चित फांसी नंबर चार


धनंजय चटर्जी कोलकाता के एक अपार्टमेंट में सिक्योरिटी गॉर्ड की नौकरी करता था. धनंजय ने 18 साल की लड़की के साथ रेप किया और बाद में उस लड़की की हत्या कर दी. इस घटना को उसने साल 1990 में अंजाम दिया था. घटना के 14 साल बाद 2004 को कोलकाता की अलीपोर जेल में उसे फांसी दे दी गई थी.


चर्चित फांसी नंबर पांच


6 लोगों को जलाकर मारकर पूरे चेन्नई में दहशत फैलाने वाले शंकर को लोग आज भी नहीं भूल पाए हैं. इसे ऑटो शंकर के नाम से जाना जाता है. शंकर ने वर्ष 1987 से 1988 के बीच 6 लोगों को घर में जलाकर मार डाला था. ये खूंखार अपराधी था. कोर्ट ने इसे मौत की सजा सुनाई थी. 27 अप्रैल 1995 को तमिलनाडु की सलीम सेंट्रल जेल में उसे फांसी पर लटका दिया गया था.


चर्चित फांसी नंबर छह


1984 में हुए ऑपरेशन ब्लूस्टार का बदला लेने के लिए हरजिंदर सिंह जिंदा और सुखदेव सिंह सुखा ने इस ऑपरेशन के दौरान सेना प्रमुख रहे अरुण वैद्य की हत्या कर दी थी. इसके अलावा इन दोनों ने 1985 में कांग्रेस लीडर ललित माकन और अर्जन दास की भी हत्या कर दी थी. 9 अक्टूबर 1992 को पुणे की यरवदा जेल में उसे फांसी दे दी गई.


निर्भया मामले में हुआ फांसी का एलान


नई सदी 2020 की पहली फांसी की सजा निर्भया मामले में सुनाई गई. इस सजा का पूरा देश बीते सात सालों से इंतजार कर रहा था.