नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में छात्रों पर जानलेवा हमले के बाद दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि दंगा करने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने को लेकर मामला दर्ज कर लिया गया है. जेएनयू कैंपस में रविवार शाम उस वक्त हिंसा भड़क गई थी, जब लाठियों से लैस कुछ नकाबपोश बदमाशों ने हॉस्टल में घुसकर छात्रों और शिक्षकों पर हमला कर दिया था और परिसर में संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था, जिसके बाद प्रशासन ने पुलिस को बुलाया. इस हमले में जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष सहित कम से कम 20 लोग घायल हुए हैं. अब इस मामले में दिल्ली पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं.


1- एफआईआर के मुताबिक जेएनयू के एडमिन ब्लॉक के पास मौजूद पुलिस को 3.45 मिनट पर पेरियार हॉस्टल में झगड़े की सूचना मिल गयी थी. तो कार्रवाई करने में 4 घंटे से ज्यादा समय क्यों लगा. क्या पुलिस किसी बड़ी अनहोनी होने का इंतेज़ार कर रही थी.


2- एफआईआर के मुताबिक पुलिस तुरंत पेरियार हॉस्टल पहुंची जहां करीब 40-50 लोग थे. जिनमें कई नकाब पोश थे. जिनके हाथों में डंडे थे. सवाल ये कि मौके पर मौजूद पुलिस ने उन्हें वहीं काबू क्यों नहीं किया.


3- पुलिस फ़ोर्स तुरंत अंदर नहीं घुस सकती थी तो फिर यूनिवर्सिटी की घेरा बंदी क्यों नहीं की गई. क्या पुलिस गुंडों को भाग जाने का मौका देना चाहती थी.


4- एफआईआर के मुताबिक जेएनयू कैंपस में पिछले 2 दिनों से तनाव का माहौल बना हुआ था. तो पहले से पुलिस ने किसी भी तरह की कोई तैयारी क्यों नहीं की. यूनिवर्सिटी प्रशासन से इस बारे में बातचीत क्यों नहीं की.


5- जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी पिछले कुछ सालों से लगातार विवादों में रही है. सूत्रों के मुताबिक पुलिस की स्पेशल ब्रांच के कुछ लोग सादी वर्दी में भी कैंपस के अंदर होते हैं. अगर इस हमले की साजिश रची गयी तो इससे पुलिस को ये खुफिया जानकारी पहले क्यों नहीं मिली. क्या ये पुलिस के इंटेलिजेंस का फेलियर नहीं.