नई दिल्लीः पाकिस्तान में चीन के इकोनॉमी कॉलोनी बनाने से भारत के लिए कितना खतरा है और इससे देश को क्या नुकसान होगा ये जानना जरूरी है. चीन की इस प्लानिंग से भारत को भी काफी सतर्क रहना होगा.
आइये आपको बताते हैं कि क्या है चीन-पाक इकोनॉमिक कॉरिडॉर का मतलब? पाकिस्तान के अखबार डॉन के मुताबिक पाकिस्तान में एक ऐसा इकनॉमिक कॉरिडोर बनने जा रहा है जंहा पाक और चीन अपनी इंडस्ट्री सेटअप करेंगे.
चीन और पाक की दोस्ती और गहरी होती जा रही है. अब चीन पाकिस्तान में चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाने जा रहा है. जिसके लिए हजारों एकड़ खेती की जमीन चीनी कंपनी को लीज़ पर दे दिया गया है. यहां अपनी आधुनिक टेक्नोलॉजी वाली इंडस्ट्री बनाएगा. इसी चीन पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर के अलावा चीन पाकिस्तान को और भी मदद करेगा. इसी कड़ी में बलूचिस्तान के ग्वादर-झिंगजैंग के बीच समुद्री रुट बनाया जाएगा.
इस चीन पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर का पूरा प्लान क्या है?
पाकिस्तान के डॉन अखबार के मुताबिक
- इस कॉरिडोर के लिए पाकिस्तान ने चीनी कंपनियों को हजारों एकड़ खेती की जमीन लीज़ पर दे दी है.
- चीन पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर के लिए दी जा रही जमीन पर खेती से जुड़े प्रोजेक्ट किए जाएंगे.
- वहीं पेशावर से कराची तक एक सर्विलांस सिस्टम बनाया जाएगा. जिससे ना सिर्फ इन शहरों के बीच बल्कि इन शहरों की बड़े मार्केट पर भी सीसीटीवी से नजर रखी जाएगी. इससे लॉ एंड ऑर्डर अच्छा रहेगा.
- इससे फाइबर ऑपटिक केबल का ऐसा जाल बिछाया जाएगा जिससे ना सिर्फ इंटरनेट सर्विस बेहतर की जाएगी बल्कि
- इस फाइबर ऑप्टिक केबल से कई शहरों का ट्रैफिक सुधरेगा और केबल डिस्ट्रीब्यूशन में भी मदद मिलेगी.
- इस फाइबर ऑप्टिक केबल डिस्ट्रीब्यूशन की मदद से चीन अपनी संस्कृति और सभ्यता का भी पाकिस्तान में प्रचार करेगा.
- पाकिस्तान का मानना है की इस कॉरिडोर से ना सिर्फ वो आर्थिक रुप से बल्कि उसे चीनी टेक्नोलॉजी से भी काफी फायदा होगा. इस टेक्नोलॉजी से पाकिस्तान अपनी खेती और पॉवर की समस्या से उभर सकेगा.
- इस कॉरिडोर का फायदा चीन अपनी टेक्सटाइल इंस्डट्री को कच्चा माल उपल्पब्ध कराने में करेगा.
वहीं पाकिस्तान के हिस्से को भी चीन की नई टेक्नोलोजी से स्मार्ट शहर बनाने में फायदा होगा.
जानकारों की मानें तो इस सीपेक से ना सिर्फ चीन पाकिस्तान में अपने पैर पसारेगा बल्कि पाकिस्तान को अपनी कॉलोनी में तब्दील कर देगा. ऐसे में भारत को सर्तक रहने की ज्यादा जरुरत है. और शायद यही सब भारत की चिन्ता की वजह है. भारत ने चीन में हो रहे बैल्ट एंड रोड सम्मेलन का बहिष्कार भी इसीलिए कर दिया है.