देशभर में आज 72वां गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है. इस मौके पर जगह-जगह राष्ट्रीय तिरंगा भी फहराया जा रहा है. सुबह से ही लोगों के बीच चहल- पहल देखने को मिल रही है. राष्ट्र भक्ति गानों की गूंज भी सुनाई दे रही है. गणतंत्र दिवस के मौके पर शायरी का भी खास महत्व माना जाता है. देश के कई बड़े शायरों ने इस मौके के लिए खास शायरी भी लिखी है.


गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली के इंडिया गेट पर भव्य परेड का आयोजन किया जाता है. जिसमें देश की तीनों सेना (थल सेना, नौ सेना, वायु सेना) का दल भाग लेता है. इसके साथ ही देश के विभिन्न राज्यों की झलक दिखाती हुई झांकियों का भी प्रदर्शन किया जाता है. गणतंत्र दिवस पर इंडिया गेट पर देश के राष्ट्रपति ध्वजारोहण करते हैं.


जानिए क्यों मनाया जाता है गणतंत्र दिवस


देश में गणतंत्र दिवस एक राष्ट्रीय पर्व की तरह मनाया जाता है. इस दिन भारत में भारत सरकार अधिनियम (एक्ट) (1935) को निरस्त कर नया संविधान लागू करते हुए नए संविधान को पारित कर दिया था. बता दें कि सबसे पहले 26 जनवरी 1929 को लाहौर कांग्रेस अधिवेशन में भारत को पूर्ण गणराज्य का दर्जा दिलाने का प्रस्ताव पेश किया गया था. हालांकि उस समय अंग्रेजों ने कांग्रेस अधिवेशन के इस प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया था. इसके बाद 26 जनवरी 1930 को कांग्रेस भारत को पूर्ण गणराज्य की घोषणा कर दी थी. वहीं संविधान निर्माण की शुरुआत 9 दिसंबर 1946 को हुई थी जिसके निर्माण में कुल 2 साल 11 महीने 18 दिन लग गए. संविधान के बनने के बाद समिति ने 26 नवंबर 1949 को संविधान सभापति को सौंप दिया. जिसके बाद 26 जनवरी 1950 को आधिकारिक तौर पर संविधान को लागू करते हुए गणतंत्र दिवस की शुरुआत हुई. बता दें की इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में इसलिए चुना गया क्योंकि 26 जनवरी 1929 को पहली बार भारत को पूर्ण गणराज्य का प्रस्ताव पेश किया गया था.


गणतंत्र दिवस के मौके पर खास शायरी


"सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा


हम बुलबुलें हैं इस की ये गुलसिताँ हमारा" - अल्लामा इक़बाल


"दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त,
मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी." - लाल चन्द फ़लक


"सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है." - बिस्मिल अज़ीमाबादी


"वतन की ख़ाक से मर कर भी हम को उन्स बाक़ी है,
मज़ा दामान-ए-मादर का है इस मिट्टी के दामन में." - चकबस्त ब्रिज नारायण


"इसी जगह इसी दिन तो हुआ था ये एलान,
अँधेरे हार गए ज़िंदाबाद हिन्दोस्तान." - जावेद अख़्तर


"दिलों में हुब्ब-ए-वतन है अगर तो एक रहो,
निखारना ये चमन है अगर तो एक रहो." - जाफ़र मलीहाबादी


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